दैनिक जागण आई नेक्स्ट ने आयोजित की वेबसेफ को लेकर ऑनलाइन सेमीनार

सेमिनार में स्कूलों के प्रिंसिपल्स, पेरेंटेस समेत साइबर एक्सपर्ट हुए शामिल

साइबर एक्सप‌र्ट्स बोले, ऑब्जर्वर बनकर करें बच्चों की निगरानी, अवेयरनेस ही सिक्योर रहने का एकमात्र तरीका

Meerut कोविड-19 के बीच सब कुछ वर्चुअल हो गया है। क्लासेज, स्कूल से लेकर गेमिंग और फ्रेंडशिप पूरी तरह से ऑनलाइन हो चुकी है। समय की मांग के अनुसार तेजी से लोगों ने इस मोड को एक्सेप्ट किया और तमाम गतिविधियां बिना किसी रुकावट आगे बढ़ने लगी। मगर जितनी तेज और सुविधाजनक वेब की दुनिया है, इसके खतरे भी उतनी तेजी से ही सामने आने लगे हैं। ऐसे में खुद को और अपने बच्चों को वेबसेफ बनाना वर्चुअल दुनिया की अनिवार्य योग्यताओं में से एक हो जाता है। इसके लेकर डीजे आई नेक्स्ट ने मंगलवार को वेबसेफ को लेकर ऑनलाइन सेमीनार आयोजित किया। जिसमें स्कूल प्रिंसिपल्स, पेरेंट्स और साइबर एक्सपर्ट शामिल हुए। पेरेंट्स और स्कूल्स कैसे बच्चों की सेफ्टी को इंश्योर कर सकते हैं इस मुद्दे पर सभी ने कहा कि ऑनलाइन दुनिया में सावधानी ही बचाव का एकमात्र तरीका है। इसके लिए सभी को पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी-अपनी भूमिका निभानी होगी ताकि बच्चों को साइबर क्राइम से सेफ रखा जा सके।

बात से बनेगी बात

इंटरनेट के युग में बच्चों की सुरक्षा रखना हर हाथ की जिम्मेदारी है। एक्सप‌र्ट्स मानते हैं कि वर्चुअल व‌र्ल्ड में पग-पग पर सावधानी और चौकन्ना रहना सबसे जरूरी है। ऑनलाइन क्राइम से बचाव के लिए बच्चों पर सख्ती करने की बजाएं उनसे बात करनी जरूरी है। बच्चों के साथ बॉन्डिंग होगी तभी वह बिना डरे अपनी बात शेयर कर सकता है।

कंटेंट पर रखें नजर

पेरेंट्स के साथ ही टीचर्स को भी चाहिए कि वह ऑब्जर्वर के तौर पर बच्चों के साथ जुड़े। उनके कंटेंट पर नजर रखें। उनकी बातों को सुने और समझे कि वह किस दिशा में जा रहा है। बच्चों को फेक आईडी, वल्गर कंटेंट, यूआरएल के बारे में जानकारी देनी चाहिए। बच्चों के आनलाइन फ्रेंड्स के बारे में जानें और जानकारी लेते रहें।

खुद को एजुकेट करें

पेरेंट्स खुद को एजुकेट करें। अब वह समय नहीं जब बिना जानकारी बच्चों की परवरिश की जा सके। गैजेट्स के बारे में जानें, एप्स, वेबसाइट्स के संबंध में जानकारी रखें। इसके अलावा स्कूल हो या घर , टीचर्स और पेरेंट्स को चाहिए कि वह स्क्रीन रिकॉर्डर ऑन करके ही बच्चों को एक्टिविटीज में भाग लेने दें।

इन नियमों का करें पालन

नेट पर कुछ भी सर्च करते हुए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न करें जो कानूनन अपराध की श्रेणी की आते हो, जैसे एंटी सोशल, एंटी नेशनल, चाइल्ड पार्नोग्राफी आदि।

उन्हीं वेबसाइट पर क्लिक करें जिनमें लॉक बना हुआ आता है या एसटीटीपीएस हो।

डार्क वेब की तरफ बच्चों को न जाने दें।

क्यूआर स्कैन के जरिए पैसे दिए जाते हैं। लेने के लिए कोई कहे तो झांसे में न आएं।

इंटरनेट की ब्राउजिंग हिस्ट्री सर्च करते रहें।

टू-स्टेप्स अथॉंटिकेशन रखें, ओटीपी इनेब्लड करें।

पेरेंट्स अपने ईमेल आईडी से ही बच्चों को इंटरेनट या सोशल मीडिया पर एक्सेस दें ताकि वह खुद मॉनिटर कर सकें।

पेरेंट्स खुद आगे आकर नॉलेज लें और चीजों को समझें।

पब्लिक प्लेस पर वाई-फाई का प्रयोग कभी भी न करें।

कर्मिशयल और सोशल साइट्स की ईमेल आईडी अलग-अलग रखें।

पासवर्ड बदलते रहें।

लॉगिन अलर्ट ऑन रखें। प्रोफाइल पिक पर गार्ड लगाएं।

इंटरनेट ऐसी चीज है, जिससे बच्चा कोई भी गलत राह पकड़ सकता है। ऐसे में उन्हें समझाकर ही बचाव किया जा सकता है। किसी भी फ्री सर्विस की तरफ आकर्षित न हो। जागरूक होना ही हल है।

कर्मवीर सिंह, साइबर एक्सपर्ट

यहां कर सकते हैं शिकायत

अगर आपका बच्चा किसी भी तरह से साइबर क्राइम का शिकार हो जाता है तो तत्काल उसकी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। इसके लिए कई हेल्पलाइन संचालित हैं।

1090- वीमेन पावर लाइन

181- महिला हैल्पलाइन

1076- सीएम हैल्पलाइन

112 - पुलिस इमरजेंसी सर्विस

1098 - चाइल्ड हैल्पलाइन

इसके अलावा अगर 112 नंबर पर किसी वजह से कॉल नहीं लगती है तो गाड़ी का 4 डिजिट के रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ 731115 नंबर जोड़कर तुरंत कॉल कर सकते हैं। तुरंत मदद आप तक पहुंच जाएगी।

बोलें प्रिंसिपल्स

ऑनलाइन मोड में स्टूडेंट्स को सेफ रखना सबकी कलेक्टिव रिस्पांसिबिल्टी है। शुरुआत में कुछ फ्री एप्स के साथ समस्याएं थी। अब अधिकतर स्कूलों ने बच्चों की सेफ्टी को प्राथमिकता पर रखते हुए पेड एप्स ली हैं। ऑनलाइन क्लासेज सेफ हो गई हैं।

आशिम कुमार दूबे, प्रिंसिपल, दीवान पब्लिक स्कूल

वचुर्अल मोड के प्रोडक्टिव और नॉन प्रोडक्टिव दोनों रिजल्टस सामने आ रहे हैं। पेरेंट्स व स्कूल दोनों को इसके लिए रेग्यूलर चेक रखना होगा। बच्चा अगर कुछ भी गलत करता है तो उसे पता रहे कि उस पर नजर है। सावधानी बरतना ही इसका विकल्प है।

राहुल केसरवानी, सहोदय सचिव

ऑनलाइन बच्चे क्या कर रहे हैं। मोबाइल या इंटरनेट पर उनकी एक्टिविटीज की दिशा की तरफ जा रही है। इसके लिए ऑब्जर्वेशन करना सबसे अहम है। पेरेंट्स का इंवॉल्वमेंट इसमें जरूरी है। अलर्टनेस के साथ ही बच्चों को इंट्रेक्शन देना भी जरूरी है।

राना लुबाना, प्रिंसिपल, इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल

वर्चुअल मोड को लेकर अभी भी काफी पेरेंट्स फ्रेंडली नहीं हैं। ऐसे में स्कूल्स अवेयरनेस प्रोग्राम आर्गेनाइज करवा सकते हैं। बच्चा जब गलत रास्ते पर होता है तो उसमें कुछ चेंज आता है। इसे समझना ही जरूरी है।

धीरज आर्या, प्रिंसिपल, ट्रांसलेम एकेडमी

साइबर सिक्योरिटी को लेकर पेरेंट्स को काफी सजग होने की जरूरत है। बच्चा काफी समय उनके साथ रहता है। ऑनलाइन क्लास से लेकर दूसरी एक्टिविटीज के दौरान हर तरह से बच्चों पर नजर रखनी जरूरी है।

संजीव अग्रवाल, प्रिंसिपल, बीएनजी इंटरनेशनल स्कूल

पेरेंट्स को बच्चों का भरोसा जीतकर दोस्त के तौर पर उसे जागरूक करना होगा। बच्चों को बताना जरूरी है कि क्या गलत है और क्या सही है। इसके लिए स्कूल और पेरेंट्स दोनों की बच्चों के साथ हेल्दी बांडिंग होना जरूरी है।

अनुज शर्मा, डायरेक्टर, सत्यकाम इंटरनेशनल स्कूल

स्कूलों ने फ्री एप्स को लेकर तमाम सिक्योरिटी फीचर्स एडॉप्ट किए हैं। प्रिंसिपल्स खुद एक्सेस रखते हैं। वहीं टीचर्स के साथ ऑ‌र्ब्जवर भी इंगेज किए हैं। पेरेंट्स भी बच्चों को अकेले में मोबाइल या नेट न चलाने दें।

प्रीति मल्होत्रा, प्रिंसिपल, द आर्यस स्कूल

बच्चों और स्कूलों के साथ पेरेंट्स का अवेयर होना बहुत जरूरी है। इसके लिए उन्हें खुद पढ़ना और समझना होगा। बच्चों की वेब सेफ्टी सभी की जिम्मेदारी है। क्या करना है और क्या नहीं करना है, इसकी जानकारी होना अहम है।

अल्पना शर्मा, प्रिंसिपल, सीजेडीएवी

कोरोना काल में हुए बदलाव को समझना होगा। बच्चों पर निगाह रखनी होगी। उनके साथ दोस्त बनकर ही उन्हें सेफ किया जा सकता है ताकि वह हर बात शेयर करें। स्कूलों में भी इसके लिए छोटे-छोटे ट्रेनिंग सेशंस हो ताकि टीचर्स बच्चों को बेहतर समझा सके।

गोपाल दीक्षित, प्रिंसिपल, बीडीएस इंटरनेशनल स्कूल

बहुत जरूरी है कि विश्वसनीय एप्स का प्रयोग ही किया जाए। बच्चों के साथ ये शेयर करना जरूरी है कि क्या सर्च करना है क्या नहीं करना है। पेरेंट्ल कंट्रोल हो साथ बच्चों को मोबाइल या इंटरनेट का एक्सेस पेरेंट्स दें।

कंवलजीत सिंह, डायरेक्टर प्रिंसिपल, द गुरुकुलम इंटरनेशनल

पेरेंट्स बोले

इंटरनेट ने बच्चों को सोशल आईसोलेशन दे दिया है.बच्चे गलत रास्ते पर जा सकते हैं। जागरूकता जरूरी है।

नमिता, पेरेंट

सेफ वेब कैसे हो इसको लेकर पेरेंट्स ज्यादा जागरूक नहीं हैं। स्कूल्स को पेरेंट्स के साथ ही सेशन करने चाहिए।

कल्पना पांडेय, पेरेंट

सभी स्कूल ऑनलाइन क्लासेज के दौरान बच्चों की सिक्योरिटी इंश्योर करें। सेफवेब पर अवेयरनेस सेशंस हो।

राजकमल गुप्ता, पेरेंट

विश्वसनीय एप्लिकेशंस का प्रयोग होना जरूरी है। इंटरनेट ने बच्चों को वास्ट प्लेटफार्म दिया है। सुरक्षा बहुत जरूरी है।

श्वेता त्यागी