अंदाज से होती है रीडिंग

अगर किसी के घर बंद है और दो तीन दिनों तक मकान मालिक के आने का कोई अंदाजा नहीं है तो विभाग के कर्मचारी अंदाज से रीडिंग करके लेकर चले जाते हैं, जिससे आने वाले बिल में काफी गड़बड़ी मिलती है। इसे ठीक कराने के लिए पब्लिक को विभाग के अधिकारियों के पास चक्कर लगाने पड़ते हैं। अगर कोई घर में नहीं है तो मीटर रीडर को दोबारा घर आना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता है।

मीटर देखने में जल्दबाजी

कई बार घरों में आकर मीटर रीडिंग लेने विभाग कर्मचारी मीटर देखने में भी काफी गलती है, जिससे बिजली बिल में काफी फर्क आ जाता है। जब बिजली का बिल सामने आता है तो कंज्यूमर का सिर चकरा जाता है। मीटर रीडर मीटर को देखने में कई तरह से गलती करता है। अक्षर छोटे होने की वजह से 8 को 0 या 7 को 1 समझ बैठता है। जब कंज्यूमर इस बात की शिकायत करता है तो काफी चक्कर लगाने के बाद उसे सही रीडिंग मिल पाती है।

नए की जगह पुराने की रीडिंग

वहीं कंप्यूटर ऑपे्रटिंग में भी काफी लापरवाही बरती जा रही है। काफी लोगों ने अपने पुराने मीटर को हटाकर नए मीटर लगवाएं हैं। अगर पुराने मीटर में लास्ट रीडिंग अगर दस हजार है तो नए मीटर में भी दस हजार रीडिंग आने के बाद बिल में गड़बड़ी दिखानी शुरू कर देता है। वास्तव में नए मीटर की पूरी जानकारी कंप्यूटर में ठीक से नहीं डाली जाती है। जब बिल आता है तो पुराने मीटर के स्टेटस के अनुसार बिल आ जाता है। इससे पब्लिक को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

रोज आ रहे 15 से 20

रोजाना हर एसडीओ के पास 15 से 20 लोग बिल में गड़बडिय़ों को लेकर आ रहे हैं। परेशान पब्लिक को कभी एक्सीईएन के भेजा जा रहा है तो कभी एसडीओ के पास। एसडीओ के पास आने पर उन्हें ऑपरेटर के पास घुमाया जा रहा है। माधवपुरम एसडीओ ऑफिस में अपने बिल ठीक कराने आए  राजकुमार की माने तो पिछले तीन महीने से अपना बिल ठीक कराने के लिए भटक रहे है, लेकिन ऑफिसर्स उन्हें इधर से उधर टरका रहे हैं।

"अगर ऐसी लोगों की इस तरह से शिकायत आ रही हैं तो मेरे पास आएं मैं इसकी सुनवाई करूंगा."

- पीके निगम, एसई अर्बन, पीवीवीएनएल