मेरठ के ब्रह्मापुरी में रहने वाली डेढ़ साल की ईशानी को निकली दुर्लभ, एसएमए-टाइप टू बीमारी

दिल्ली में चल रहा इलाज, 22 करोड़ के इंजेक्शन से बचेगी जान

>Meerut देशभर में चर्चा में आया तीरा कामत जैसी दुर्लभ बीमारी का मामला अब मेरठ में भी सामने आया है। ब्रह्मापुरी स्थित मास्टर कॉलोनी निवासी डेढ़ साल की बच्ची ईशानी वर्मा में तीरा की तरह स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (एसएमए) टाइप-2 की पुष्टि हुई है। ईशानी के पिता अभिषेक ने बताया कि बच्ची का इलाज फिलहाल दिल्ली के एम्स में चल रहा है। उसकी जिंदगी बचाने के लिए दुनिया की सबसे महंगी दवा जोलगेंसमा की जरूरत है। इस इंजेक्शन की कीमत टैक्स सहित 22 करोड़ रुपये है। ये वहीं इंजेक्शन है जो तीरा को लगाया जाना है.

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गंगाराम अस्पताल में हुई पुष्टि

अभिषेक वर्मा ने बताया कि अप्रैल 2020 में पहली बार ऐसा हुआ बेटी ने पैर हिलाने बंद कर दिए। बॉडी का वेट आता था तो गिर जाती थी लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। बाद में प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया लेकिन उससे कुछ समझ नहीं आया। इसके बार 22 नवंबर 2020 को पहली बार एम्स के लिए अप्रोच किया। 23 दिसंबर 2020 की डेट मिली और पीडियाड्रिक डिपार्टमेंट में बच्ची को दिखाया। यहां पता चला की नसों से संबंधित बीमारी है इसके बाद उन्होंने 16 जुलाई 2021 की डेट मिली, लेकिन समय ज्यादा था इसलिए सर गंगाराम अस्पताल में अप्रोच किया और 26 दिसंबर 2020 को वहां ब्लड सैंपल लिए गए। 12 जनवरी 2021 को बच्ची की रिपोर्ट में डॉक्टर्स ने स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी स्टेज 2 की पुष्टि की। सेकेंड ऑपिनियन के लिए उन्होंने 22 जनवरी को एम्स में दिखाया। यहां भी डॉक्टर्स ने बीमारी की पुष्टि की।

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फंड जुटाने में जुटा परिवार

ईशानी के पिता प्राइवेट नौकरी करते हैं। उन्होंने बताया कि ईशानी के इलाज के लिए डॉक्टर्स ने दो तरीके बताए हैं। एक तकनीक में बच्ची को करीब 16 करोड़ का इंजेक्शन जोलगेंसमा लगना है। इसमें 6 करोड़ करीब टैक्स लगना है। जबकि दूसरी तकनीक के तहत 5 करोड़ का स्पिनरजा इंजेक्शन लग सकता है। इस तकनीक के तहत पहले साल स्पाइन में ये इंजेक्शन लगाया जाता है। इसके एक साल बाद हर तीन महीने पर इंजेक्शन लगाया जाता है। इसके मेंटेनेंस पर एक बार में करीब 17 लाख रूपये का खर्च आता है। अभिषेक ने बताया कि इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया, फंड रेजिंग साइट्स मिलाप और इंपेक्ट गुरु से मदद ली है।

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ैक्ट फाइल

- जोलगेंसमा इंजेक्शन लगाने के लिए मरीज की उम्र 2 साल से कम होनी चाहिए। वजह भी 20 किलो से कम होना चाहिए। ईशानी का वजन 9 ि1कलो है।

- स्विटजरलैंड की नोवाíटस कंपनी जोलगेन्स्मा इंजेक्शन तैयार करती है। कंपनी दुनियाभर के 50 लोगों को यह दवाई लकी ड्रा के तहत मुफ्त में देती है। अभिषेक ने एम्स के जरिए इसके लिए भी अप्लाई किया है।

- ईशानी के लिए बुधवार शाम तक करीब 91 हजार रूपये डोनेट किए जा चुके है।

- बीमारी के चलते बच्ची पैर नहीं हिला पाती है। खाने में सिर्फ हल्की चीज की खा पाती है। राइड हैंड शोल्डर से अप होता है लेकिन लेफ्ट हैंड शोल्डर से अप नहीं होता है। बच्ची फिलहाल बैठ सकती है।

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ये है एसएमए

स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी यानी एसएमए ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन नहीं होता। इससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं खत्म होने लगती हैं। दिमाग की मांसपेशियों की एक्टिविटी भी कम होने लगती है। ये कई तरह की होती है।

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इनका है कहना

एसएमए एक न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर होता है। ये जेनेटिक बीमारी है जो जींस के म्यूटेंट होने से अगली पीढ़ी में पहुंचती है। बच्चे में यह डिसऑर्डर होने पर धीरे-धीरे उसका शरीर कमजोर पड़ने लगता है।

डॉ। संजय शर्मा, न्यूरो सर्जन, मेरठ।