- परतापुर क्षेत्र में एमडीए का चला हवा-हवाई ध्वस्तीकरण अभियान

- मौके पर बुलाई पांच थानों की पुलिस और पीएसी

- केवल बाउंड्री गिराकर वापस आ गया प्राधिकरण का महाबली

Meerut: शहर के अवैध निर्माणों पर की जा रही एमडीए की कार्रवाई छलावा साबित हो रही है। शुक्रवार को परतापुर क्षेत्र में भारी पुलिस बल के साथ ध्वस्तीकरण करने पहुंची एमडीए की टीम कुछ एक बाउंड्री गिराने तक ही सीमित रह गई। एमडीए के नकारापन का यह हाल तो तब है जब प्राधिकरण अवैध निर्माणों में बढ़ोतरी का ठीकरा पुलिस के सिर फोड़ता है। ध्वस्तीकरण अभियान के नाम पर लीपापोती कर एमडीए की टीम सीना ठोकते हुए वापस हो गई।

ध्वस्तीकरण अभियान

दरअसल, शहर में बढ़ते अवैध निर्माणों की शिकायत पर कमिश्नर ने एमडीए को कार्रवाई के आदेश दिए थे। इस पर मेरठ विकास प्राधिकरण शहर में खड़े अवैध निर्माणों कार्रवाई के लिए ध्वस्तीकरण पखवाड़ा चलाने का कार्यक्रम बनाया था। अभियान के पहले दिन एमडीए ने परतापुर थाना क्षेत्र के जोन ए में ध्वस्तीकरण की तारीख तय की थी। बुधवार को लगे कार्यक्रम के अनुसार एमडीए जोन ए के जोनल अधिकारी आरके गुप्ता और जितेन्द्र सिसौदिया के नेतृत्व में जेई सुलेमान व अविनाश गर्ग टीम लेकर मौके पर पहुंचे।

पांच थानों की पुलिस और पीएसी

एमडीए जहां शहर में खड़े अवैध निर्माणों के लिए पुलिस बल को जिम्मेदार ठहराता। वहीं भारी पुलिस उपलब्ध होने पर ध्वस्तीकरण के केवल रस्म अदायगी भर की जाती है। शुक्रवार को अभियान का यही हाल रहा। शताब्दीनगर में अवैध कालोनियों का ध्वस्त करने एमडीए की टीम परतापुर, टीपीनगर, कंकरखेड़ा व ब्रह्मापुरी समेत पांच थानों की पुलिस और पीएसी के साथ पहुंची। यहां एमडीए ने पारस नगर सोसाइटी आवास समीति द्वारा 85 हजार वर्ग मीटर के खसरा संख्या 346/1, 370, 371, 373/1, 373/3 व 375 पर काटी जा रही अवैध कालोनी में बनी बाउंड्री को गिराया। इसके बाद एमडीए ने परतापुर रेलवे क्रासिंग के पास 8000 वर्ग मीटर में हितेश मित्तल द्वारा श्री राम वाटिका के नाम से अवैध रूप से डेवलप की जा रही अवैध कालोनी का गेट गिराकर अभियान को विराम दे दिया।

बड़े निर्माणों को अभयदान

शहर का परतापुर क्षेत्र अवैध निर्माणों के लिए बदनाम है। यहां लैंड यूज के विपरीत खड़ी कर दी गई तमाम फैक्ट्री और काटी जा चुकी तमाम बड़ी कालोनियां आज भी सीना ताने खड़ी हैं। बावजूद इसके एमडीए द्वारा इन अवैध निर्माणों को अभय दान दे दिया गया है। यहां तक कि इसका असर एमडीए के ध्वस्तीकरण अभियान में साफ दिखाई दे रहा है। अभियान के अंतर्गत एमडीए द्वारा इन अवैध फैक्ट्री और बड़ी कालोनियों पर कार्रवाई न कर अवैध बाउंड्रियों को ही निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि अवैध निर्माणों के इस खेल में एमडीए अफसरों की मिली भगत को लेकर तमाम मामले सामने आए हैं। खैर कारण चाहे जो भी हो लेकिन इससे एमडीए की साख पर बड़ा धब्बा लगा है।

शुक्रवार को एमडीए द्वारा दो अवैध कालोनियों के ध्वस्तीकरण का प्रोग्राम था, दोनों अवैध कालोनियों को ध्वस्त कर दिया गया है। अन्य अवैध निर्माणों पर ध्वस्तीकरण उच्च अधिकारियों के निर्देश में तय किए जाएगा।

आरके गुप्ता, जोनल अधिकारी, एमडीए जोन ए