973 दुकानें संचालित हो रही हैं निगम की शहर के बाजारों में

383 मूल आवंटियों को दुकानों का सर्वे कराकर नगर निगम ने भेजा नोटिस

300 रुपये किराया वसूल करता है निगम दुकानों के मूल आवंटी से

2 से 3 हजार रुपये तक किराए मूल आवंटी वसूल करते हैं सिकमी किराएदार से

Meerut। नगर निगम की दुकानों पर कई सालों से अपना कब्जा जमाए बैठे किराएदारों की नगर निगम ने तलाश शुरू कर दी है। इस तलाश के बाद निगम की दुकानों को खुद के नाम पर अलॉट कराकर दूसरों को किराए पर देने वाले आवंटियों पर नगर निगम सख्त कार्रवाई करेगा। इसके तहत उनका आवंटन भी रद किया जाएगा। इसके लिए नगर निगम ने बकायदा दुकानों का सर्वे कराकर नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

कब्जे में दुकानें

गौरतलब है कि शहर में नगर निगम द्वारा बाजार विकसित कर दुकानें किराए पर दी जाती हैं। कई बाजारों में नगर निगम की दुकानें किराए पर चल रही हैं। इनमें घंटाघर पालिका बाजार, भगत सिंह मार्केट, मेट्रो प्लाजा के पास, शारदा रोड, तेजगढ़ी चौराहे के पास आदि जगहों पर नगर निगम की दुकानें हैं। निगम के मुताबिक इन बाजारों में निगम की तकरीबन 973 दुकानें हैं। मगर पिछले कई साल से यह दुकानें मूल आवंटियों ने किराए पर उठा रखी हैं। यानि इन दुकानों को सिकमी किराएदार संचालित कर रहे हैं। नगर निगम से मूल आवंटियों ने 300 रुपये तक किराए पर दुकान ली हुई है। वहीं 2 से 3 हजार रुपये तक किराए पर आगे किराएदारों से मूल आवंटी वसूल रहे हैं। इससे निगम के राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है। अब अपने राजस्व को बढ़ाने और ऐसे आवंटियों पर कार्रवाई के लिए नगर निगम ने सर्वे शुरू कर दिया है।

क्या होता है सिकमी किराएदार

शहर में बाजार को विकसित करने के लिए नगर निगम दुकानों को विकसित करता है। इसके बाद इन दुकानों को आवंटित करता है। इनसे निगम ही किराए वसूल करता है। मगर यही आवंटी खुद दुकानें न चलाकर दूसरों को दुकान किराए पर उठा देते है। इनसे मूल आवंटी दुकानों का मनचाहा किराया वसूल करता है। ऐसे लोगों को सिकमी किराएदार कहते हैं।

383 किराएदारों को नोटिस

नगर निगम ने शहर के बाजारों में सर्वें कराकर सिकमी किराएदार रखने वाले लगभग 383 मूल आवंटियों को नोटिस भेजा है। इस नोटिस में कहा गया है कि दुकान खुद के नाम अलॉट कराकर खुद काम करने के बजाए किसी अन्य व्यक्ति को किराए पर दिया जाना या संयुक्त किराएदारी पर रखना नगर निगम अधिनियम व आवंटन की अनुबंध की शर्तो के विरूद्ध है। अनुबंध की शर्तो का उल्लंघन करने पर अनुबंध निरस्त किया जा सकता है। ऐसे में इन व्यापारियों से नोटिस का जवाब मांगा गया है। इस सप्ताह नोटिस का संतोषजनक जवाब ना देने वाले आवंटियों का आवंटन रद किया जाएगा।

सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ऐसे आवंटनों को निरस्त करते हुए दुकान को सिकमी किरायेदार से खाली कराया जाएगा और दोबारा आंवटन प्रक्रिया के माध्यम से जरुरतमंदों को दुकानें आवंटित की जाएगी।

ब्रजपाल सिंह, सहायक नगर आयुक्त

खराब हैंडपंप पर लगाएंगे लाल निशान

भूमिगत पानी में कैंसर के सबसे बड़े कारक क्रोमियम, पारा और आयरन की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में हैंडपंप से पानी घातक हो गया है। शहर के अधिकतर हैंडपंपों का पानी पीने योग्य तक नही बचा है। वहीं, शहर में जगह-जगह लगे कई हैंडपंप खराब हैं, इनका प्रयोग नही हो रहा है, लिहाजा अब नगर निगम ऐसे खराब पड़े हैंडपंप पर लाल निशान लगाएगा। इसके लिए नगरायुक्त ने हैंडपंप का सर्वे कर लाल निशान लगाने के आदेश दिए हैं।

खराब पानी कर देगा सेहत खराब

गौरतलब है कि क्रोमियम, पारा और आयरन जैसी घातक घातु के मिश्रित पानी पीने से कैंसर के अलावा अन्य जानलेवा बीमारियां पैदा होती है। अभी हाल ही में एनजीटी ने इस मामले की सुनवाई करते हुए जल निगम को गंभीर होती जा रही इस समस्या को प्राथिमकता पर निपटाए जाने के आदेश दिए थे।

पीने योग्य नहीं पानी

एनजीटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ के भूगर्भ जल में अपमिश्रण मिला है। वहीं, आयरन की अधिकता की वजह से हैंडपंपों का पानी पीने योग्य नहीं पाया गया। वहीं शहर में जगह जगह हैंड पंप की हालत इस कदर जर्जर है कि उसमें पानी ही नही आ रहा या फिर आसपास की गंदगी के बीच ही हैंड पंप के पानी का प्रयोग हो रहा है। अब ऐसे हैंडपंपों पर जल निगम लाल निशान लगाकर इनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाएगा।

लगेंगे लाल निशान

इसके लिए नगरायुक्त मनीष बंसल ने खराब हैंड पंप का सर्वे कर उन पर लाल निशान लगाने का आदेश दिया है। हालांकि, निगम अभी प्राथमिकता के स्तर पर सिर्फ खराब हैंड पंप पर ही लाल निशान लगाकर उनकी हालत सुधारने का काम कर रहा है।