हैदरपुर वेटलैंड पर पक्षियों की गणना में खुलासा

सेंचुरी में इनकी मौजूदगी ने खींचा वन्यजीव प्रेमियों का ध्यान

पहली बार सेंचुरी में रिपोर्ट हुआ लेजर फ्रंटेट गूज

4 टीमों ने हैदरपुर वेटलैंड पर की पक्षियों की गणना

14 हजार से ज्यादा पक्षी टीम को गणना के दौरान दिखे

2 दिन तक हैदरपुर वेटलैंड पर गणना के लिए रही टीम

114 प्रजातियों के पक्षियों को टीम ने किया चिन्हित

01 हजार से भी संख्या में देशभर में आते हैं ये दुर्लभ पक्षी

Meerut। जहां एक ओर वन्य जीव प्रेमी विश्व वेटलैंड डे मना रहे थे, वहीं हस्तिनापुर सेंचुरी के हैदरपुर वेटलैंड ने पक्षी विशेषज्ञों को एक तोहफा दिया। जी हां, दिनभर चली गणना में चार ऐसी दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी पक्षी दिखाई दिए, जिनकी संख्या पूरे भारत में ही एक हजार से कम है। यूं तो एक दिन चली इस गणना के दौरान 14 हजार से ज्यादा पक्षियों की गिनती की गई, लेकिन उन दुर्लभ पक्षियों को देख टीम की बांछे खिल गई। वहीं अब सेंचुरी को पक्षियों की मौजूदगी के लिए नया आयाम मिलने की उम्मीद भी बढ़ गई है।

वेटलैंड डे पर गणना

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कॉर्डिनेटर शाहनवाज खान, वन विभाग के अफसर और वन्य जीव प्रेमियों ने मिलकर हैदरपुर वेटलैंड पर यह गणना की। दो दिन में करीब 12 घंटे के लिए 4 टीम ने वेटलैंड के अलग-अलग हिस्सों में पक्षियों की प्रजाति और उनकी संख्या की गिनती की। गणना के दौरान 114 प्रजातियों के कुल 16,345 पक्षियों की गणना की गई थी।

दिखा लेजर फ्रंटेट गूज

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कॉर्डिनेटर शाहनवाज खान ने बताया कि हमें लेजर फ्रंटेट गूज, गे्रेटर फ्रंटेज गूज, व्हाइट टेल इगल, इंडियन ग्रास बर्ड गणना के दौरान दिखाई दी। लेजर ंने बताया कि ये चारों प्रजाति रेड लिस्ट में हैं और काफी दुर्लभ मानी जाती है। पूरे भारत में ही इन प्रजातियों के करीब एक हजार से भी कम पक्षी आते हैं, ऐसे में यहां पर इनकी दिखना सुखद है। यहां के अलावा भरतपुर, चिलका लेक में भी कुछ ही संख्या में यह दिखाई दे जाते हैं।

क्यों खास है हस्तिनापुर सेंचुरी

हस्तिनापुर सेंचुरी गंगा के किनारे-किनारे मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अमरोहा जिले तक फैली है। इसमें 16 वेटलैंड हैं और हैदरपुर वेटलैंड सबसे खास है। पक्षी विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि विस्तृत गणना की जाए तो इस वेटलैंड पर बीस हजार से भी ज्यादा पक्षियों की गिनती हो सकती है। यह पक्षियों के रहने, खाने के लिए आदर्श स्थान है और इसे रामसर साइट घोषित कराने के लिए विभाग प्रस्ताव भी बनाकर भेज चुका है।