मेरठ में आंध्र प्रदेश और ओडि़शा से होती है तस्करी

- गांजे के अलावा अफीम, हीरोइन समेत कई तरह के नशे मेरठ में मशहूर

- अभी तक मेरठ में सबसे ज्यादा बार पकड़ा गया है हशीश गांजा

Meerut । सिगरेट और हुक्के का कश आजकल कोई यह मामूली कश नहीं है। उसमें हशीश, गांजा भरकर युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा पी रहे है। हशीश गांजा आजकल मेरठ के लोगों की काफी पसंद बना है। इसकी प्योरिटी होने के चलते इसका नशा युवा पीढ़ी के लोग ज्यादा कर रहे है। आंध्र प्रदेश और ओडि़शा से ही यह हशीश गांजा मेरठ में मुहैया कराया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों से बातचीत में निकलकर सामने आया है कि मेरठ में हशीश गांजा ही सबसे ज्यादा चलन में है। जब भी बड़ी कार्रवाई हुई है तो उसमें हशीश गांजा ही पकड़ा गया है। दरअसल, इसकी यहां पर डिमांड ज्यादा है। मेरठ से ही वेस्ट यूपी के कई जिलों में यह नशा चल रहा है। ओडि़शा और आंध्र प्रदेश के इस हशीश गांजे के लोग दीवाने है। भांग के ठेकों से लेकर शहर में जगह-जगह यह गांजा मुहैया कराया जा रहा है। हशीश गांजे का नशा भी कुछ अलग है और यह जल्दी चढ़ना शुरू हो जाता है, इसलिए इसको तस्कर सबसे ज्यादा मंगाते है।

ओडि़शा और आंध्र प्रदेश से तस्करी

सूत्रों के मुताबिक ओडिशा और आंध्र प्रदेश से गांजा मेरठ सबसे बड़े माफिया रेलवे रोड के यहां आता है। यहां से पूरे शहर में सप्लाई होता है। इन माफियाओं ने अपने यहां एजेंट भी रखे है जो जगह-जगह गांजे की सप्लाई करते है। हुक्का बार से लेकर कॉलेजों के आसपास भांग के ठेकों तक जो सप्लाई चेन है वह रेलवे रोड से चलती है। ओडि़शा और आंध्र प्रदेश से प्योर हशीश गांजा मेरठ तक आ रहा है, जिसकी सप्लाई होती है। एसटीएफ ने अभी तक जितनी बड़ी कार्रवाई की है उसमें हशीश गांजा ही बरामद किया गया है। बताते हैं कि इसकी प्योरिटी काफी रहती है। इसलिए इसकी डिमांड नशे के बाजार में ज्यादा रहती है। यहां से बड़ी खेप की सप्लाई पूरे शहर भर में होती है। एसटीएफ मेरठ यूनिट एक साल में 250 कुंतल गांजा बरामद कर चुकी है। यह सभी आंध प्रदेश और ओडिशा से मेरठ आता है।

क्या होता है नशा

एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक अभी तक मेरठ में जो गांजा आ रहा है। हशीश वैरायिटी का आ रहा है। हशीश एक किस्म का पौधा होता है। तकरीबन दो फीट ऊंचे इन पौधों की पत्तियों को सुखाकर उससे हशीश बनाई जाती है। और फिर इसे पाइप या फिर कागज में भरकर सिगरेट की तरह पिया जा सकता है। इसका तुरंत नशा चढ़ना शुरू हो जाता है। मेरठ में भांग के ठेकों और अन्य जगहों पर आसानी से यह उपलब्ध हो जाता है। कुछ लोग सिगरेट में भरकर पीना पसंद करते है जबकि कुछ लोग इसको हुक्का में डालकर पीते है, सब का नशा एक जैसा ही चढ़ता है। युवाओं के शौक के अनुसार ही सिगरेट और हुक्का में पिया करते है।

एक और दो ग्राम की पुडि़या

छोटी पुडि़या में वजन एक ग्राम का होता है जबकि बड़ी पुडिया में वजन दो ग्राम तक होता है। उससे ज्यादा वजन की पुडि़या में ढाई से तीन ग्राम तक का वजन होता है। जिनको सिगरेट और हुक्का में डालकर पिया जाता है। चरस हो या फिर गांजा सब का रेट अलग-अलग होता है। अलग-अलग रेटों की पुडि़या तस्कर और भांग के ठेके वाले बनाकर तैयार रखते है, जिसके बाद बेचना शुरू कर देते है।

इस तरह होते हैं दाम इतने

चरस - रूपये

छोटी पुडि़या 100 रुपए

बड़ी पुडि़या 200 रुपए

सबसे बड़ी पुडि़या 300 रुपए

गांजा

सबसे छोटा पूड़ा 60 रुपए

बड़ा पूड़ा 80 रुपए

सबसे बड़ा पूड़ा 120 रुपए

अफीम

सबसे छोटी डिब्बी 800 रुपए

बड़ी डिब्बी 1200 रुपए

सबसे बड़ी डिब्बी 1400 रुपए

ये हो चुकी है कार्रवाई

21 फरवरी 2020

ओडि़शा के कटक से ट्रक में छिपाकर गांजे की खेप मेरठ और फिरोजाबाद में लाई जा रही थी। एसटीएफ ने एटा में ट्रक की घेराबंदी करने के बाद पकड़ लिया। ट्रक के अंदर से 204 किलो गांजा बरामद किया गया था।

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6 फरवरी 2020

एसटीएफ ने कैराना से बड़ी मात्रा में स्मैक के साथ तीन तस्करों को गिरफ्तार किया था। आटे की बोरियों में छिपाकर नशीला पदार्थ लाए थे।

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13 नवंबर 2019

नौचंदी पुलिस ने गांजे की बड़ी खेप पकड़ी थी। ओडिशा से आगरा के रास्ते ट्रक में मेरठ लाई जा रही थी। गांजा ट्रक में स्टील की चादरों के बीच में छिपाकर लाया जा रहा था।

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12 नवंबर 2019

सदर पुलिस ने बीएसएफ जवान के बेटे को चरस की खरीदारी करते रंगे हाथ पकड़ा था। वह और उसका एक साथी मछेरान में रहने वाले सौदागर तस्लीम से चरस की खरीदारी करने आए थे। दोनों नोएडा के कॉल सेंटर में काम करते हैं।

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14 जुलाई 2019

एसटीएफ ने सरूरपुर के भूनी चौराहे से दो तस्करों को 235 किलो गांजा के साथ गिरफ्तार किया था। गांजे की गेंहू की बोरियों में गांजा छिपाकर लाए थे, जिसको पकड़ा गया था।

मेरठ में ओडि़शा और आंध्र प्रदेश से बड़ी मात्रा में गांजा आता है। जिस पर हमारी टीम लगातार कार्रवाई करती रहती है। लगातार चलन में चलने वाला हशीश वैरायिटी का गांजा मेरठ में लंबे समय से इस्तेमाल हो रहा है। इन पर लगातार कार्रवाई की जाती रहती है।

बृजेश सिंह

सीओ एसटीएफ