कोरोना के कारण दो साल से नहीं खुल रहे स्कूल, स्टेशनरी कारोबारियों का व्यापार हुआ ठप

करीब 500 से अधिक स्टेशनरी से जुड़े व्यापरियों के सामने खड़ा हुआ रोजी-रोटी का संकट

Meerut। कोरोना संक्रमण के कारण स्टेशनरी व्यापारियों का मार्च-अप्रैल माह का दूसरा प्रमुख सीजन भी फ्लॉप हो गया। कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन और ऑनलाइन पढ़ाई व्यवस्था के कारण स्टेशनरी कारेाबारियों पर दोहरी मार पड़ी है। पिछले करीब 14 माह से अधिक वक्त से देशभर में स्कूल बंद हैं, जिस वजह से स्कूलों में इस्तेमाल होने वाले चीजें नहीं बिक सकी हैं। इसका असर स्टेशनरी से जुड़े कारोबारियों पर पड़ा है। स्टेशनरी के सामान जैसे-कॉपी, पेंसिल, ज्योमेट्री बॉक्स वगैरह लॉकडाउन के वक्त गोदामों में पड़े रह गए। स्टेशनरी से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि दो सालों में करीब 10 करोड़ का नुकसान हुआ है। करीब 500 से अधिक स्टेशनरी से जुड़े व्यापरियों पर इस महामारी के चलते रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

व्यापारियों पर दोहरी मार

कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन से पहला सीजन खराब होने के बाद इस साल जनवरी माह से ही सारे स्टेशनरी वालों ने अपना स्टाक गोदामों में जमा करके रख लिया था। दरअसल, अप्रैल, मई और जून में स्टेशनरी के कारोबार का पीक टाइम होता है। मगर इस साल भी अप्रैल में दोबारा लॉकडाउन लग गया। अप्रैल से बाजार पूरी तरह बंद हैं, जिसकी वजह से स्टेशनरी कारोबारियों को बहुत नुकसान हुआ है।

इन पर छाया संकट

मेरठ में करीब 105 कारोबारी बुक सेलर एसोसिएशन और 170 कारोबारी मेरठ स्टेशनर्स एसोसिएशन से जुड़े है। इसके अलावा मेरठ में लगभग एक हजार से अधिक स्टेशनरी का कारोबार करने वाले लोग हैं, जिसमें होलसेलर, मेन्युफैक्चरर्स, रिटेलर, फाइल वाले, कॉपी वाले, पेपर वाले से लेकर माल पहुंचाने वाली लेबर आदि शामिल हैं। मगर लॉकडाउन के कारण इन सबके रोजगार पर संकट आ गया है।

आंकड़े एक नजर में

करीब 550 स्टेशनरी से जुड़े व्यापरियों पर इस महामारी का सीधा असर पड़ा है।

स्टेशनरी से जुड़े व्यापार में करीब 10 करोड़ का नुकसान हुआ है।

मेरठ में करीब 105 बुक सेलर एसोसिएशन और 170 करीब मेरठ स्टेशनर्स एसोसिएशन से जुड़े व्यापारी।

लॉकडाउन में करीब 100 करोड़ का स्टॉक गोदामों में रखा रह गया है।

तीन महीनों में करीब 5 से 7 करोड़ तक का कारोबार होता था।

ऑनलाइन क्लासेज के कारण बुक्स का काम 70 से 80 प्रतिशत।

कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन से दुकान मे रखा रखा 60 से 70 लाख रुपए का माल दुकानों में पड़ा है। इसके अलावा स्कूलों में होने वाली बिक्री भी जीरो हो गई है। स्टेशनरी को अनिवार्य वस्तु में शामिल किया जाए ताकि लॉकडाउन जैसी स्थिति में बच्चों की शिक्षा का नुकसान न हो और व्यापारी का नुकसान भी कम हो।

अशीष धस्माना, अध्यक्ष, मेरठ बुक सेलर्स एसो।

अप्रैल, मई और जून ये तीन महीने स्टेशनरी कारोबारियों के लिए पीक सीजन के होते हैं। हर साल इन तीन महीनों में करीब 5 से 7 करोड़ तक का कारोबार होता था। मगर पीक सीजन फ्लॉप होने के कारण पिछले साल से लगातार हम नुकसान में ही कारोबार कर रहे हैं। ऑनलाइन क्लासेज के कारण तो स्टेशनरी का पूरा व्यापार ही चौपट हो गया है।

संजय अग्रवाल, महामंत्री, मेरठ बुक सेलर्स एसो।

जनवरी के महीने से स्टेशनर्स मैन्युफैक्चर से माल स्टॉक करना शुरू कर देते हैं। मगर अप्रैल में कोरोना के चलते अचानक लॉकडाउन लगने से करीब 100 का स्टॉक गोदामों में रखा रह गया है। उसका नुकसान काफी हद तक व्यापारियों को झेलना होगा। सरकार को स्टेशनरी को भी अनिवार्य वस्तु में शामिल करते हुए बिक्री की अनुमति देनी चाहिए।

विजय जैन, अध्यक्ष, स्टेशनरी एसोसिएशन

ऑनलाइन क्लासेज के दौरान भी स्टेशनरी में स्कूल बैग, बोतल, सेलो टेप, जियोमैट्री बॉक्स, गम स्टिक, किताबें, कॉपियां और फाइल की लगातार डिमांड बनी हुई है लेकिन बाजार बंद होने के कारण अभिभावक खरीद नहीं पा रहे हैं। प्रशासन द्वारा लॉकडाउन में व्यापारियों को छूट दी जानी चाहिए। यदि बाजार खुल जाए तो स्टेशनरी कारोबारियों के साथ अभिभावकों को भी राहत मिलेगी।

मनोज गुप्ता, टीटू स्टेशनर्स, आबूलेन