लॉकडाउन के पहले ऑफिस के काम से विदेश गए थे कुछ लोग

अभी भी वो विदेश में फंसे, परिजनों को सता रही चिंता

Meerut। कोरोना काल में लॉकडाउन से पहले अपनी कंपनीज के काम से विदेशों में पहुंचे एम्पलाइज अभी अनलॉक होने के बाद भी वहीं फंसे हुए है, भले ही अब अनलॉक हो गया है, पर कंपनीज ने उनको फिलहाल जहां है वहीं रुकने के निर्देश दिए हैं। इसलिए कंपनीज ने उन्हें वहीं पर सुविधा उपलब्ध कराई हैं। ऐसे में अब वो अपने प्रियजनों से बीते सात माह से नहीं मिल पाए है। वे सिर्फ फोन और वीडियो कॉल्स से जरिए हालचाल ले रहे हैं। हालांकि, परिजनों को उनके वापस भारत लौटने की चिंता सता रही है।

काम से गए थे विदेश

एमएनसी कंपनीज में जॉब करने वाले कई ऐसे कर्मचारी है जो लॉकडाउन से पहले कुछ दिनों के काम से आउट ऑफ कंट्री गए थे, लेकिन अचानक से लॉकडाउन हुआ, जिससे वे वहां पर फंस गए। हालांकि, अब अनलॉक तो हो गया पर कोरोना संक्रमण की संख्या बढ़ने से हालात इतने बिगड़ गए है कि वायरस के बचाव के लिहाज से सुरक्षा बरतते हुए कंपनीज ने अपने ऐसे एम्प्लाइज को वहीं रुकने के लिए बोल दिया है तथा उनके लिए वहीं व्यवस्थाएं करा दी है ऐसे में अब वो वहीं फंसे हुए है, अपने देश लौटकर नहीं आ पा रहे है, वहीं से वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं।

फोन पर करते हैं बात

अब ऐसे में वो अपने एक्सपीरियंस अपने परिवार वालों के साथ शेयर कर रहे हैं उनको फोन पर बता रहे हैं कि कैसे वो अपना समय बिताते हैं, अपने परिवार के लोगों से वीडियो कॉल्स के जरिए उनका हालचाल ले रहे है, अब उनके परिवार वालों को इंतजार है कि किसी तरह वो अपनो के बीच पहुंच जाए,

मैं तो लॉकडाउन से पहले कंपनी के काम से नॉर्वे गया था, इस समय यहां पर कोई फ्लाइट नहीं है, वाइफ बच्चे अकेले है अब मेरी उनसे केवल फोन पर या वीडियो कॉल्स पर ही बात होती है, यहीं टेंशन है कब सब ठीक होगा कब घर पहुंच सकूंगा।

दीपक

मेरे कजन आउट ऑफ कंट्री है पूरे सात महीने हो गए हैं, अब बुआ फूफाजी अकेले हैं, केवल फोन पर ही उससे बात हो पाती है, कोई दोस्त है जो उनके पास आ जाता है हेल्प के लिए, कजन को आने के लिए कोई साधन नहीं

भरत

मैं विदेश में हूं। घर वाले अलग परेशान हो रहे है। मैं अलग परेशान हो रहा हूं यहीं टेंशन हो रही है, सभी को चिंता हो रही है आखिर कब मैं घर पहुंच पाऊंगा।

अमित

मेरी एक कजेन ऑफिस के काम से आउट ऑफ कंट्री थी अब वो वहीं पर अटकी है कोई फ्लाइट नहीं चल रही है कैसे वापस आए। समझ नहीं आ रहा है।

दिव्या