- पार्षदों के दबाव के बीच प्री-ऑडिट को लेकर निगम अफसरों की ना

- मेयर के आदेशों के बाद भी लागू नहीं हो सकी प्री-ऑडिट व्यवस्था

Meerut: नगर निगम में फर्जी बिल भुगतान का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। शहर स्थित दो नालों की सफाई के नाम फर्जी तरीके से हुए लाखों के भुगतान का पार्षद ऑडिट कराना चाहते हैं। वहीं नगर निगम प्रशासन ने प्री-ऑडिट व्यवस्था लागू कराने को लेकर चुप्पी साध ली है। निगम प्रशासन के अड्यिल रवैये का यह आलम तो तब है जबकि पिछले दिनों हुई बोर्ड बैठक में मेयर ने प्री-ऑडिट व्यवस्था लागू कराने के आदेश दिए थे।

क्या था मामला

दरअसल, पिछले दिनों हुई निगम बोर्ड बैठक में समाजवादी पार्टी समर्थित पार्षदों ने सदन के सामने एक नाला सफाई का फर्जी तरीके से हुए भुगतान का मामला उठाया था। पार्षदों ने सफाई प्रकरण में हुए लाखों के फर्जीवाड़े के सभी साक्ष्य बोर्ड की पटल पर रखे थे, जिसकी जांच कराने पर तत्कालीन लेखाधिकारी प्रदीप त्रिपाठी ने मामले का सत्य बताया था। मामले को गंभीरता से लेते हुए मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने नगर आयुक्त को पूरे प्रकरण की जांच कराकर तीन दिन में रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए थे। आज जबकि इस बात को तीन माह से भी अधिक का समय हो गया है, बावजूद इसके निगम अफसर जांच रिपोर्ट को दाबे हुए हैं।

प्री-ऑडिट पर निगम की ना

नाला सफाई के नाम पर हुए लाखों के फर्जीवाड़े की शिकायत करते हुए सपा पार्षद दल के नाम शाहिद अब्बासी ने निगम में प्री-ऑडिट व्यवस्था लागू करने की मांग उठाई थी, जिसका मेयर ने भी खुलकर समर्थन किया था। लेकिन निगम अफसरों ने प्री-ऑडिट की कोई आवश्यक्ता न बताकर इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। पार्षदों ने इसकी शिकायत जब मेयर से की तो उन्होंने आदेश पारित करते हुए भुगतान संबंधी फाइलों की प्री-ऑडिट कराने के आदेश दिए थे।

आजम से मिलेंगे पार्षद

सपा पार्षदों का आरोप है कि मेयर के हस्तक्षेप के बाद भी निगम प्रशासन अडियल रवैया अख्तियार किए हुए हैं। पार्षदों का कहना है कि इस संबंध में नगर विकास मंत्री आजम खां से मिलकर पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा।

प्री-ऑडिट को लेकर नगर निगम का जो रवैया सामने आया है। उससे लग रहा है कि भुगतान संबंधी फाइलों में बड़ी हेराफेरी है। इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए हमारा प्रतिनिधि मंडल आजम खां से मिलेगा।

शाहिद अब्बासी, सपा पार्षद दल के नेता

फर्जी भुगतान मामले की जांच कराई जा रही है। यदि कोई गड़बड़ी सामने आती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

एसके दुबे, नगर आयुक्त

शासनादेश की उड़ रही धज्जियां

सपा पार्षदों का आरोप है कि शासनादेश के मुताबिक एमएनएलपी मुख्य नगर लेखा परीक्षण हर माह अपनी रिपोर्ट निगम केबीनेट के सामने रखेंगे, लेकिन पिछले पांच सालों में केबीनेट के सामने एक भी रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। आरोप है कि नाले की सफाई में भी बिना ऑडिट किए पांच लाख रुपए का फर्जी तरीके से भुगतान कर दिया गया।