गाड़ी को एक्सीडेंटल या डैमेज दिखाकर दिलाते हैं मेरठ में एंट्री, छत, बंपर और एयर बैग्स का लेते हैं सहारा

चोरी की गाड़ी पर लगाते हैं सेम मॉडल की किसी दूसरी गाड़ी की तैयार की गई नकली एचएसआरपी

Meerut। सोतीगंज के कबाडि़यों ने चोरी के वाहनों के कटान के लिए ऐसा नेक्सेस बनाया है कि उसे ट्रेस कर पाना पुलिस के नामुकिन है। कबाडि़यों ने आसपास के जिलों समेत दूसरे राज्यों में कटान के व्यापार से जुड़े कबाडि़यों को अपने साथ मिला लिया है। जिसके चलते अब चोरी के वाहनों को कटान के लिए मेरठ के सोतीगंज नहीं लाना पड़ता। मगर पुलिस की सख्ती के चलते दूसरे राज्यों से चोरी हुए वाहनों का कटान वहां संभव नहीं है तो उन्हें एक्सीडेंटल दिखाकर मेरठ में एंटर कराया जाता है।

करते हैं कारस्तानी

सूत्रों के मुताबिक कबाड़ी दूसरे राज्य से चोरी के वाहन को कटान के लिए सीधे मेरठ के सोतीगंज नहीं लाते। वो कटान के सरगना के इशारे पर चोरी के वाहन को संबंधित राज्य के गोदाम में ले जाते हैं। वहां चोरी के वाहन को गाडियों के एक्सपर्ट मिस्त्री एक्सीडेंटल की शक्ल देते हैं और लोड कर मेरठ के लिए रवाना कर देते हैं।

छत काटकर लाते हैं

सूत्रों के मुताबिक एक्सपर्ट मिस्त्री गाड़ी के आगे-पीछे के बंपर समेत सेंसर का इस्तेमाल कर एयर बैग्स को बाहर निकाल देते हैं। वहीं गाड़ी की छत को इस लिहाज से गैस कटर से काटकर अलग किया जाता है, जो आसानी से दोबारा इस्तेमाल किया जा सके। साथ ही जो भी गाड़ी देखे, उसी गाड़ी डेमेज या एक्सीडेंटल लगे।

नहीं रोका जाता

सूत्रों के मुताबिक दूसरे राज्य से डीसीएम या ट्रक पर लोड होकर आने वाले वाहन एक्सीडेंटल दिखते हैं तो जगह-जगह होने वाली पुलिस की चेकिंग में भी उन्हें रोका नहीं जाता। आसानी से शहर के सोतीगंज में ऐसे वाहनों को एक्सेस मिल जाता है।

नकली एचएसआरपी का यूज

सूत्रों के मुताबिक वाहन चोर जिस गाड़ी को चुराते हैं, उसी मॉडल की दूसरी गाड़ी की एचएसआरपी (हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट ) की कॉपी तैयार चोरी की गाड़ी पर चस्पा कर देते हैं। दरअसल, पुलिस चोरी वाले वाहन के लिए संबंधित जिले समेत आसपास के राज्यों में वायरलैस करती है। मगर चेकिंग के दौरान वाहन को पहले एक्सीडेंटल और नंबर प्लेट देखकर छोड़ दिया जाता है।

स्कैन मशीन नहीं

सूत्रों के मुताबिक चोरी के ज्यादातर वाहनों को सोतीगंज में रात के अंधेरे में ही लाए जाते हैं। वहीं इस दौरान पुलिस की चेकिंग भी कम होती है। पुलिस की चेकिंग में एक्सीडेंटल गाड़ी का इंजन नंबर और चेसिस नंबर कहीं चेक नहीं किया जाता है। वहीं अभी एचएसआरपी को स्कैन करने के कोई संसाधन भी बाजार में उपलब्ध नहीं है। इसी का फायदा वाहन चोरों और कबाडि़यों को मिलता है।

पुलिस से सेटिंग

सूत्रों के मुताबिक दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड से चोरी हुए वाहनों को मेरठ के सोतीगंज या जिले के आउटर एरिया में कटान के लिए लाया जाता है। ऐसे में कुछ जगह पुलिस की चेकिंग में चोरी के वाहन नकली एचएसआरपी के सहारे आसानी से पार पा जाते हैं। वहीं अगर किसी चोरी के वाहन की एचएसआरपी तैयार नहीं हो पाती तो कबाड़ी और वाहन चोर पु्लिस से सेटिंग कर वाहनों को चेकिंग से क्लीयरेंस दिलाते हैं।

शहर के अंदर जो भी दुर्घटनाग्रस्त वाहन एंट्री करेगा, उसके इंजन चेसिस और नंबर की मैचिंग के साथ ही जांच कराई जाएगी। इसके लिए सभी पुलिसकर्मियों को दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं। यदि किसी पुलिसकर्मी की मिलीभगत पाई जाएगी तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

विनीत भटनागर, एसपी सिटी, मेरठ