Meerut। शहर की यातायात व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है, जिसका शासन ने संज्ञान लिया है। दरअसल, शहर में लगने वाले जाम की शिकायतें लगातार टै्रफिक पुलिस के ट्विटर हैंडल पर शेयर की जा रही थीं। वहीं मेरठ के भाजपा नेता आशीष शर्मा ने जाम की समस्या को डीजीपी हेड क्वार्टर के ट्विटर हैंडल पर की थी, जिसका डीजीपी हेड क्वार्टर ने संज्ञान लेते हुए शासन ने मेरठ ट्रैफिक पुलिस से पूछा है कि शहर में जाम की समस्या का क्या कारण है, जिस पर ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल की कम संख्या की वजह से शहर में जाम के हालात बनते हैं।

35 लाख करीब आबादी है शहर की

38 - हेड कांस्टेबल की स्वीकृति है

45 - हेड कांस्टेबल की नियुक्ति है

181 - कांस्टेबल की जरूरत है

99 - कांस्टेबल की है नियुक्ति

82 - कांस्टेबल की होनी है नियुक्ति

99 कांस्टेबल के कंधों पर टिकी है यातायात की पूरी व्यवस्था

8 - टीएसआई की है जरूरत

2 - टीएसआई की है नियुक्ति

10 - टीएसआई की नियुक्ति को मिल चुकी है मंजूरी

2 - टीआई की स्वीकृति है

3 - टीआई की नियुक्ति है

60 कांस्टेबल की नियुक्ति थी 19 साल पहले शहर में।

22 लाख थी शहर की आबादी साल 2000 में।

2017 में थे 70 कांस्टेबल

एसपी ट्रैफिक संजीव वाजपेयी ने बताया कि जब उन्होंने 2017 में ज्वॉइन किया था, तब यहां केवल 70 कांस्टेबल थे। हालांकि एसपी ट्रैफिक ने लखनऊ डीजी ऑफिस में कांस्टेबल की संख्या में इजाफे की डिमांड भेजी थी, जिसके बाद पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ गई थी।

वेकेंसी है पर भर्ती नहीं

पिछले करीब 20 सालों में ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति डिमांड के हिसाब से नहीं हुई है। जिस तरह शहर की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है ठीक उसी तरह सड़क पर वाहनों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। मगर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या में इजाफा नहीं किया जा रहा है। जिसकी वजह से शहरवासियों को रोजाना जाम की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। गौरतलब है कि आज करीब 35 लाख आबादी वाले मेरठ जनपद में ट्रैफिक व्यवस्था की कमान 99 कांस्टेबल के कंधे पर है। यही हालात साल 2000 में थे। तब जनपद की ट्रैफिक कमान 60 कांस्टेबल के कंधों पर थी। पिछले करीब 20 सालों से शहर की आबादी करीब 12 लाख बढ़ गई लेकिन ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या में केवल 39 का इजाफा हुआ है।

कई बार अतिक्रमण पर चाबुक

शहर में जाम की सबसे बड़ी समस्या अतिक्रमण है। पिछले एक साल में एसपी ट्रैफिक संजीव वाजपेयी के नेतृत्व में कई बार जाम खुलवाने के लिए अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया। बावजूद इसके आज भी शहरभर में अतिक्रमण की समस्या जस की तस है।

यहां चला अभियान

सोतीगंज

लालकुर्ती पैंठ बाजार

आबूलेन

हापुड़ अड्डा

ईव्ज चौराहा

केसर गंज

घंटाघर

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यहां रोजाना लगता है जाम

शहर में सबसे ज्यादा जाम की समस्या दिल्ली रोड पर झेलनी पड़ती है। दरअसल, दिल्ली रोड कई चौराहे हैं, जो जाम का कारण बनते हैं। इसके अलावा गढ़ रोड पर भी लोगों को घंटों लंबे जाम की समस्या से जूझना पड़ता है।

दिल्ली रोड पर जाम के प्वाइंट

रोडवेज बस स्टैंड

रेलवे रोड चौराहा

ईदगाह

बागपत अड्डा

नवीन मंडी

गढ़ रोड पर जाम के प्वाइंट

बच्चा पार्क

ईव्ज चौराहा

हापुड़ अड्डे

मेघदूत पुलिया

जाम के बड़े कारण

शहर में अतिक्रमण की वजह से सबसे ज्यादा जाम लगता है। जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

सभी स्कूलों की छुट्टी का समय भी लगभग एक ही है, जिसकी वजह से लोगों को भीषण जाम का सामना करना पड़ता है।

ई-रिक्शा और आटो चालकों समेत डग्गेमार वाहनों का मनमर्जी से सड़कों पर चलने, कहीं भी रोक कर सवारी चढ़ाना और उतारना जाम की बड़ी समस्याओं में से एक है।

शहर में अवैध रूप से लगने वाली पैंठ से भी भीषण जाम लगता है। पैंठ पर कार्रवाई होगी तो जाम से निजात मिलेगी।

बस चालकों का मनमर्जी से सड़क पर सवारी चढ़ाना और उतारना भी लंबे जाम की वजह है।

यातायात के नियमों का पालन नहीं करना, रेड लाइट पर नहीं रूकने की वजह से भी शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ती है।

शहर में लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है, जिसकी वजह से जाम लगता है। जाम कंट्रोल करने के लिए कोई उचित व्यवस्था भी नहीं है।

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टीएसआई और कांस्टेबलों की कमी है। बावजूद इसके जितना भी फोर्स है, वह सब चौराहों और उन प्वाइंटों पर तैनात की गई है, जहां जाम की समस्या आती है। ट्रैफिक पुलिस लगातार जाम खुलवाने के लिए तत्पर रहती है।

संजीव वाजपेयी, एसपी ट्रैफिक, मेरठ