मानसून का सीजन आने वाला है, हर साल जरा सी बारिश में जलभराव से जूझने लगते हैं शहर के प्रमुख इंडस्ट्रियल एरिया

मोहकमपुर उद्योग पुरम में नहीं है सीवरेज की व्यवस्था, सांईपुरम और लोहियानगर में नहीं होती नालों की सफाई

Meerut। हर साल जरा सी बारिश होते ही शहर के कुछ प्रमुख इंडस्ट्रीयल एरिया उद्योग पुरम, सांईपुरम और लोहियानगर हर साल पानी में डूब जाते हैं। हालत यह है इन इंडस्ट्रियल एरिया में शहर की 70 प्रतिशत इंडस्ट्रीज का संचालन होने के बाद भी ये इंडस्ट्रियल एरिया मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यहां सीवर लाइन बंद हैं और नाले गंदगी और सिल्ट से अटे पड़े हैं। सड़क तो हैं पर गड्ढों से भरी हुई हैं। इस कारण हर साल शहर का प्रमुख इंडस्ट्रियल एरिया जलभराव की समस्या से जूझता है। मगर नगर निगम सब कुछ जानकर अनजान बना हुआ है।

नालियां ओवर फ्लो

मोहकमपुर उद्योगपुरम शहर का प्रमुख इंस्ट्रीयल एरिया है। यहां आईआईए भवन समेत सैकड़ों इंडस्ट्रीज हैं। इसके बावजूद आज तक यह क्षेत्र विकास की मूलभूत जरुरतों को तरस रहा है। सबसे बड़ी बात ये कि इस पूरे एरिया में जल निकासी के लिए सीवरेज सिस्टम नगर निगम आज तक नहीं बना पाया है। केवल नालियों पर यहां की इंडस्ट्रीज का जल निकासी का सिस्टम निर्भर है। जबकि बरसात में यह नालियां ओवर फ्लो हो जाती है और नालियों का पानी बडे़ नाले में जाने के बजाए सड़कों पर ही भर जाता है। इसका नतीजा है कि उद्योगपुरम की मेन रोड पर दो-दो फुट गहरे गड्ढे हैं, जो बरसात में कीचड़ से भर जाते हैं। इस दौरान इन सड़कों से गुजरना दूभर हो जाता है।

जलभराव की समस्या

हर साल जरा सी बारिश के दौरान मोहकमपुर, उद्योगपुरम की सड़कें पानी से भर जाती हैं। इतना ही नहीं, कई इंडस्ट्रीज में अंदर तक पानी भर जाता है। तेज बारिश में खुद आईआईए भवन तक में बरसात का पानी भरा रहता है। सीवर व नाले जाम होने के कारण यहां से पानी कई कई दिन तक नहीं निकल पाता है। वहीं जब पानी उतरता है तो सड़कें कच्ची होने के कारण पूरी तरह कीचड़ से पट जाती हैं। जिसमें दुपहिया तो क्या चौपहिया वाहन भी फंस जाते हैं। आईआईए द्वारा कई सालों से जल निकासी के लिए नालों को साफ करने की मांग की जा रही लेकिन नाले साफ न होने के कारण जल निकासी की व्यवस्था चौपट है।

जल निकासी की दरकार

वहीं, हर साल बरसात शुरू होते ही शहर के आउटर में बनाया गया नया औद्योगिक क्षेत्र लोहियानगर भी हर साल जलभराव की समस्या से जूझता है। ये इलाके नगर निगम सीमा में शामिल होने के बाद भी नगर निगम की सभी मूलभूत सुविधाओ से महरूम हैं। न सिर्फ इन जगहों पर हाउस टैक्स से लेकर वाटर टैक्स तक वसूला जाता है बल्कि सीवर टैक्स भी भेजा जाता है जबकि खास बात है कि क्षेत्र में सीवर लाइन तक नहीं है। इसके अलावा शहर के प्रमुख बुनकर नगर और किदवई नगर की जहां शहर के प्रमुख कुटीर उद्योगों का संचालन होता है। वहां बरसात के दौरान गलियों से लेकर घरों तक में पानी भर जाता है। इसका नतीजा यह है कि यहां के लोग अब मकान बेचकर पलायन को मजबूर हो गए हैं।

अधूरी सीवर और डेयरियां बनी जलभराव का कारण

दरअसल, कांच का पुल के पास स्थिति किदवई नगर, लुहारपुरा, विकासपुरी और बुनकर नगर बरसात के दौरान हर साल जलभराव से जूझते हैं। सबसे प्रमुख कारण है कि इस क्षेत्र की जल निकासी ओडियन नाले पर निर्भर है। मगर इन क्षेत्रों का ग्राउंड लेवल नाले के लेवल से नीचा है। ऐसे में जब बरसात होती है तो पानी नाले में जाने के बजाए बैक होकर गलियों में भर जाता है। दूसरा इस क्षेत्र में जल निकासी पूरी तरह नालियों पर निर्भर है, जबकि इस क्षेत्र में चल रही अवैध डेयरियों के गोबर के कारण नालियां ज्यादातर चोक रहती हैं। तीसरा इस क्षेत्र में सीवर लाइन की व्यवस्था बनाने का निगम पिछले तीन साल से प्रयास कर रहा है। इस प्रयास में गलियों में तो निगम ने सीवरलाइन डाल दी लेकिन मेन रोड की लाइन से उन्हें जोड़ा ही नहीं गया है। ऐसे में सीवर लाइन शोपीस बना हुआ है। इन प्रमुख समस्याओं के कारण यह क्षेत्र हर बरसात में जलभराव की समस्या से जूझता है।

हम लगातार पिछले कई सालों निगम और प्रशासन से मांग कर रहें कि मोहकमपुर एरिया की सीवरेज सिस्टम को बनाया जाए। जिसके बाद ही मोहकमपुर को जलभराव की समस्या से निजात मिल जाएगी। मगर यहां सीवर तो दूर की बात, नालों तक की सफाई कई साल से नहीं हुई है। जिस कारण से पानी नहीं निकल पाता है।

अनुराग अग्रवाल, चेयरमैन, आईआईए

यहां जलभराव होने का प्रमुख कारण है जलनिकासी न होना। मोहकमपुर में नालियों की व्यवस्था पूरी तरह से खराब है और जगह-जगह नालियां बंद हैं। पानी नाले तक जाने के बजाए सड़क पर ही भर जाता है। सड़कें कच्ची हैं इसलिए जरा सी बारिश से कीचड़ हो जाती है। इस साल निगम ने कुछ योजना बनाई हैं, मगर देखना ये है कि ये कब तक पूरी होती हैं।

अंकित सिंघल, सचिव, आईआईए

जब तक मोहकमपुर और उद्योगपुरम से जुडे़ नालों की व्यवस्था सही और उनकी पूरी तरह सफाई नहीं होगी तब तक जलभराव की समस्या बनी रहेगी। मेवला फाटक से खड़ौली गांव तक जो नाला बनाया गया है, वह केवल इंडस्ट्रीज के लिए बना था। मगर अब इस नाले में सभी क्षेत्रों का पानी जाता है इसलिए यह नाला ओवर फ्लो हो गया है।

अतुल भूषण गुप्ता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आईआईए

कपडे़ के सैकड़ों कुटीर उद्योग चलते हैं मगर हर साल बरसात में यहां जलभराव से बुरा हाल हो जाता है। बुनकर नगर में बरसात में नालियों का पानी ओवर फ्लो होकर इन छोटी इंडस्ट्रीज में भर जाता है। लोग घर बेचकर जाने को मजबूर हो गए हैं। कई बार निगम से इस समस्या के निस्तारण की मांग भी की लेकिन नालियों की सफाई तक नही हो रही है।

शरीफ अहमद

यहां की गलियों का लेवल ओडियन नाले के लेवल से ऊंचा होना चाहिए तब जाकर यहां जलभराव की समस्या का समाधान हो पाएगा। वहीं सीवर लाइन को जल्द से जल्द चालू किया जाए। अभी तो केवल गलियों में सीवर बनाकर खानापूर्ति कर दी गई है। नगर निगम को पहल करते हुए मानसून के मौसम से पहले यहां की समस्या का समाधान करे।

हाजी सलीम अंसारी

मोहकमपुर इंडस्ट्रीयल एरिया में बरसात से पहले लगातार साफ-सफाई कराई जा रही है। नालियों से लेकर मेन नाले की सफाई हुई है लेकिन तेज बारिश में कुछ समय के लिए पानी भर जाता है। नाले साफ हैं इसलिए पानी तुरंत उतर भी जाता है। बाकि दोबारा नाले साफ कराए जाएंगे।

डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी