दिल्ली से लाई मशीन और डाई से तैयार करते थे नकली एचएसआरपी

- तीनों आरोपी भेजे जेल, 20 हजार करीब नकली एचएसआरपी बना चुके आरोपी

Meerut । वाहनों की एचएसआरपी यानि हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट की व्यवस्था में सेंधमारी हो गई। बीते शुक्रवार को न्यू मोहनपुरी और थापर नगर में नकली एचएसआरपी की फैक्ट्री पकड़ी गई। यहां से 418 एचएसआरपी के साथ तीन आरोपियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया। आरोपियों ने पूछताछ में जो बताया, वो चौंकाने वाला है। पुलिस के मुताबिक आरोपी मेरठ समेत आसपास के जिलों में अब तक करीब 20 हजार नकली एचएसआरपी बेच चुके हैं। वहीं पुलिस ने बताया कि आरोपियों के पास से भारी मात्रा में होलोग्राम समेत इंडिया लिखे हुए स्टीकर भी मिले हैं।

418 एचएसआरपी बरामद

एसपी सिटी डॉ। अखिलेश नारायण सिंह ने बताया कि सिविल लाइन पुलिस ने शुक्रवार को न्यू मोहनपुरी में नकली एचएसआरपी बनाने की फैक्ट्री पकड़ी थी। इसमें फैक्ट्री स्वामी तनुज अग्रवाल और राज को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि फैक्ट्री में आरोपियों के पास से 400 एचएसआरपी बरामद की गई थी। पूछताछ के बाद सदर बजार पुलिस ने थापर नगर में छापा मारकर एक तीसरे आरोपी संदीप को पकड़ा और उसके कब्जे से भी 18 फर्जी एचएसआरपी बरामद की।

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ऐसे तैयार करते थे एचएसआरपी

- आरोपी डेढ़ साल से नकली एचएसआरपी बना रहे थे।

- वे दिल्ली से लाई मशीन और डाई के जरिए प्लेट पर नंबर्स को उभारकर हूबहू असली की शक्ल देते थे।

- इसके बाद प्लेट पर होलोग्राम लगाया जाता था।

- आखिर में इंडिया लिखा स्टीकर लगाकर प्लेट को फाइनल टच देते थे।

- 500 से 800 रुपये में बेचते थे नकली हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट

- अब तक करीब 20 हजार करीब नकली एचएसआरपी बेच चुके आरोपी

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असली और नकली का फर्क

नकली और असली एचएसआरपी में बस एक मोनोग्राम का अंतर रहता है। अगर प्लेट नकली है तो मोनो ग्राम का कोड स्कैन नहीं होगा लेकिन यह स्कैन होने पर ही पता चलता है।

डीलर या ऑनलाइन के जरिए

परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार केवल चार ही कंपनियां एचएसआरपी बनाती हैं। जो केवल डीलर माध्यम या ऑनलाइन माध्यम से ही वाहन मालिक को उपलब्ध होती हैं। वहीं नंबर प्लेट फैक्ट्री का भंडाफोड़ होने के बाद शनिवार को शहर की कई दुकानों में छापेमारी की गई लेकिन पुलिस को कुछ हाथ नहीं लगा।

यह है एचएसआरपी की पहचान

- हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट पर 10 डिजिट का लेजर-ब्रांडेड परमानेंट आईडेंटिफिकेशन नंबर होता है।

- इस आईडेंटिफिकेशन नंबर में वाहन का चेसिस और इंजन नंबर से लेकर वाहन मॉडल समेत वाहन स्वामी तक की जानकारी छिपी होती है।

- एचएसआरपी अशोक चक्र वाला एक होलोग्राम स्टीकर होता है

- इस पर लिखा नंबर इलेक्ट्रॉनिकली वाहन से जोड़ा जाता है। एक बार जुड़ने के बाद इसे वाहन से अलग नहीं किया जा सकता है।

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इस मामले में हमने पुलिस को असली एचएसआरपी की पहचान से संबंधित गाइडलाइन की जानकारी दे दी है। अधिकृत एजेंसी के माध्यम से ही एचएसआरपी का कोड विभाग की वेबसाइट पर अपडेट किया जाता है। इसके लिए खुद वाहन मालिकों को जागरुक होना पडेगा।

श्वेता वर्मा, एआरटीओ

इस मामले में पूछताछ के बाद कई तथ्य सामने आए हैं, उनके आधार पर अन्य दुकानों पर चेकिंग की जा रही है।

एएन सिंह, एसपी सिटी