सियाचिन ग्लेशियर पर 16 हजार फिट की ऊंचाई पर बने पोस्ट पर अचानक बदले मौसम ने ढाया कहर

सियाचिन में शहीद सूबेदार वीरेंद्र को सैन्य सम्मान से अंतिम विदाई

Meerut। सियाचिन ग्लेशियर में 16 हजार फिट की ऊंचाई पर सरहदों की सुरक्षा में तैनात मेरठ के सूबेदार वीरेंद्र कुमार शर्मा को शनिवार को अंतिम विदाई दी गई। पोस्ट की कमान संभालने के लिए सैनिकों की टुकड़ी की अगुवाई करते हुए ऊंचाई पर पहुंचे सूबेदार वीरेंद्र कुमार बर्फीली पहाडि़यों पर सेना के सबसे बड़े दुश्मन मौसम से जीवन की जंग हार गए। पोस्ट पर पहुंचने के दूसरे दिन सुबह अचानक मौसम बदलने से उन्हें आक्सीजन की कमी महसूस हुई और हृदय गति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई। शनिवार शाम पांच बजे सैनिक उनका पार्थिव शरीर लेकर मेरठ पहुंचे। पूरे सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई।

दिल्ली से आया शव

रोहटा रोड पर सरस्वती विहार कालोनी फेज-दो के रहने वाले और सेना के 143 मीडियम रेजिमेंट में कार्यरत रहे सूबेदार वीरेंद्र कुमार की मृत्यु 14 अप्रैल को सुबह हुई थी। इसके बाद ग्लेशियर से नीचे लाकर सैन्य व मेडिकल प्रक्रिया पूरी करने के बाद शनिवार सुबह 11:50 बजे की फ्लाइट सैनिक पार्थिव शरीर लेह से लेकर निकले। दोपहर करीब डेढ़ बजे दिल्ली पहु़ंचे। दिल्ली में सैन्य सलामी देने के बाद शाम करीब साढ़े छह बजे सरस्वती विहार स्थित श्मशान घाट में छोटे भाई कुलदीप शर्मा व बेटे विवान ने मुखाग्नि दी। 24 गन सैल्यूट के साथ सैन्य सलामी देने के लिए छावनी से ब्रिगेडियर रजनीश ने सलामी दी। इस मौके पर सांसद राजेंद्र अग्रवाल, विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी सहित अन्य सैन्य व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।

छलके आंसू

सैन्य वाहन में शहीद का पार्थिव शरीर सरस्वती विहार पहुंचा। अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को घर के भीतर ले गए। भीतर पहुंचते ही पत्नी रीना शर्मा, बड़ी बेटी कशिश, छोटी बेटी मुस्कान सहित घर व आस-पास की तमाम महिलाओं का क्रंदन गूंज उठा। पिता मंगल सिंह और ससुर सतपाल विश्वकर्मा सहित परिवार के अन्य सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल था। तबियत खराब होने के कारण पत्नी रीना को पहले शहादत की सूचना नहीं दी गई थी लेकिन दोपहर बाद उन्हें अनहोनी का आभास होने लगा तो परिजन ने उन्हें भी जानकारी दी। रीना की अंतिम बार 13 अप्रैल को ही बात हुई थी जब वह पोस्ट पर जाने वाले थे। दूसरे ही दिन ऐसी घटना की सूचना आएगी, यह परिवार ने नहीं सोचा था।

अगले महीने आना था घर

सियाचिन में करीब सात महीने से कार्यरत रहे। चरणबद्ध तरीके से वह पोस्ट पर ड्यूटी करने के लिए तैयार होते हुए आगे बढ़ रहे थे। सियाचिन से पहले सूबेदार वीरेंद्र कुमार बठिंडा में करीब चार साल कार्यरत रहे। इससे पहले भी उन्होंने जम्मू, भूटान आदि जगहों पर सेवाएं दी हैं। मूल रूप से रोहटा मीरपुर के निकट भदौड़ा के रहने वाले सूबेदार वीरेंद्र कुमार व उनके भाई कुलदीप करीब 12 साल से रोहटा रोड स्थित सरस्वती विहार कालोनी में रह रहे थे। कुलदीप भी सेना में कार्यरत हैं। दोनों भाइयों ने यहां अपना मकान बनाया है। सूबेदार वीरेंद्र कुमार की बड़ी बेटी कशिश 14 साल की है और कक्षा नौवी में पढ़ रही है। दूसरी बेटी मुस्कान 11 साल की है और सातवीं में पढ़ रही है। सबसे छोटा बेटा विवान सात साल का है।