मेरठ (ब्यूरो)। शहर के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए खिलाडिय़ों को ट्रेनिंग दी जाती है। अभी हालत यह है कि 7 स्पोट्र्स में तो खिलाडिय़ों को कोच तक नहीं मिले हैं। इससे उनकी ट्रेनिंग प्रभावित हो रही है। स्थिति यह है कि बैडमिंटन, जूडो, वुशू क्रिकेट और स्वीमिंग में कोच तक नहीं है। इसलिए खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।

सोशल मीडिया से उठाई समस्या
कैलाश प्रकाश स्टेडियम में कोच की समस्या को शहरवासियों ने सोशल मीडिया पर उठाया है। छात्र नेता विनीत चपराणा और अंकित अधाना ने कैलाश स्टेडियम में कोच की कमी होने का मुद्दा उठाया है। ट्विटर पर सीएम योगी आदित्यनाथ और खेल मंत्री को टैग करते हुए इस समस्या को रखा है। उन्होंने कहा कि कैलाश प्रकाश स्टेडियम में स्पोट्र्स के विभिन्न गेम्स में बेहतर ट्रेनिंग के लिए बच्चे आते हैं, लेकिन कुछ गेम्स में कोच न होने से उन्हें बेहतर ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है।

कोच न होने से दिक्कत
गौरतलब है कि स्टेडियम में बैडमिंटन, जूडो, वुशू और क्रिकेट के कोच स्टेडियम में नहीं हैं। हालांकि, तैराकी के लिए भी परमानेंट लाइफगार्ड हैं, लेकिन स्वीमिंग की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है। स्वीमिंग पूल में वही अभ्यास करते हैं जो तैराक हैं। इनके अलावा बैडमिंटन, भारोत्तोलन, कबड्डी, वॉलीबाल के भी कोच नहीं हैं। ट्रेनिंग की आस में बच्चे स्टेडियम में तो आते हैं। रजिस्ट्रेशन भी कराते हैं। बावजूद इसके उन्हें प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है। कैलाश प्रकाश स्टेडियम में हॉकी के लिए एस्टोटर्फ मैदान तो तैयार है। लेकिन हॉकी के लिए परमानेंट कोच की नियुक्ति नहीं है।

स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी की सौगात मिली
बीते दिनों प्रदेश सरकार ने मेरठ को स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी की सौगात दी है। इससे खिलाडिय़ों की उम्मीदें बढ़ गईं हैं। पर हालत यह है कि कैलाश प्रकाश स्टेडियम में स्पोट्र्स के 7 गेम्स के लिए कोच नहीं हैं। इससे खिलाडिय़ों का नुकसान हो रहा है।

जल्द होगी कोच की नियुक्ति
इस मामले में कैलाश प्रकाश स्टेडियम के आरएसओ वाई पी सिंह ने कहा कि कोच की जल्द ही नियुक्तियां होंगी। इस संबंध में शासन से डिमांड की है। सिंथेटिक एस्टोटर्फ के लिए प्रपोजल तैयार किया गया है। शासन के निर्देशों के बाद आगे का कार्य होगा।

स्टेडियम में कई गेम्स के कोच ही नहीं हैं। इसलिए या तो दूर जाना पड़ता है या फिर प्राइवेट कोचिंग लेना होता है। प्राइवेट कोचिंग लेना महंगा पड़ता है।
अरुण, प्लेयर

स्टेडियम में करीब 7 गेम्स के कोच नहीं हैं। हालत यह है कि सीनियर खिलाड़ी ही प्रैक्टिस कराते हैं। कोच मिलें तो मेरठ से बेहतर खिलाड़ी निकलेंगे।
अश्वनी, प्लेयर

कैलाश प्रकाश स्टेडियम में करीब 7 गेम्स के कोच नहीं हैं। इसको लेकर सीएम और स्पोट्र्स मिनिस्टर को ट्वीट किया है। उम्मीद है कि शासन की ओर से इन समस्याओं को दूर किया जाएगा।
अंकित अधाना

बिना कोच के खिलाड़ी कैसे आगे बढ़ पाएंगे, हर किसी के पास इतना बजट नहीं कि वो प्राइवेट कोचिंग ले सके। इस समस्या को लेकर सीएम व खेल मंत्री को शिकायत भेजी है।
विनीत चपराना