अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर विद्वानों के अलग अलग मत

अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ होने से लोगों के बीच में असमंजस

Meerut । शारदीय नवरात्रि में अष्टमी और नवमी को लेकर दुविधा बनी हुई है। ऐसे में विद्वानों के कई मत हैं। दरअसल, इस साल अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ होने से लोगों के बीच में असमंजस है। बिल्वेश्वर नाथ संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ। पंकज कुमार झा ने बताया कि व्रत के नियम में वह तिथि लेनी चाहिए जो उदयकाल की घड़ी में हो। इसलिए उदयातिथि में सप्तमी शुक्रवार को प्रात: छह बजकर 56 मिनट तक है। उदयातिथि के कारण सप्तमी का व्रत हवन पूजा शुक्रवार को ही करना चाहिए। वहीं अष्टमी शनिवार को प्रात: छह बजकर 58 मिनट पर है अष्टमी का पूजन शनिवार को ही करें, और नवमी रविवार को प्रात: सात बजकर 41 मिनट तक है। अत: नवमी की पूजा रविवार को ही करनी चाहिए।

अष्टमी कल

ज्योतिष भारतज्ञान भूषण ने बताया कि अष्टमी और नवमी एक ही दिन होने के बावजूद भी देवी मां की अराधना के लिए भक्तों को पूरे नौ दिन मिलेंगे। इस साल अष्टमी तिथि का प्रारंभ 23 अक्टूबर शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 57 मिनट से हो रहा है, जोकि अगले दिन 24 अक्टूबर शनिवार को सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। उनके अनुसार जो लोग पहला और आखिरी नवरात्रि व्रत रखते हैं, उन्हें अष्टमी व्रत 24 अक्टूबर को रखना चाहिए,

नवरात्र व्रत परायण 25 को

पंडित श्रीधर त्रिपाठी के अनुसार हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल महानवमी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर शनिवार की सुबह 06 बजकर 58 मिनट से है। जो कि अगले दिन 25 अक्टूबर रविवार को सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। नवरात्रि व्रत पारण 25 अक्टूबर को होगा। दशमी तिथि 25 अक्टूबर से शुरू होकर 26 अक्टूबर की सुबह 9 बजे तक रहेगी। ऐसे में इस साल दशहरा का त्योहार 25 अक्टूबर को होगा।

कन्या पूजन

शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन या कुमारी पूजा 24 अक्टूबर को करना है। हालांकि, महाष्टमी और महानवमी दोनों ही तिथियों को कन्या पूजन किया जाता है

दुर्गा मूíत विसर्जन

मां दुर्गा की मूíत का विसर्जन सोमवार को 26 अक्टूबर को होगा। उस दिन आपको सुबह 06:29 बजे से सुबह 08:43 बजे के मध्य दुर्गा विसर्जन कर देना चाहिए।