मेरठ (ब्यूरो)। किसी भी शहर के कैंट एरिया का नाम सुनते ही आपके दिमाग एक स्मार्ट एरिया की तस्वीर उभरती है। जिसमें हर तरफ हरियाली, चौड़ी-चौड़ी साफ और गड्ढामुक्त सड़कें होती हैैं। मगर मेरठ कैंट की बात करें तो यहां काफी कुछ तस्वीर से मेल नहीं खाता। जैसे गड्ढे वाली सड़कें, भरभराते नाले, चौक-चौराहों और गलियों में कूड़े के ढेर, टूटे पड़े डिवाइडर और डस्टबिन व सड़कों किनारे सूखे पेड़-पौधे। ऐसा नहीं है कि कैंट बोर्ड इस बाबत कोई बजट नहीं खर्च नहीं करता, करता है और हर साल किया जाता है। मगर हालात जस के तस बने रहते हैैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के कैमरों में तस्वीरें मायनों में कहा जाए तो बजट के नाम पर लोगों के पैसे को बर्बाद किया जा रहा है।

40 लाख की मशीन
कैंट बोर्ड ने 2021 में कूड़ा उठाने की दो मशीने खरीद थी। जिनकी कीमत करीब 40 लाख रुपये है। मगर आज तक सड़कों से कूड़ा साफ नहीं हुआ। न ही इसकी कोई प्रॉपर व्यवस्था की गई है।

25 करोड़ का बजट
कैंट बोर्ड ने हाल ही में क्षेत्र में सौंदर्यीकरण के नाम पर 25 करोड़ का बजट जारी किया था। मगर न तो कहीं सौंदर्यीकरण होता दिखा और न ही टूटे डिवाइडरों और बंद पड़े फव्वारों को चालू किया जा सका।

10 लाख के डस्टबिन
यूं तो कैंट बोर्ड में साल 2018 में सड़कों किनारे फैले रहने वाले कूड़े को व्यवस्थित करने के लिए 45 जगहों पर डस्टबिन लगाए थे। लेकिन आज न तो कहीं डस्टबिन नजर आते हैैं और न ही सड़कों से कूड़ा हटा है। डस्टबिन लगाने में करीब 10 लाख का बजट खर्च किया गया था।

10 लाख था किराया
कैंट क्षेत्र में करीब सालभर से ज्यादातर सड़कें टूटी पड़ी है। हाल ही में एक-आध सड़क का निर्माण किया गया है, लेकिन इस ज्यादातर सड़कों को अभी भी वही हाल है। दो साल पहले कैंट बोर्ड ने क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए किराए पर बकायदा नोएडा से मशीनें मंगाई थी। जिनकी किराया करीब 10 लाख रुपये था। मगर ये सड़क एक साल भी नहीं चल पाई।

1.60 लाख के टैैंकर
कैंट बोर्ड के पास क्षेत्र में हरियाली को मेंटेन रखने के लिए करीब 4 टैैंकर हैैं। जिनसे पेड़-पौधों को पानी दिया जाता है। मगर ये टैैंकर भी लंबे समय से कैंट बोर्ड के ऑफिस में खड़े रहते हैैं। 2015 खरीदे गए इन टैैंकरों की कीमत करीब एक लाख 60 हजार रुपये हैैं। मगर न तो पेड़ों को पानी दिया जाता है और न ही पॉल्यूशन बढ़ जाने पर इनसे छिड़काव किया जाता है।

90 लाख की जेसीबी
कैंट में नालों की सफाई के लिए कैंट बोर्ड ने 2018 में तीन जेसीबी खरीदी थी। एक जेसीबी की कीमत करीब 30 लाख रुपये थे। 90 लाख में खरीद गई इन जेसीबी से केवल बरसात में नाले साफ किए जाते हैैं। नालों की सफाई के नाम पर भी बस खानापूर्ति ही होती है। इसके बाद पूरे साल ये मशीनें बस शोपीस बनकर खड़ी रहती हैैं।

15 गाडिय़ां 1.65 लाख की
कैंट बोर्ड ने क्षेत्र में बीते दो सालों से डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का नियम बना रखा है। इसके लिए 2021 में बकायदा 15 कूड़ा गाड़ी भी खरीदी गई। एक कूड़ा गाड़ी की कीमत करीब 11 लाख रुपये हैै। इस हिसाब से कूड़ा गाडिय़ों की खरीद पर खर्च किया गया करीब एक करोड़ 65 लाख का बजट भी बेकार गया। कारण, कैंट में डोर-डोर कूड़ा कलेक्शन के नाम पर केवल वीआईपी इलाकों या मोहल्लों के मुख्य मार्ग से कूड़ा कलेक्शन कर इतिश्री कर ली जाती है।

एक नजर में
कूड़ा गाड़ी - 15 - 1.65 लाख - 2021
जेसीबी - 3 - 90 लाख - 2018
टैैंकर - 4 - 1.60 हजार - 2015
कूड़ा उठाने वाली मशीन - 2 - 40 -2021
डस्टबिन - 45 - 10 लाख - 2018