मेरठ ब्यूरो। पहले कोरोना की मार फिर यूक्रेन रूस युद्ध का असर झेल चुकी पेपर इंडस्ट्रीज ने पेपर की डिमांड इस कदर बढ़ा दी अब अपने ही देश में पेपर की कमी हो चुकी है। इसका नतीजा सीधे तौर पर अभिभावकों पर पडना शुरु हो गया है। पेपर की कमी के कारण इस बार भी कापी किताब के दाम आसमान छूने लगे हैं। नए शैक्षिक सत्र में किताब, कॉपियों के रेट 40 फीसदी तक बढ़ गए हैं। कॉपी किताब के दाम के चलते स्टेशनरी की कीमतों में भी 25 प्रतिशत तक का इजाफा देखने को मिल रहा है स्थिति यह है कि नर्सरी से लेकर आठवीं क्लास तक का सिलेबस बीए, बीएससी, बीकॉम के सिलेबस से भी मंहगा पड़ रहा है।
पेपर की कमी का असर
एक अप्रैल से सीबीएसई के नए शैक्षिक सत्र का शुभारंभ होने जा रहा है। स्कूलों ने नए सेशन के सिलेबस की लिस्ट अभिभावकों को पकड़ा दी है। ऐसे में कोरोना के चलते दो साल से नुकसान झेल रहे बुक सेलर और प्रकाशकों ने गत वर्ष ही दाम बढ़ाना शुरु कर दिया था। लेकिन तभी रूस- यूक्रेन युद्ध ने इस दामों की आग में घी का काम किया जिसके चलते गत वर्ष कापी किताबों के दाम में 20 से 25 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया था। यह इजाफा साल भी जारी है। जिसके चलते इस बार गत वर्ष से दोगुना इजाफा देखने को मिल रहा है।
प्रिंटिग भी हुई महंगी
वहीं इस बार कागज की कमी के चलते महंगाई बढ़ गई है। सरकार पेपर का एक्सपोर्ट अधिक कर रही है जिसका असर किताब, कॉपियों पर देखने को मिल रहा है। युद्ध के कारण पहले से ही पेपर की शार्टज थी इसके साथ ही सरकार ने अन्य देशों को पेपर की सप्लाई बढ़ाकर इस संकट को बढ़ा दिया है। इन्हीं कारणों से पेपर इंडस्ट्री में अचानक 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत महंगाई के साथ कागज में उपयोग होने वाले कच्चे माल की भी शॉर्टेज हो गयी है। इसमें पेपर में इस्तेमाल होने वाला एक प्रमुख केमिकल भी शामिल है। इस कारण प्रकाशकों को रिप्रिंटिंग भी महंगी हो गई है। इसके चलते निजी प्रकाशकों ने किताबों के दाम बीते वर्षों के मुकाबले 40 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ा दिए हैं, वहीं एनसीईआरटी की किताबों के दामों में भी इस बार इजाफा हुआ है।
नर्सरी से लेकर 12वीं तक बढ़े दाम
स्टेशनी बाजार पर नजर डालें तो नर्सरी से लेकर 12वीं तक की कापी किताबों के रेट पर एकदम से इजाफा होना शुरु हुआ है। निजी प्रकाशनों की पुस्तकों के नर्सरी का कोर्स 1500 से 2200 रुपये तक मिल रहा है। जबकि कक्षा एक से पांचवीं तक का कोर्स 2500 से 3500 रुपये में मिल रहा है। वहीं इंटरमीडिएट की किताबों के दाम 2200 से 3000 रुपये तक हो गए हैं। जबकि एनसीईआरटी की यहीं पुस्तकें सिर्फ 500 रुपये तक में ही मिल रही हैं।

यह है स्थिति-
कोर्स निजी प्रकाशन
नर्सरी 1500- 2200
एक से पांच तक 2500-3500
छह से आठवीं 3800-4500
10 वीं से 12वीं 4000- 5000

पेपर की शार्टेज और गर्वमेंट की कुछ पॉलिसी के कारण इस बार कापी किताब के दाम में 40 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। वहीं स्टेशनरी के दाम में भी 25 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है। पेपर की देश में अत्याधिक शार्टेज है लेकिन उसके बाद भी सरकार एक्सपोर्ट अधिक कर रही है। इसके कारण पेपर के दाम में इजाफा हुआ है।
- आशीष धस्माना, अध्यक्ष उप्र बुक सेलर एसोसिएशन

किताब कापी के दाम में 35 से 40 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है। कोरोना के दौरान रेट रिवाइज नही हुए थे लेकिन उसके बाद से पेपर की कीमतों में इजाफा होने से कापी किताब के दामों में इजाफा होना शुरु हुआ है और स्टेशनरी के दाम भी इस बार अधिक हैं।
- संजय अग्रवाल, सचिव मेरठ स्टेशनरी एसोसिएशन

पेपर की कमी, लेबर की कमी, डीजल के दाम में इजाफा कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारण है जिसके कारण प्रिटिंग कॉस्ट बढ़ गई है। लेबर की इतनी शार्टेज है कि डबल खर्च पर काम कराना पड़ रहा है। पेपर के रेट में 40- 45 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। इस कारण से बुक्स मंहगी हैं।
- मनोज अग्रवाल, डायरेक्टर, मैन हैटन पब्लिशिंग हाउस