मेरठ (ब्यूरो). सरकार की स्क्रैप पॉलिसी का विरोधाभास देखिएवाहन अगर प्राइवेट है तो नोटिस के बाद अब एक्शन होगा। लेकिन, पुराने सरकारी वाहनों को सड़क पर दौडऩे की खुली छूट अब भी हासिल है। न कोई नोटिस, न कोई एक्शन। दरअसल, शहर के प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए गत माह लागू हुई स्क्रैप पॉलिसी को जनपद के सरकारी विभाग ही पलीता लगा रहे हैं। स्कैप नीति के तहत जनपद के 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को सड़कों से हटाने की कवायद की जानी है। ऐसे में शहर के निजी वाहन मालिकों के खिलाफ तो ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग ने अभियान शुरू कर दिया है। लेकिन, सरकारी विभागों में सालों से संचालित हो रहे खटारा और आयु पूरी कर चुके वाहनों पर विभाग की नजर ही नहीं है। इसके चलते सरकारी विभागों में जमकर ऐसे वाहनों का प्रयोग हो रहा है।

कार्रवाई का अभियान शुरू
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 29 अक्टूबर 2018 को आदेश पारित करते हुए 10 वर्ष पुराने डीजल व 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों के संचालन पर पूर्णत: रोक लगा दी थी। न्यायालय से आदेश जारी होते ही शासन ने भी जिलों को आदेश जारी कर दिए और ऐसे वाहनों के सड़कों पर उतरने पर सख्त कार्रवाई का फरमान सुनाया। गत सप्ताह शुक्रवार को एडीजी ट्रैफिक कार्यालय की ओर से इस संबंध में आदेश जारी हुआ। जिसमें इस श्रेणी में आने वाले वाहनों पर सख्ती से रोक लगाने की हिदायत दी गई। कार्रवाई से जुड़ा एक प्रारूप भी तैयार करने को कहा गया है। जिसमें माह के प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ सप्ताह की कार्रवाई से जुड़ी रिपोर्ट प्रेषित करनी होगी।

सरकारी विभागों में वाहन
नगर निगम, आरटीओ, रोडवेज, वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, सिचांई विभाग, बिजली विभाग और पुलिस महकमे जैसे कई प्रमुख विभाग ऐसे हैं जो आज भी 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर निर्भर हैं। हालांकि नए वाहन सरकार द्वारा दिए जा चुके हैं फिर भी पुराने वाहनों का जमकर प्रयोग हो रहा है। इन वाहनों के फिटनेस से लेकर टैक्स आदि का भी कोई रिकॉर्ड परिवहन विभाग के पास नहीं है। वहीं, सरकारी विभाग में संचालित होने के कारण इन पर फिटनेस या टैक्स का दवाब भी नहीं बनाया जाता है। अब परिवहन विभाग के लिए ऐसे वाहनों पर लगाम कसना बहुत जरूरी हो गया है।

बढ़ा रहे पॉल्यूशन
जनपद में करीब 947543 वाहन ऑनरोड हैं। इस नियम के अनुसार एक अप्रैल के बाद से ऐसे करीब 161031 लाख वाहनों का जनपद की सड़कों से संचालन बंद होने की सभावना है। जो अभी तक पॉल्यूशन बढ़ाने में अपनी महती भूमिका निभा रहे थे।

रजिस्ट्रेशन सस्पेंड
गत माह से परिवहन विभाग ने ऐसे वाहनों की सूची तैयार कर नोटिस भेजने का काम शुरू कर दिया है। इस सूची के तहत गत एक माह में अपनी आयु पूरी होने के कारण रजिस्टे्रशन से बाहर हुए 59671 वाहन स्वामियों को नोटिस भेजा जा चुका है। इसके बाद वाहनों के मालिक एनसीआर से बाहर संचालन के एनओसी नहीं लेते हैं तो ऐसे वाहनों को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी।

फैक्ट-
947543 जिले में कुल ऑनरोड वाहन
161031 कुल प्रतिबंधित वाहन
84264 डीजल वाहन
835317 पेट्रोल वाहन
27980 सीएनजी वाहन
24354 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहन
134237 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन
2440 15 साल से अधिक पुराने सीएनजी वाहन

टैक्स का भी घालमेल
नियमानुसार उम्र सीमा पार कर चुके वाहनों का पंजीकरण आरटीओ में स्वत: निरस्त हो जाता है। लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है। पंजीकरण निरस्त नहीं होने के चलते इन वाहनों पर टैक्स का मीटर लगातार चल रहा है। हर साल करोड़ों रुपए का टैक्स इन वाहनों पर लग रहा है।

वर्जन
सरकारी विभागों में संचालित हो रहे वाहनों के संबंध में नोटिस जारी किया जाएगा। ऐसे वाहनों को विभागों ने खुद ही सरेंडर किया हुआ है। बाकि विभागों ने वाहन सरेंडर नहीं किए तो कार्यवाही होगी।
- सुधीर कुमार, एआरटीओ