चारों ग्रहों के परिवर्तन से मिलेंगे शुभ-अशुभ फल

ज्योतिष व पंडित बता रहे हैं ग्रह चाल बदलने का असर

Meerut। अक्टूबर माह शुरु हो चुका है और ये महीना देश व दुनिया के लिए बहुत ही खास होने वाला है, क्योंकि इस महीने में चार ग्रह राशि परिवर्तन कर रहे हैं। ज्योतिषों और पंडितों के अनुसार ग्रहों की स्थिति को देखते हुए देश, दुनिया व जातकों पर इनका अच्छा बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ग्रहों के परिवर्तन के साथ ही इस माह 12 सर्वार्थ सिद्ध योग भी बन रहे हैं।

तुला राशि में सूर्य

ज्योतिष भारतज्ञान भूषण के अनुसार अटूबर में मंगल, बुध, शुक्र व सूर्य राशि में परिवर्तन कर रहे हैं। इस दौरान व्यापार में तेजी तथा आईटी एवं चिकित्सा क्षेत्र में बड़े आयाम सामने आएंगे। 17 अक्टूबर को सूर्य कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करेंगे और 16 नवंबर तक तुला राशि में ही रहेंगे। वहीं 4 अक्टूबर से मंगल ग्रह भी मीन राशि में वक्रीय हो चुका है। जबकि बुध 14 अक्टूबर सुबह 6.30 तुला राशि में चाल परिवर्तन कर वक्रीय हो जाएगा और 3 नवम्बर को रात को 11.15 मिनट पर फिर से चाल में परिवर्तन कर मार्गीय हो जाएगा।

मंगल की वक्री चाल

श्री विल्वेश्वरनाथ संस्कृत विद्यालय के प्रिंसिपल डॉ। दिनेशदत्त शर्मा के अनुसार मंगल ग्रह 4 अक्तूबर को मीन राशि में वक्री हो चुका है और 14 नवंबर को मार्गी होंगे। मीन राशि जल तत्व की राशि है और यह बृहस्पति द्वारा शासित है। बृहस्पति और मंगल आपस में मित्र हैं। मीन राशि अंतर्ज्†ान, भावनाओं और करुणा का प्रतिध्वनित करती है वहीं मंगल ग्रह कार्य, साहस और इच्छा शक्ति को दर्शाता है। जल तत्व की राशि में अग्नि तत्व प्रधान ग्रह मंगल के गोचर से भावनाओं पर प्रभाव पड़ सकता है। यदि भावनाओं पर नियंत्रण किया गया तो इससे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिल सकती हे।

शुक्र का कन्या राशि में गोचर

ज्योतिष समीर मंडल के अनुसार शुक्र ग्रह 23 अक्तूबर को कन्या राशि में गोचर कर रहे हैं और 17 नवंबर तक इसी राशि में स्थित रहेंगे। इसके बाद शुक्र कन्या से तुला राशि में स्थित रहेंगे। कन्या राशि में शुक्र नीच के होते हैं। शुक्र को नैसíगक भोग विलास व दाम्पत्य का कारक माना जाता है। फिल्म इंडस्ट्री, गीत-संगीत, ललित कलाओं में शुक्र का प्रतिनिधित्व होता है। शुक्र का नीचराशिस्थ होना इन सभी क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों के लिए प्रतिकूल फलदायक रहेगा।

शनि दोषों से बचने के उपाय

प्रत्येक शनिवार को शनि देव का उपवास रखें।

शाम को पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

शनि के बीज मंत्र ओम प्रां प्रीं प्रौं श्री शनैश्चराय नम: का 108 बार जाप करें।

काले या नीले रंग के वस्त्र धारण करें।

जरूरतमंदों को अन्न-वस्त्र दान करें।