कुक से लेकर डिलीवरी ब्वॉय तक पूरा स्टाफ दिव्यांग, आज से शुरू

डिग्री होने के बावजूद थे परेशान, नहीं मिल रहा था रोजगार

Meerut । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को आत्मनिर्भर बनाने के सपनों को साकार करने का बीड़ा मेरठ शहर के कुछ दिव्यांगों ने उठा लिया है। इनमें से अधिकतर अपने पैरों से नहीं चल सकते हैं, लेकिन अपने हौंसलों और सोच से न केवल अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं बल्कि दूसरों की राहों को भी आसान बना रहे हैं इस आर्मी ने जिले में पंडितजी किचन एंड डिलीवरी प्वाइंट की शुरुआत की है। यह पहली ऐसी किचन है जिसमें कुक से लेकर डिलीवरी ब्वॉय तक सभी दिव्यांग हैं।

नहीं मिल रही थी नौकरी

परतापुर रोड पर किचन प्वाइंट की नींव रखने वाले अमित शर्मा दिव्यांग हैं। वह बताते हैं कि ग्रेजुएशन किया और पॉलिटेक्निक भी की। उम्मीद थी कि अच्छी नौकरी मिलेगी, लेकिन दिव्यांगता सभी जगह आड़े आई। पिछले 5 साल से कोशिश कर रहा था,लेकिन कहीं बात नहीं बनी। कोरोना काल में हमने देखा की लोग खाने के लिए काफी परेशान थे। उसके बाद से ही ये आइडिया मेरे दिमाग में आ गया। इसके बाद इसे हकीकत बनाने के लिए काम शुरू किया। इसमें मेरे दोस्त गौतम चौधरी ने मेरी मदद की।

ऐसे तैयार की दिव्यांग आर्मी

अमित बताते हैं कि वह अपना काम शुरू करने जा रहे थे। ऐसे में विचार आया कि स्टाफ के तौर पर दिव्यांग आर्मी तैयार की जानी चाहिए। इसके लिए मैंने दिव्यांग एसोसिएशन से जुड़े लोगों से बात की। इसमें अधिकतर ऐसे दिव्यांग शामिल थे, जिन्हें तरस नहीं बल्कि सम्मान की जिंदगी चाहिए थी। इन्हीं में अनुज और गजेंद्र दो साथी ऐसे मिले जो पैरों से नहीं चल सकते थे, लेकिन उन्हें वाहन चलाना आता था। डिलीवरी के लिए मैंने उनसे बात की, तो वह मान गए। इस आर्मी में शुरुआत में 7 दिव्यांग शामिल हुए हैं, जिसमें से कुछ डिलीवरी करेंगे। जबकि दिव्यांग महिलाएं खाना बनाएंगी।

मेरठभर में डिलीवरी, बनाएंगे ऐप

अमित बताते हैं कि किचन प्वांइट का कांसेप्ट लोगों को घर बैठकर खाने की थाली प्रोवाइड कराना है। इसके अलावा हॉस्टल, ऑफिस, पीजी व अन्य कार्यक्रमों में भी वह घर जैसा खाना,थाली पैकिंग में उपलब्ध कराएंगे। फिलहाल लोग ऑनलाइन व्हाट्सएप या फोन पर ऑर्डर दे सकेंगे लेकिन जल्द ही वह अपना एप भी लांच करेंगे। खाने की डिलीवरी मेरठभर में रहेगी।

मेरे पैर खराब हैं लेकिन मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता था। बीए किया लेकिन रोजगार नहीं मिला। इस काम से जुड़कर मुझे सम्मान मिलेगा।

अनुज शर्मा, डिलीवरी ब्वॉय

दिव्यांगता हमारे शरीर में है सोच में नहीं है। विकार होने के बावजूद अगर ये लोग अपने पैरों पर खडे़ हो गए तो यही हमारी जीत होगी।

गौतम चौधरी, संचालक