जिस शहर में ध्यानचंद रहे उसी शहर में हॉकी को नहीं मिल रही तवज्जो

कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में कई खेलों के लिए नहीं है कोच

अब मेरठ में स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री को लेकर भी की जा रही है मांग

Meerut। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की याद में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है, लेकिन देश में हॉकी को सुधारने और व‌र्ल्ड क्लास के प्लेयर्स तैयार करने को कोई खास कदम नहीं उठाए जाते हैं। ऐसा ही कुछ हाल मेरठ का भी है। यहां स्पो‌र्ट्स हब होने की वजह से यहां के कई नामचीन खिलाड़ी देश दुनिया में नाम कमा रहे हैं। मेरठ के कैलाश प्रकाश में एस्ट्रोटर्फ के लिए कोच कई बार शासन से मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक हालात नहीं सुधरे हैं। देश के सबसे पुराने हॉकी मेकर पंडित सोहन लाल शर्मा के पुत्र अरुण शर्मा ने हॉकी पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया था, उनके बाद से हॉकी मैदान से लगातार उतरती ही गई। अब हॉकी पर लोग जिक्र भी नहीं करना चाहते हैं, हॉकी कारोबर में आई बेतहाशा गिरावट आई है।

यहां हुई थी पोस्टिंग

बॉम्बे बाजार स्थित पं। सोहन लाल शर्मा हॉकी मेकर 1913 से मेरठ में हैं, ये लोग पाकिस्तान छोड़कर मेरठ आकर बस गए थे। हॉकी के जादूगर ध्यान चंद की जब मेरठ कैंट में पंजाब रेजीमेंट सेंटर में पोस्टिंग हुई, तो पंडित सोहन लाल शर्मा ने उनकी दोस्ती हो गई थी और परिवार में एक दूसरे के यहां आना जाना था। 1948 में ध्यान चंद परिवार के साथ आ गए थे और यहां करीब छह साल रहे। मेजर रैंक भी उन्हें इसी दौरान मिला ही उन्होनें यहां के उभरते खिलाडि़यों को हॉकी के लिए प्रेरित किया।

हॉकी क्लबों को जिंदा किया

मेजर ध्यान चंद्र पंजाब रेजीमेंट में थे, उस समय कैंट की काली पल्टन मंदिर के ठीक पीछे पंजाब रेजीमेंट सेंटर था। मेजर ध्यानचंद परिवार के साथ ग्रास फार्म रोड पर बनी सैंय आवासीय कॉलोनी में रहते थे। ड्यूटी के बाद मेजर ध्यानचंद कैंट के ग्रांउडस पर पहुंच जाते थे और यहां के हॉकी क्लबों के उभरते खिलाडि़यों को हॉकी के टिप्स देते थे। यही वजह रही की मेरठ में उनके रहने के दौरान हॉकी चमक गई थी, लेकिन फिर हॉकी सिमटती चली गई।

सिमट गई हॉकी

अब सिर्फ एसडी इंटर कॉलेज सदर और स्पोटर्स स्टेडियम में हॉकी कैंप होते है, या फिर मेरठ में एनएएस कॉलेज में बने हॉकी मैदान में हॉकी कोच प्रदीप चिन्योटी अपने स्तर पर गरीब बच्चों को हॉकी खेलने में मदद करते है। खास बात यह है कि यहां से हॉकी ओलंपियन एपमी सिंह, रोमियो जेम्स खिलाड़ी निकले हैं, जो मेरठ छोडकर दिल्ली चले गए। पंडित सोहन लाल शर्मा हॉकी मेकर कंपनी के मालिक अरुण का कहना है कि हॉकी से अब परिवार नहीं चलते हैं, इसलिए उन्होनें हॉकी पर बात करना बंद कर दिया है। हॉकी कोच प्रदीप चिंयोटी गरीब बच्चों की मदद करते हैं, इस साल प्रदीप चिन्योटी ने बीस खिलाडि़यों को एनएएस कॉलेज की ओर से हॉकी दिलवाई थी वह सुबह व शाम हॉकी खिलाडि़यों की कोचिंग देते हैं।

अटका पड़ा एस्टोटर्फ

खेलो इंडिया के अंतर्गत मेरठ सहित प्रदेश के चार शहरों में चल रहे निर्माण कार्य में दूसरों की गलती के कारण मेरठ का प्रोजेक्ट भी दो साल से रुका पड़ा है। कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में बन रहे हॉकी एस्ट्रोटर्फ के निर्माण के लिए मिली धनराशि की पहली किस्त में 1.50 करोड़ रुपये का कार्य शुरुआत दो साल हो गए है। अन्य शहरों के प्रोजेक्ट की धीमी गति के कारण केंद्र सरकार ने मेरठ की धनराशि की दूसरी किस्त भी जारी नहीं हो पाई। आलम यह है कि एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड में बिछी गिट्टियों पर भी ऊंची घास उग गई है, न्यूजीलैंड से मंगाया गया एस्ट्रोटर्फ भी स्टेडियम के ग्राउंड पर ही दो साल से मौसम के थपेड़े सह रहा है।

हॉकी हमारा नेशनल खेल है, मेरठ में एक से एक बढि़या खिलाड़ी है, यहां पर नेशनल स्तर पर बहुत से खिलाडी खेले हैं, यह तब है जब यहां पर एस्ट्रो टर्फ ग्राउंड नही हैं,

प्रदीप चिंयोटी, हॉकी कोच

सुविधाओं के अभाव में दम भर रहे सूरमां

कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में कई खेलों की स्थिति यह है कि यहां बीते चार साल से कोच की नियुक्ति ही नहीं है। जिसकी वजह से खिलाड़ी खुद ही एकलव्य बनने की प्रैक्टिस कर रहे हैं.आलम यह है कि तीरंदाजी, स्वीमिंग, टेबल टेनिस, लॉन टेनिस और क्रिकेट समेत कई अन्य खेलों की प्रैक्टिस खिलाड़ी बिना कोच के ही कर रहे हैं.वहीं ट्रेनिंग के नाम पर टैप्रेरी कोच द्वारा स्टेडियम में खिलाडि़यों को ट्रेनिंग दी जा रही है।

नहीं है रनिंग ट्रैक

रेस की तैयारी कर रहे खिलाडि़यों के लिए कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में रनिंग ट्रैक की सुविधा नहीं है।

शूटिंग रेंज में सुविधा नहीं

स्टेडियम में शूटिंग के लिए बनी रेंज में प्रतियोगिताओं में पार पाने लायक सुविधाओं का अभाव है जिसकी वजह से शार्दुल विहान और सौरभ चौधरी को दिल्ली की करणी रेंज का रुख करना पड़ा, हालांकि दोनों ने शुरुआत मेरठ स्टेडियम से ही की थी

क्रिकेट प्रैक्टिस के लिए पिच नहीं

स्टेडियम में क्रिकेट के खिलाडि़यों की प्रैक्टिस के लिए पूरे स्टेडियम में एक अदना सा कोना है जिसमें अक्सर पानी ही भरा रहता है। ऐसे ही हालातों में मेरठ ने देश की क्रिकेट टीम को कई शानदार प्लेयर्स दिए हैं।

स्पो‌र्ट्स यूनिवíसटी की उम्मीद

हालांकि, अब शहर को स्पो‌र्ट्स यूनिवर्सिटी की उम्मीद है। दरअसल, शहर राजनेता और व्यापारी स्पो‌र्ट्स यूनिवर्सिटी को मेरठ में बनवाने की मंाग कर रहे हैं।

छह साल बाद हुआ था रणजी

मेरठ में सुविधाओं के अभाव का ही नतीजा है कि रणजी मैच का आयोजन यहां 6 साल बाद हुआ था जो पिछले साल हुआ था। पवेलियन का स्तर खिलाडि़यों के लेवल का न होने की वजह ने भी रणजी को मेरठ से दूर कर दिया था।

मेरठ में इन गुड्स का उत्पादन

वेट लिफ्टिंग इक्विपमेंट, क्रिकेट इक्विपमेंट, एथेलेटिक्स इक्विपमेंट, बॉक्सिंग, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, कैरम बोर्ड, फिटनेस एंड एक्सरसाइज इक्विपमेंट, लेन मार्कर्स, बास्केट बॉल, नेटबॉल रिंग्स, आईटी एसेसरीज और स्पो‌र्ट्स एपेरल जैसे उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग की जाती है।

इतनी यूनिट हैं मौजूद

1200 से 1300 - पंजीकृत यूनिट हैं मेरठ में करीब

1,500 से 2,000 - गैर पंजीकृत यूनिट हैं मेरठ में करीब

आदेशों की अनदेखी

साल 2016 में सीएम योगी ने आदेश दिया था कि पैरा स्पो‌र्ट्स को बढ़ावा देने के लिए सभी स्टेडियम में जिस तरह की सुविधाएं नॉर्मल प्लेयर्स को दी जा रही हैं वो सभी सुविधाएं दिव्यांग प्लेयर्स को दी जाएं। मगर अभी तक स्टेडियम में पैरा स्पो‌र्ट्स को लेकर किसी सुविधा का इंतजाम नहीं किया गया है।

हमारे पास क्रिकेट, बैडमिंटन, एथलेटिक्स और शूटिंग के अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन सुविधाओं के मामले में हम अभी भी पीछे हैं जिस तरह से क्रिकेट में संस्थाओं और सरकार का सपोर्ट मिलता है, उसी तरह इन सभी खेलों के लिए भी प्राइवेट संस्थाओं और सरकार को आगे आना चाहिए

युद्धवीर सिंह, सेक्रेटरी, यूपीसीए

सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए, हमारे पास संसाधनों की कमी होने के बावजूद हर खेल में शानदार विश्वस्तरीय नाम हैं अगर बुनियादी सुविधाओं का टोटा खत्म हो जाए तो खिलाडि़यों की फेहरिस्त लंबी होने में वक्त नहीं लगेगा।

आदित्य शर्मा, शूटर

प्रदेश में पॉलिसी हैं लेकिन जो उन्हें लागू करने का किसी के पास टाइम ही नहीं है इसी वजह से प्रदेश के कई खिलाड़ी हरियाणा के लिए खेल रहे हैं सरकार का रवैया हमेशा से ही खिलाडि़यों को लेकर उदासीन रहा है, कोई बजट नहीं, कोई सुविधा नहीं बस जो चल रहा है चलने दो वाली नीति है सरकार की

अलका तोमर, रेसलर

खिलाड़ी को क्या चाहिए बस सुविधा, अगर वो मिल जाए तो खिलाड़ी अपने शहर और देश का नाम पूरी दुनिया के फलक पर लिख सकता है मेरठ के खिलाड़ी हर खेल में लगातार ऐसा कर भी रहे हैं

सचिन चौधरी, पैराओलंपियाड खिलाड़ी