जोन के आठ जिलों में गोकशी के मामले में मेरठ अव्वल
63 मामलों में 151 आरोपी अभी तक नामजद
जनवरी से अब तक गोकशी के 35 आरोपी मुठभेड़ के बाद भेजे गए जेल
सेटिंग के चलते गोतस्करों की जिले की सीमा पर पड़ने वाली पुलिस चेक पोस्ट पर नहीं होती चेकिंग
Meerut। जोन में मेरठ गोकशी का गढ़ बनता जा रहा है। योगी सरकार के कड़े निर्देशों के बावजूद यह धंधा कैसे फल-फूल रहा है, इसका जवाब किसी पुलिस अधिकारी के पास नहीं है। मेरठ जोन में गोकशी के आंकड़ों पर नजर डालें तो मेरठ इसमें सबसे आगे हैं। मेरठ में लगभग रोजाना गोकशों के हाफ एनकाउंटर होने के बावजूद पुलिस इस बाबत गंभीर नहीं है। हालांकि पुलिस का दावा कि इस साल में जनवरी से अब तक गोकशी के 35 आरोपी मुठभेड़ के बाद दबोचकर जेल भेजे गए हैं। हैरत की बात ये है कि पुलिस द्वारा लगातार किए जा रहे हाफ एनकाउंटर्स के बावजूद गोकशी का ग्राफ जिले में तेजी से कैसे बढ़ रहा है।
चेक पोस्ट पर चेकिंग नहीं
सूत्रों के मुताबिक आसपास के जिलों से मेरठ में भारी मात्रा में तस्करी कर गोवंश लाए जा रहे हैं। अक्सर रात में ट्रक, डीसीएम या छोटे हाथी में भरकर लाए जाने वाले गोवंश मेरठ की सीमा में एंर्ट्री से पहले पुलिस चेक पोस्ट से होकर गुजरते हैं। मगर इन चेक पोस्ट पर पुलिस द्वारा गोवंश लादकर शहर की सीमा में एंट्री कर रहे वाहनों की चेकिंग नहीं की जाती है। सूत्रों के मुताबिक इन चेक पोस्ट पर पहले से इस ऐसे वाहनों को ग्रीन सिग्नल देने के लिए हफ्ता बंधा होता है। इसी के चलते तस्कर गोवंश को लेकर मेरठ की सीमा में आसानी से एंट्री कर जाते हैं।
ये हैं चेक पोस्ट
1. परतापुर तिराहा
2. मोदीपुरम फ्लाईओवर के नीचे
3. तेजगढ़ी
4. गंगानगर
5. कंकरखेड़ा शिवचौक
सेटिंग-गेटिंग का खेल
सूत्रों के मुताबिक गोतस्करों का थाना स्तर पर भी हफ्ता बंधा होता है। जिले की सीमा में एंट्री के बाद कटान करने वाली जगहों से संबंधित थानों में माह दर माह और साल दर साल हफ्ता पहुंचता रहता है। गोकशी के मामलों में गोतस्करों और गोकशों पर तो खानापूर्ति के लिए कार्रवाई हो जाती है लेकिन पुलिस कभी इन्हें संरक्षण देने वालों के गिरेबां पर हाथ नहीं डालती। जिले के जिन एरिया में सबसे ज्यादा गोकशी की घटनाएं सामने आती हैं, उनमें आज तक गोकशी बंद नहीं हुई है। इसी के चलते पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठते हैं।
यहां सबसे ज्यादा गोकशी के मामले
1. भावनपुर
2. किठौर
3. खरखौदा
4. लिसाड़ी गेट
5. परतापुर
6. कोतवाली
7. इंचौली
8. मुंडाली
9. किठौर
10. सरधना (सबसे ज्यादा गोकशी की घटनाएं)
सुरक्षित नहीं गोवंश
सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद सड़क पर घूमने वाले गोवंश सुरक्षित नहीं है। सूत्रों की मुताबिक गोतस्कर अलग-अलग इलाकों में गली-मोहल्ले, कॉलोनी या फिर सड़क पर घूमते गोवंश को चिन्हित कर उठा ले जाते हैं। गोतस्कर इतने एक्सपर्ट होते है कि ये गोवंश को उठाने के लिए फोर व्हीलर गाडि़यों का इस्तेमाल करते हैं। दरअसल, एक गाड़ी में एक बार में चार से पांच गोवंश आ जाते हैं और किसी को भनक भी नहीं लगती। इसके बाद इन गोवंश को तस्करी कर कटान सेंटर पर पहुंचा दिया जाता है।
घटनाओं का खुलासा नहीं
बीते दिनों मुंडाली के अलावा परतापुर थाना क्षेत्र में बिजली बंबा बाईपास पर गोवंश के अवशेष मिले थे। वहीं लिसाड़ी गेट क्षेत्र में एक माह में गोकशी की चार घटनाओं समेत एक दर्जन से ज्यादा घटनाएं दर्ज हैं। मगर पुलिस इन घटनाओं का पुलिस खुलासा नहीं कर पाई है।
मेरठ जोन का आंकड़ा (एक जनवरी से 30 नवंबर तक)
जिला गोकशी नामजद
मेरठ 63 151
गाजियाबाद 01 04
बुलंदशहर 20 63
बागपत 16 39
हापुड़ 01 08
सहारनपुर 18 52
मुजफ्फरनगर 12 45
शामली 08 21
गोकशी करने वालों के खिलाफ अभियान जारी है। गोकशी करने वालों पर गुंडा और गैंगस्टर एक्ट भी लगाया जा रहा है। गोकशी की घटना जिस जिले में ज्यादा है, वहां कार्रवाई भी ज्यादा हुई है। मुठभेड़ में कई गोतस्करों को गोली लगी है।
राजीव सभरवाल, एडीजी जोन