दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के वेबिनार में साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने दी जानकारी

Meerut। कोरोना काल में साइबर सिक्योरिटी एक चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, इस दौरान ऑनलाइन ट्रांजक्शंस भी बढ़ा और इसी केचलते लोगों साइबर ठगी के शिकार भी हो रहे हैं। साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों के मद्देनजर रविवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने एक वेबिनार का आयोजन किया। जिसमें हमारे साथ जुड़े जाने-माने साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन। वेबिनार में उन्होंने साइबर ठगी से बचने के लिए न केवल टिप्स दिए बल्कि ये बताया कि ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए लोग कहां अपनी शिकायत करें। साथ ही रक्षित टंडन ने रीडर्स के सवालों के जवाब भी दिए। आइए जानते हैं साइबर फ्रॉड से बचने के लिए आखिर क्या न्यूनतम सावधानियां अपनाई जानी चाहिए।

सवाल: हमारे रीडर अंकित अधाना कह रहे हैं कि फेसबुक मैसेंजर पर आईडी हैक करके लोगों की फ्रेंड लिस्ट में शामिल लोगों से पैसों की डिमांड की जाती है, कोई फेसबुक यूजर इस बाबत खुद को कैसे सुरक्षित रखा सकता है?

जवाब: हमारी फेसबुक में प्रोफाइल ऑप्शन में लॉक प्रोफाइल का ऑप्शन होता है। अपनी प्रोफाइल को लॉक कर ले, ये हैक ाी हो रही है और डुप्लीकेट ाी बन रही हैं। कारण ये है कि हमारी प्राइवेसी प्रॉपर नहीं है। अगर हम प्रोफाइल लॉक कर देते है तो अपराधी आपकी डुप्लीकेट प्रोफाइल नहीं बना सकता है। दूसरा, अपनी फ्रेंड लिस्ट को ऑनली मी राना चाहिए, इससे कोई मेरी फ्रेंड लिस्ट नहीं देख पाएगा। तीसरा, सुरक्षा सेटिंग में जाकर टू फैक्टर आथेंटिकेशन ऑन कर लेना चाहिए। ऐसा करने से आईडी को खोलने के लिए दो बार परिचय देना पड़ेगा।

सवाल: हमारे रीडर राजेंद्र शर्मा का कहना है कि सबसे ज्यादा वेरिफिकेशन से संबंधित कॉल्स महिलाओं के पास आते हैं, कि हम बैंक के वेरिफिकेशन डिपार्टमेंट से बात कर रहे हैं और आपका केवाईसी अपडेट करना है, अपना आधार नंबर बता दीजिए। एसे में क्या सावधानी बरतें?

जवाब: सबसे पहले ये समझ लीजिए कि कोई भी बैंक वाला फोन कर ग्राहक का वैरिफिकेशन नहीं करता है। दरअसल, साइबर क्रिमिनल आपके सिम को हाइजैक करना चाहते हैं। एक बार आपका सिम का हाईजैक हो गया तो समझिए कि वो आपका ाता ाली कर देंगे।

सवाल: अनजान नंबर्स जो कॉल आती है, जो कहते हैं कि वो किसी बैंक से बोल रहे हैं, तो कोई ऐसा ऐप है, जिससे पता लगे कि कॉल करने वाला फ्रॉड हैं या नहीं?

जवाब: इसके लिए ट्रू कॉलर एक ऐप है। वहींहमें इस तरह की किसी भी कॉल को एंटरटेन नहींकरना है। गलती ये है कि हम इस तरह की काल को एंटरटेन करते हैं और उनके जाल में फंस जाते हैं।

सवाल: ऐसी कोई हेल्पलाइन जिस पर तुरंत साइबर ठगी की कंप्लेन की जा सके और पीडि़त को उसका पैसा वापस मिल जाए?

जवाब: दरअसल, ारत सरकार ने 155260 हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है, जो दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में काम कर रहा है। इसमें सभी साइबर क्राइम यूनिट्स को बैंकों के नोडल्स के साथ जोड़ दिया गया है। जैसे ही साइबर क्राइम यूनिट को ठगी की सूचना मिलती है तो ये बैंक से सूचना देकर ठगी के पैसे को फ्रीज कर देते हैं। इसके बाद कंप्लेनेंट के खाते में पैसे को वापस पहुंचा दिया जाता है।

सवाल: ऐसे बड़े केस सामने आ रहे हैं कि कॉल करने वाला खुद को आर्मी वाला बताता है। शॉपिंग या टैनेंट बनने के लिए वो कहता है कि उनका रूल है कि वो ऑनलाइन ही पेमेंट कर सकता है। इसके बाद वो खुद को सही साबित करने के लिए क्यू आर कोड स्कैन करने को कहते हैं। स्कैनिंग करने के बाद खाता खाली हो जाता है?

जवाब: ये आर्मी वाला बोलकर आपका ट्रस्ट जीतते हैं। क्यू आर कोड स्कैन से पैसा जाता है, आता नहीं है। वहींभारत सरकार की हेल्पलाइन पर कॉल करने के साथ ही बैंक को जरूर सूचित करें। बैंक को कहें कि आपका डेबिट फ्रीज कर दें। आरबीआई ये कहता है कि एक बार खाते पर डेबिट फ्रीज लग गया और उसके बाद खाते से पैसा निकला तो ये बैंक की जिमेदारी है।

सवाल: एक पाठक हैं कंवलजीत, जिनका कहना है कि लोग साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं लेकिन साइबर ठगी करने वाले पकड़े नहींजाते हैं?

जवाब: आप उत्तर प्रदेश के आंकड़े उठाकर देखेंगे तो ऐसा करने वाले गैंग पकड़े गए हैं। हां, पुलिस के सामने चैलेंज हैं कि जो अपराध कर रहा है वो झारखंड में बैठा है और जो पैसे निकल रहा है वो हैदराबाद या तेलंगाना से निकल रहा है। साथ ही अपराधी की लोकेशन राजस्थान की आ रही है। मैं यहां बता दूं कि ठगी होते ही अपने क्षेत्र के संबंधित साइबर क्राइम थाने को भी जरूर सूचित करना चाहिए। इसके लिए ऑनलाइन साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन वेबसाइट पर जाकर सूचना दे सकते हैं।

सवाल: हमारे रीडर देव आनंद राय का सवाल है कि इस समय बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं, ऐसे में बच्चों को साइबर ठगी का शिकार होने से कैसे बचाएं?

जवाब: बच्चों को जो ाी डिवाइस दे रहे हैं, उसमे बहुत अच्छ एंटी वायरस डालकर रखें, जो बहुत जागरुक है। बच्चों का स्क्रीनिंग कंट्रोल बेहद जरुरी है कि वो नेगेटिव ग्रुमिंग का शिकार न हों।

सवाल: क्या कोई ऐसा मैकेनिज्म है, जिसके जारिए आनलाइन ट्रांजेक्शंस की जो बेवसाइट्स और ऐप्स हैं उनको बच्चों के लिए लॉक किया जा सकें?

जवाब: हां, पेरेंटल कंट्रोल ऐप्स आती हैं। आजकल गूगल ने एक बहुत अच्छा ऐप दे रखा है, उसका नाम है गूगल फैमिली लिंक। अगर पेरेंट्स इस एप को यूज करेंगे तो वो अपने बच्चों की डिवाइससेज पर नजर रख सकेंगे।

सवाल: पुलिस और सरकार के प्रयास लोगों को जागरुक करने में सफल रहे हैं?

जवाब: सरकार ने ऑनलाइन और ऑफलाइन बेहद अहम कदम उठाए हैं और लोग भी जागरुक हुए हैं। साइबर क्राइम को लेकर पुलिस को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

सवाल: साइबर क्राइम से बचाव के ऐसे कौन से टिप्स जो सभी के लिए जरूरी हैं?

जवाब: साइबर फ्रॉड से बचने के लिए अपनी प्राइवेसी का याल रखना है। अपनी ईमेल और अकाउंट्स को डबली सुरक्षित रखना है। साथ ही आईटी एक्ट का पालन करना है। कभी गुस्से में आकर कोई गलत सामग्री इंटरनेट पर न डालें। आईटी एक्ट का कानून कहता है कि हैकिंग अपराध है, अश्लील तस्वीरें भेजना डालना अपराध है, इससे बचें।

सवाल: आजकल लॉटरी जीतने के मेल्स बहुत आते हैं, क्या करें?

जवाब: साइबर ठग लाटरी का सपना दिखाकर पैसे ठग लेते हैं। घर बैठ पैसा कमाने जैसा कोई फामूर्ला इस दुनिया में नहींहै। पैसा कमाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।

फाइनेंशियल फ्रॉड से बचने के लिए ये करें

ओटीपी किसी से शेयर न करें, बैंक डिटेल्स किसी को न दें

फोन पर कोई आपसे बैंक का ओटीपी इत्यादि नहीं पूछता है

अपने पास अपनी बैंक की हेल्पलाइन नंबर को रखें

यदि लगे कि आप साइबर अपराध का शिकार हो गए हैं तो सबसे पहले अपना बैंक खाता डेबिट फ्रीज कराएं

बैंक के हेल्पलाइन नंबर सीधा इंटरनेट से न लेकर बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट से लें

155260 नंबर फाइनेंशियल साइबर अपराध होने पर कॉल करके सूचित करें।

बच्चों को साइबर क्राइम से बचाने के लिए ये करें

पेरेंट्स बच्चों को सुरक्षित डिवाइस दें।

डिवाइस में एंटीवायरस इंस्टॉल हो।

गूगल फैमिली लिंक जैसे टूल का उपयोग करें।

बच्चों को आईटी कानून के बारे में बताते रहें