सचिन चौधरी

पॉवरलिफ्टर (पैराओलंपिक 2012 में लंदन में किया देश का प्रतिनिधित्व)

सचिन हाल ही में पैरा ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। वो कहते हैं कि शरीर में भले ही कमी हो हार नहीं माननी चाहिए। मेरे साथ भी कुदरत ने बेरूखी दिखाई, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी।

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जोश और जुनून से खेलों में नई इबारत रचने का लक्ष्य लेकर मैंने मेहनत शुरू की। बचपन में पोलियो होने के बावजूद मैंने पॉवरलिफ्टिंग में जी तोड़ मेहनत की। उसीका नतीजा है कि मैं इस साल लंदन पैरालंपिक तक का सफर तय कर पाया। मैंने ओपन एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर, वल्र्ड गेम्स में सिल्वर, वल्र्ड व्हीलचेयर एंड एमप्यूटी गेम्स में सिल्वर, एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किए हैं। मैं अब तक चीन, आस्टे्रलिया, मलेशिया जैसे देशों में भारत का नाम रोशन कर चुका हं।

गौतम पाल, ऑनर हर्ष इंस्टीट्यूट

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गौतम जागृति विहार में अपना इंस्टीट्यूट चलाते हैं। पैर में पोलियो है मगर खुद को किसी से कम नहीं माना। आई नेक्स्ट से बोले, मुझे कुछ लोगों ने कहा कि मैं एक्सरसाइज नहीं कर सकता, उन लोगों को मैंने हेल्थ जिम खोलकर दिखाया। जहां मैंने बॉडी बिल्डिंग की और वेट लिफ्टिंग में कई प्राइज लेकर दिखाए। इसके बाद मैंने एजुकेशन फील्ड में उतरने का फैसला किया। मेरठ कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने लाइब्रेरी साइंस में मास्टर्स किया और अपना इंस्टीट्यूट खोला। जिसमें माखन लाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी और राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी की मान्यता के साथ कई कोर्स शुरू किए। इस इंस्टीट्यूट को शुरू करने के लिए मैंने अपने पिता से मात्र 30 हजार रुपए लिए और आज निजी बिल्डिंग में इंस्टीट्यूट चला रहा हूं। साथ ही मैंने राजनीति में भी कदम बढ़ाया।

दीपक कुमार तालान, रिसर्च स्कॉलर

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दीपक को पढऩे का शौक है। वो कहते हैं कि सरकार हम लोगों के लिए कुछ कर नहीं रही और जिन लोगों के साथ हम रहते हैं वो हमें अपने से बहुत कमतर मानते हैं। मैं अलीगढ़ के पास एक गांव का रहने वाला हूं। पिछले ग्यारह सालों से इस शहर में स्ट्रगल करके जिंदगी गुजार रहा हूं। मैंने यहां रहकर बीएड, एमएड, एमफिल और हिस्ट्री में पीएचडी कर रहा हूं। मैं कॉलेज पॉलिटिक्स और सोशल वर्क में काफी सक्रिय रहता हूं। मैं समाज को दिखाना चाहता हूं कि मेरे अंदर एक कमी होते हुए भी मैं हारा नहीं बस आगे बढ़ता जा रहा हूं। मुझे पढऩा बेहद पसंद है। फ्री टाइम में भी मैं पढ़ता हूं। गाने सुनने का मुझे बिल्कुल भी शौक नहीं है, फिल्में भी सिर्फ अच्छी ही देखता हूं। आमिर खान की फिल्मों में समाज का कोई न कोई दबा पहलू उभारा जाता है इसलिए आमिर खान की फिल्में जरूर देखता हूं। मैं किसी पर डिपेंड नहीं हूं आने-जाने में मैं अपना व्हीकल यूज करता हूं।

मोहसिन खान, टेलर

मोहसिन पर कुदरत की दोहरी मार पड़ी है। पैर में पोलियो है.साथ ही भाषाई दोष भी है, जिसकी वजह से  ठीक से बोल नहीं पाते। अपने बारे में कहा कि परिस्थतियां ऐसी रहीं कि छठवीं क्लास के बाद पढ़ नहीं पाया। एक तो पहले से ही दोहरी विकलांगता को झेल रहा था उस पर अनपढ़ होना मेरे लिए दूसरी बड़ी समस्या बन गया। मगर कुछ करना था सो मैंने टेलरिंग का काम सीखा। इसमें मुझे इंट्रेस्ट आने लगा तो मैंने पहले घर में ही सिलाई का काम शुरू किया। कुछ समय बाद परिवार की मदद से मैंने अपनी दुकान खोलने का फैसला किया। आज मेरी अपनी दुकान है। काफी समय स्ट्रगलिंग में गुजर गया। पहले अकेले ही दुकान संभालता था। जब धीरे-धीरे काम बढ़ा तो मैंने वहां एक हेल्पर कारीगर रखा। आज मेरी दुकान पर तीन कारीगर हैं। इस दुकान से मैं अपने परिवार को आराम से पाल रहा हूं। हो सकता है मैं करोड़ों से कमतर हूं मगर मुझे इस बात की खुशी है कि मैं लाखों से बेहतर जिंदगी बसर कर रहा हूं।

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