मेरठ (ब्यूरो)। रोडवेज बस के सफर की बात हो तो सबसे पहले दिमाग में एक खटारा बस की तस्वीर उभरने लगती है। जिसकी खिड़की का शीशा टूटा हुआ है और या फिर खिड़की जाम पड़ी है या फिर सीटें जर्जर हालत में हैैं। मगर अब इस तस्वीर को बदलने की जुगत में परिवहन निगम जुट गया है। जिसके बाद यात्रियों को न बसों की कमी झेलनी पड़ेगी और न ही खटारा बसों में सफर करना पड़ेगा।

मुख्यालय से आया आदेश
लगातार बढ़ रही शिकायतें और बसों की जर्जर हालत के कारण सफर में यात्रियों को हो रही असुविधाओं को देखते हुए परिवहन निगम के प्रबंधक निदेशक के स्तर पर रोडवेज की निगम और अनुबंधित बसों की भौतिक दशा को सुधारने का आदेश जारी किया गया है। इस आदेश के बाद प्रत्येक बस के भौतिक सत्यापन के बाद ही उसका संचालन किया जाएगा। इसके लिए कुछ प्रमुख बिंदु निर्धारित किए गए हैं। जिनके आधार पर भौतिक सत्यापन होगा।

इन बिंदुओं पर होगा सत्यापन
बॉडी कंडीशन
बस का पेंट
रिफ्लेक्टिव टेप
डेस्टिनेशन बोर्ड
अगली व पिछली विंड शील्ड
खिडकियों के शीशे
बस की बाहरी व अंदर की साफ सफाई
फर्श की स्थिति
छत की दशा
हैटरेस्ट और लगेज रैक
विशिष्ट जनों की सीट मार्किंग
फायर एक्सटिंग्यूशर की स्थिति

बस का होगा निरीक्षण
दरअसल, लखनऊ मुख्यालय से जारी आदेश के मुताबिक एक जनवरी से परिवहन निगम को यात्रियों के लिए ऐसी बसों का इंतजाम करना होगा जिनकी हालत प्राइवेट बसों से भी बेहतर होगी। इतना ही नहीं, हर सफर पर जाने से पहले बस का निरीक्षण किया जाएगा और पूरी तरह फिट होने के बाद ही रूट पर बस को उतारा जाएगा। बस का निरीक्षण खुद ड्यूटी इचार्ज से लेकर आरएम तक करेंगे।

सुधार नहीं तो जुर्माना
यह व्यवस्था एक जनवरी से लागू होगी। इन सभी बिंदुओं को अपडेट करने के बाद ही बस को रूट पर उतारा जाएगा। इसके बाद ऑन रोड बस का औचक निरीक्षण किया जाएगा। यदि निरीक्षण के दौरान बस में खामियां मिली तो विभिन्न स्तर पर जुर्माना वसूला जाएगा। यह जुर्माना चालक से लेकर गु्रप इंचार्ज, सीनियर फोर मेन, ड्यूटी क्लर्क, स्टेशन इंचार्ज, एआरएम, सेवा प्रबंधक से लेकर खुद आरएम स्तर तक पर लगेगा।

रोडवेज बसों की हालत इस कदर खस्ता होती है कि नए कपड़े पहन कर जाओ तो गंदे हो जाते हैं। फिटनेस तो दूर कम से कम सफाई ही सही हो जाए तो काफी है।
संचित

सर्दियों और बरसात के मौसम में बसों की खिड़की के टूटे शीशों के कारण यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। कम से कम इसको सही किया जाए।
विशाल

बस में सीटों और खिड़की की हालत, जगह-जगह फैली गंदगी आदिं को दूर कर दिया जाए तो रोडवेज बसों का सफर आरामदायक हो सकता है।
गोविंद

सीट और खिड़कियों का दुरूस्त होना तो दूर, रोडवेज बसों की धुलाई तक कई-कई महीनों नहीं होती है। बेसिक स्तर पर काम होने से ही हालत सुधरेगी।
अंकुर

बसों की हालत सुधारने के लिए सभी एआरएम, अनुबंधित बस मालिकों और स्टेशन इंचार्ज को निर्देशित किया जा चुका है। जो भी कमियां हैं, उनको जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।
केके शर्मा, आरएम