मेरठ (ब्यूरो)। गौरतलब है कि इस ऐप की सुविधा को 4 साल पहले भी शुरू किया गया था, लेकिन अधूरी तैयारियों के साथ शुरु हुई यह पहल यात्रियों को सुविधा देने से पहले ही ठप हो गई। शहर को मिली सीएनजी सिटी बसों का डाटा भी इन ऐप पर अपलोड नही किया जा सका। ऐसे में अब इलेक्ट्रिक बसों के साथ यह ऐप दोबारा से यात्रियों की सुविधा के लिए शुरु किया जा रहा है।

बसों के रूट और समय की जानकारी
गौरतलब है कि महानगर में संचालित सिटी बसों की टाइमिंग से लेकर बसों के रूट का अपडेट देने के लिए चलो ऐप को मुख्यालय स्तर पर रिलांच किया जा रहा है। इस ऐप में इलेक्ट्रिक बसों समेत सीएनजी बसों और वोल्वो बसों का पूरा डाटा जीपीएस के माध्यम से फीड होगा। किस रूट पर कौन सी बस कितनी देर में कहां पहुंचेगी यह सब जानकारी यात्री को एप के माध्यम से मिलती रहेगी। बस का नंबर या रूट ऐप पर डालते ही बस की लोकेशन यात्री को मिल जाएगी। इसमें गूगल नेवीगेशन के माध्यम से रूटों की मैपिंग की जाएगी। इसके साथ बसों में जीपीएस सिस्टम इंस्टॉल किया जाएगा। इसके लिए सभी सिटी बसों का डाटा मुख्यालय भेजा जा चुका है।

जीपीएस नहीं, कैसे मिलेगी लोकेशन
हालांकि इस ऐप को चार साल पहले 2019 में भी लांच किया गया था। तब एमसीटीएस की करीब 126 बसों में यूएमसीसी कंपनी की ओर से जीपीएस लगाए जाने का दावा किया गया था। इस जीपीएस के माध्यम से बस की लोकेशन एप पर लोकेट किए जाने का दावा किया गया था। इसके लिए कंपनी के इंजीनियर ने मेरठ में 25 रूटों का सर्वे कार्य भी शुरु कर दिया था लेकिन ना तो बसों में जीपीएस लगे और ना ही एप का लाभ यात्रियों को मिल सका। स्थिति यह है कि गत वर्ष मिली 80 के करीब सीएनजी सिटी बसों में आज तक जीपीएस इंस्टॉल नही हो पाया है।

इस तरह काम करेगा ऐप
ऐप को कोई भी यात्री गूगल प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड कर सकता है

ऐप पर अपने रूट या बस नंबर को डालना होगा, उन्हें बसों की लोकेशन मिल जाएगी।

जिस स्थान से बस चलेगी उसके सभी स्टॉपेज और लोकेशन ऐप बताएगा।

ये है शहर में बसें
सीएनजी- 73,
वोल्वो बसें-12,
इलेक्ट्रिक बसें- 30

इस ऐप को रिलांच किया जा रहा है। ऐप के लिए सभी बसों के नंबर हमने मुख्यालय भेज दिए हैं। सीएनजी बसों में जीपीएस इंस्टॉल किया जाएगा। जल्द इसकी सुविधा यात्रियों को मिलेगी।
विपिन सक्सेना, एआरएम, सिटी ट्रांसपोर्ट

ऐप तो डाउनलोड कर लें लेकिन उस पर जानकारी भी पूरी तरह मिलनी चाहिए। अभी तो सिटी बसों की संख्या ही इतनी कम है कि रोड पर बसें दिखती तक नही।
अजित शर्मा

बसों की हालत इस कदर खराब है कि बस में बैठने तक की सही सुविधा नही है। 10 साल पुरानी सीएनजी बसों को शहर में संचालित किया जा रहा है। इसमें अब जीपीएस के नाम पर पैसे की बर्बादी होगी।
आदित्य

ऐप नई बस के लिए सही है। पुरानी बसों को इसमें शामिल नही किया जाना चाहिए। उनकी हालत पहले से ही खराब है।
अरुण