- विद्या ग्लोबल स्कूल में पहुंची क्लासिकल मणिपुरी डांसर बिंबावती देवी ने डांस और संगीत का सही अर्थ बताया

Meerut : स्पिक मैके ने आज युवाओं को अपनी परंपराओं से जोड़ा है। गवर्नमेंट स्कूलों एवं प्राइवेट स्कूलों में स्पिक मैके के कार्यक्रमों से स्टूडेंट को जोड़ा जा रहा है। जिससे युवाओं को अपनी संस्कृति की जानकारी मिलती है। मेरठ के विद्या ग्लोबल पब्लिक स्कूल में पहुंची मणिपुरी डांसर बिंबावती देवी ने इन्हीं विचारों के साथ अपने एक्सपीरियंस शेयर किए। बिंबावती मणिपुरी डांस गुरु विपिन सिंह की बेटी है। उनकी मां कलावती देवी कलकत्ता की रविंद्रनाथ भारत यूनिवर्सिटी में मणिपुरी डांस की एचओडी रही हैं। बिंबावती ने अपने अनुभवों को आई नेक्स्ट के साथ साझा किया।

- आप पहले भी मेरठ आई हैं?

मैं पहली बार मेरठ आई हूं, मेरठ के साथ मेरा एक्सपीरियंस बहुत ही अच्छा रहा है। लोगों का संगीत को लेकर काफी रूझान है, अच्छा लगता है यह देखकर कि युवाओं में भी संगीत के प्रति इतनी रुचि है।

- स्पिक मैके के माध्यम से विभिन्न राज्यों की संस्कृति को जोड़ने और भाषाओं में होने वाले मतभेद को खत्म करना भी उद्देश्य है, क्या आपको ऐसा लगता है।

संगीत ही वो माध्यम है, जिससे विभिन्न भाषाओं को जोड़ा जा सकता है। मैं मानती हूं कि स्पिक मैके का उद्देश्य देशभर के विभिन्न राज्यों को जोड़ना है और भाषाओं को भी जोड़ना है।

- डांस कल्चर के बारे में आपका क्या कहना है?

लोगों ने डांस कल्चर को केवल इंडियन एवं वेस्टर्न कल्चर तक ही सीमित रख दिया है। जबकि डांस की कई सारी विधियां हैं, डांस एक सुंदर शालीन प्रक्रिया है, डांस की प्रक्रिया तो भगवान से मिलाने की भी शक्ति रखती है।

- म्यूजिक को लेकर लोगों में बहुत भ्रांतियां है, क्या आपको ऐसा लगता है।

मेरा मानना है कि संगीत केवल गीत नहीं है। बल्कि संगीत तो नृत्य, गीत और वादन तीनों से मिलकर बना है। संगीत इन तीनों विधियों के बिना अधूरा है। लोगों में संगीत को लेकर गलत धारणा है।

- आपको डांस म्यूजिक के लिए कैसे और कब प्रेरणा मिली ?

जवाब- मेरे पिताजी मणिपुरी डांस गुरु रहे हैं और माता जी भी मणिपुरी डांस की एचओडी है, इसलिए मुझे उन्हीं से पे्ररणा मिली है। मुझे बचपन से ही डांस का बहुत शौक था, मेरा सपना था।

सवाल- मेरठ के युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?

मैंने नोट किया है कि लोगों को म्यूजिक एवं डांस जैसे कल्चर की पूरी नॉलेज नहीं है। इसलिए यही कहना है कि पेरेंट्स व स्कूल दोनों को ही भारत से जुड़ी संस्कृति एवं परंपराओं से युवाओं को जोड़ना चाहिए। हालांकि स्कूलों में स्पिक मैके के माध्यम से प्रयास किया जा रहा है। जिसमें कोऑर्डिनेटर सुचिता का बहुत ही सहयोग रहा है, आशा है कि इससे युवाओं को अधिक से अधिक जानकारी मिलेगी।