30 साल बाद

बुधवार को कैंट बोर्ड के मौजूदा सीईओ डॉ। डीएन यादव वार्ड-7 के दौरे पर निकले तो उन्हें टंडेल मोहल्ले में एक धर्मशाला दिखाई दी। उन्होंने लोगों से पूछताछ की तो कोई भी ठीक से जवाब नहीं दे सका। सीईओ मौके पर सेनीटेशन और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को मौके पर बुला लिया। उस धर्मशाला की फाइल ओपन कराई तो देखकर चौंक गए।

तीस साल पहले

1983 में कालीचरण ने अपने माता-पिता और पत्नी की याद में धर्मशाला बनवाई थी। कैंट बोर्ड के तत्कालीन सीईओ सुभाष चंद नागपाल (दुर्गाशक्ति नागपाल के पिता) ने नोटिस देने शुरू किए। 17 जून 1983 को कैंट बोर्ड मीटिंग में धर्मशाला को गिराने का आदेश दिया गया। एक हजार स्कावयर फिट के इस धर्मशाला में 5 कमरे एक हॉल एक दुकान थी। ऊंचे रसूख रखने वालों सीईओ के आदेश को इस तरह से धुएं में उड़ा दिया और 27 सितंबर 1983 को हुआ स्वास्थ मंत्री के हाथों से धर्मशाला का उद्घाटन। उस वक्त सुभाष उस अवैध धर्मशाला पर कोई कार्रवाई नहीं कर सके थे। फिर इस धर्मशाला को दुर्गाप्रसाद ने चलाया। 1995 में वहां एक और हॉल बना। सन् 2002 में दुर्गाप्रसाद का निधन होने के बाद उनके बेटे राकेश सिंह धर्मशाला के केयर टेकर बन गए।

अब वैध होगी धर्मशाला

कैंट बोर्ड के मौजूदा सीईओ डीएन यादव का कहना है कि धर्मशाला में लोग अवैध रूप से कब्जा जमाए हुए थे। वहां फर्नीचर का काम हो रहा था। उनसे धर्मशाला खाली करा ली गई है। अगर धर्मशाला गरीबों के लिए थी तो वहां सालों से कोई आयोजन मुझे नहीं लगता हुआ होगा। वहां रह रहे लोगों से किराया तक वसूला जा रहा था, जो पूरी तरह से गैरकानूनी है। संबंधित लोगों को नोटिस भेजा जाएगा।

'उसे धर्मशाला ही रहने दिया जाएगा। उसका रेनोवेशन करने के लिए आदेश दे दिया है। इससे गरीब लोगों को काफी फायदा होगा.'

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड

'कैंट बोर्ड का एक्शन राजनीतिक षडय़ंत्र है। धर्मशाला में तीन-चार महीने पहले भी आयोजन हुए थे। वहां रहने वाले धर्मशाला के ही माली है। गोदाम से 1500 रुपए महीना किराया मिलता था, जो मेंटीनेंस पर खर्च हो रहा था.'

- राकेश सिंह, धर्मशाला का केयर टेकर