मेरठ ब्यूरो। रैपिडएक्स सेवाओं के साथ एनसीआरटीसी, महिलाओं की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण के लिए भी प्रयास कर रहा है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए एनसीआरटीसी ने हाल ही में डी। एन। डिग्री कॉलेज में छात्राओं के लिए एक आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया जिसमें मेरठ के विभिन्न कॉलेजों से लगभग 200 छात्राओं ने भाग लिया।

200 लड़कियों को दी ट्रेनिंग

यह कार्यक्रम एशियन डेवलेपमेंट बैंक (एडीबी) द्वारा प्रशास्ति जेएफपीआर (जापान फंड फॉर प्रॉस्परस एंड रेजिलिएंट एशिया एंड द पेसिफिक) अनुदान के तत्वावधान में आयोजित किया गया। एनसीआरटीसी अपने विजन के अनुरूप महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए समय-समय पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता रहता है और इनके माध्यम से अबतक लगभग 200 लड़कियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

इनके अलावा, टैक्सी चालकों को प्रशिक्षण, जेंडर सेन्सटाइजेशन के लिए ड्राइवरों एवं कनडेक्टरों का प्रशिक्षण तथा रोजग़ार के लिए कौशल विकास जैसी पहल की जाती रहती है जो परियोजना की समावेशिता और लैंगिक समानता समेत अन्य सामाजिक पहलुओं पर इसके सकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डालती है। आने वाले दिनों में एक बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं को सिलाई एवं मॉडर्न टेलरिंग के काम का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। सुरक्षा की भावना होगी सुदृढ़ एनसीआर के इस क्षेत्र के निवासियों के अधिकांश निर्णयों का आधार या पैमाना सुरक्षा रहा है। इसके अभाव का खामियाजा विशेषकर महिलाओं को भुगतना पड़ता है। इसलिए, इस कार्यक्रम की प्रतिभागी छात्राओं ने कहा कि इस कार्यक्रम ने उनके आत्मविश्वास में बढ़ावा करने के साथ-साथ सुरक्षा की भावना को भी सुदृढ़ किया है। ऐसे कार्यक्रम के माध्यम से इस क्षेत्र की महिलाओं को प्रगति और सशक्तिकरण के कई महत्वपूर्ण अवसर मिलेंगे। एक कॉलेज के प्राचार्य ने भी छात्राओं को यह महत्वपूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एनसीआरटीसी का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रशिक्षण उच्च शिक्षा और करियर उन्मुख छात्राओं के लिए बहुत महत्व रखता है और इस तरह की रचनात्मक पहल सराहनीय है तथा भविष्य में भी आयोजित की जाती रहनी चाहिए। तकनीकि के महत्व पर दिया जोर कार्यक्रम में अतिथि के रूप में शिरकत कर रहे सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने दुनिया में आत्मरक्षा की समकालीन प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने मसल मेमोरी और सीखी गई तकनीकों के लगातार अभ्यास के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इंसान स्वयं खुद का बचाव करते हैं, हथियार नहीं। छात्राओं द्वारा प्रशिक्षण के दौरान सीखी गई आत्मरक्षा तकनीकों की एक प्रस्तुति भी दी जिसमें उन्होंने नए कौशल का प्रदर्शन किया गया। प्रतिभागियों को उनके समर्पण और प्रशिक्षण को सफल बनाने के लिए प्रमाण पत्र और ट्रैकसूट वितरित किए गए।