-एक ओर जल संरक्षण पर हो रही थी बैठक दूसरी ओर नाले में बह रहा था गंगाजल

-जल संरक्षण को लेकर कमिश्नरी सभागार में हुई जम्बो बैठक

Meerut : मेरठ में शुक्रवार अजब-गजब वाकया पेश आया। कमिश्नरी सभागार में कमिश्नर साहब एक ओर जहां जल संरक्षण पर बात कर रहे थे तो वहीं महज एक किमी की दूरी पर 'गंगाजल' नालों में बह रहा था। एक-दो दिन नहीं पिछले एक माह से रोजाना पांच क्यूसेक पानी पाइप लाइन की सफाई के नाम से नालों में छोड़ा जा रहा है। बड़ी बातें करने वालों के बीच वे भी शामिल थे जो इस प्रकरण से सीधे जुड़े हुए हैं।

जल क्रांति शुरू करने की सिफारिश

जल संरक्षण विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कमिश्नर ने जल संरक्षण को स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति से जोड़ दिया और कहा कि 2016 से मेरठ में में जल क्रांति शुरू होनी चाहिए। कमिश्नर के बयान पर तालियां पीट रहे खुले मंच पर बड़ी बातें करने वाले लोगों को शायद ही मालूम हो कि मेरठ में 'गंगाजल' नालों मे बह रहा है। जल संरक्षण के लिए एक्शन प्लान पर तो बात हुई किंतु पड़ताल नहीं की गई कि आखिर क्यों गंगाजल नालों में गिर रहा है।

क्या है स्थिति?

341 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी पेयजल परियोजना 'गंगाजल' लगभग पूर्ण हो गई है। जलापूर्ति शुरू करने के लिए सर्वप्रथम पांच क्यूसेक गंगाजल सर्किट हाउस स्थित क्लियर वाटर रिजरवायर में छोड़ा गया। पानी को 'गंदा' बताकर राजनीति हुई तो जल निगम पाइप लाइन साफ करना शुरू कर दिया। आश्चर्यजनक है कि पाइप लाइन सफाई के नाम पर एक माह से रोजाना पांच क्यूसेक पानी नालों में बहाया जा रहा है। रोजाना शहर के 62,500 लोगों के हिस्से का पानी मेघदूत और जली कोठी के नाले में गिर रहा है।

कुछ यूं बनी योजनाएं

योजना-1: जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एक सफल प्रयोग है जिससे 75 प्रतिशत तक जल को बचाया जा सकता है। जबकि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए जिम्मेदार संस्था मेरठ विकास प्राधिकरण बोर्ड के अध्यक्ष कमिश्नर हैं।

योजना-2: 50 तालाब चिह्नित किए जाएंगे, जिन्हें श्रमदान से खोदा जाएगा और उसके आसपास वृक्षारोपण कराया जाएगा। यथास्थिति यह है कि मेरठ के 1100 तालाब विलुप्त हो चुके हैं।

योजना-3: महापौर हरिकान्त अहलूवालिया ने सुझाव दिया कि शहर के 80 वार्डो में जल संरक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगे। जिस पर बैठक में मौजूद सभी लोग आमराय नहीं हो सके।

कुछ काम की बातें भी

बैठक में मेरा शहर मेरी पहल के प्रतिनिधि डॉ। विश्वजीत बेम्बी ने जल दोहन पर बताया कि स्नान करने से 165 लीटर, शौचालयों में 15 लीटर, दंत मंजन करने पर 9.5 लीटर, कपड़े धोने में 90 लीटर, गाड़ी को पोछने पर 40 लीटर, मग में शेव करने पर 9.5 लीटर, बाल्टी में पानी भरकर पोछा करने पर 40 लीटर तक पानी बचाया जा सकता है। आरओ के प्रयोग से 25 प्रतिशत पानी उपयोग में आता है जबकि 75 प्रतिशत पानी वेस्ट होता है।

ये रहे मौजूद

नीर फाउंडेशन के रमन त्यागी, जल बिरादरी से हिमांशु, गिरीश शुक्ला, बिजेन्द्र अग्रवाल, पंकज जौली, ठाकुर प्रतीश सिंह प्रो। मधु वत्स आदि के अलावा स्कूलों के प्रतिनिधि और समाजसेवी मौजूद थे।