-किसानों ने एमडीए अफसरों के सामने रखी दस मांगें

-अफसरों ने कहा स्टडी करने के बाद ही पाएगा निर्णय

रूद्गद्गह्मह्वह्ल: नई अधिग्रहण नीति के अंतर्गत मुआवजे की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन पर उतारू किसानों से वार्ता करने के लिए एमडीए अफसर गुरुवार को शताब्दीनगर पहुंचे। एमडीए अफसरों ने किसानों से उनकी मांगों के बारे में विचार विर्मश करते हुए बीच का कोई रास्ता निकालने का निवेदन किया, जिस पर किसानों ने मांगों से हटने का साफ इंकार कर दिया।

किसानों की दस मांगें

वार्ता करने पहुंचे एमडीए के अफसरों के सामने दस सूत्रीय मांग पत्र रखते हुए कार्रवाई की मांग की, जिस पर एमडीए सचिव सौम्य श्रीवास्तव ने मांगों पर विचार कर कोई निर्णय लिए जाने की बात कही। इस बीच किसानों ने नई भूमि अधिग्रहण नीति के अंतर्गत मुआवजा भुगतान की मांग, सीलिंग की जमीन को अर्जन मुक्त करना व आबादी वाली जमीन को अर्जन मुक्त करने की मुख्य मांगे रखी।

तीन दिन पूर्व डीएम ने ली थी बैठक

किसानों द्वारा बढ़े हुए मुआवजे के भुगतान की मांग को लेकर जिलाधिकारी पंकज यादव ने एमडीए अफसरों और किसानों की बैठक बुलाई थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि एमडीए अफसर मौके पर जाकर किसानों से वार्ता करें और उनकी मांगों पर विचार कर उसकी एक रिपोर्ट प्रशासन को सौंपे।

क्या है मामला

1987 में मेरठ विकास प्रधिकारण ने शताब्दीनगर में जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसमें जमीन पर काबिज किसान चार बार अतिरिक्त मुआवजा उठा चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके एमडीए जमीन पर भौतिक कब्जा नहीं ले पाया है।

छह माह से बैठे धरने पर

भुगतान की मांग को लेकर पिछले छह माह से धरने पर बैठे शताब्दीनगर के लोगों के सब्र का बांध बृहस्पतिवार को टूट गया और वह पानी की टंकी पर चढ़ गए।

इस मौके पर किसान यूनियन के संजय दौरालिया, विजय पाल घोपला, जितेन्द्र घोपला, अनिल घोपला, सुभाष, चौधरी ।

किसानों से वार्ता की गई है, इस दौरान उनकी मांगों पर भी विचार किया गया। अब एमडीए के दोनों आला अधिकारियों से विचार विमर्श के बाद अग्रिम निर्णय लिया जाएगा।

मांगे राम चौहान, तहसीलदार एमडीए