स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में टॉप-100 रैंक हासिल करने का निगम का दावा

इस बार भी प्रचार में लापरवाही से हो सकता है नुकसान

स्वच्छता रैंक के टॉप 100 सिटीज से हो सकता है बाहर

30 लाख की आबादी है मेरठ नगर निगम की

20 हजार के आसपास लोगों ने ही सिटीजन फीडबैक के लिए की वोटिंग

20393 लोगों ने सिटीजन फीडबैक के लिए किया वोट

286 रैंक थी ऑल ओवर स्टेट साल 2019 में

Meerut। स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में निगम का दावा इस बार टॉप 100 सिटीज में शामिल होने का है, लेकिन स्थिति यह है कि सिटीजन फीडबैक के लिए निगम 30 लाख की आबादी से महज 20 हजार लोगों में ही जागरुकता जगा पाया। इसी का नतीजा है कि मात्र 20,393 लोगों ने स्वच्छता सर्वेक्षण में अपने शहर के वोट किया। वहीं गार्बेज फ्री सिटी और ओडीएफ प्लस में भी निगम की हालत काफी बद्तर है। ऐसे में टॉप 100 की संभावना काफी कम नजर आ रही हैं।

बढ़ रहा निगम

अपने दावों के दम पर नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 की पहली तिमाही में 10 लाख से अधिक आबादी वाले 49 शहरों में 39वें स्थान पर और दूसरी तिमाही में वह 21वें स्थान पर आ गया है। अब तीसरी तिमाही का परिणाम मार्च में आएगा। ऐसे में दो तिमाही में मिली मिली सफलता से निगम के हौसले बढ़े हैं। दूसरी तिमाही में मेरठ ने कानपुर, आगरा और गाजियाबाद नगर निगम को पछाड़ दिया था। लेकिन इन दावों से निगम के केवल गांवड़ी में बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट और आरडीएफ से बिजली बनाने के संयंत्र का दावा ही अभी तक पूरा हो सका है जबकि फैसलिटी और वेस्ट सेंटर का काम अभी अधर में है। ऐसे में यहां निगम को नुकसान हो सकता है।

बेहतर होगी रैकिंग

साल 2019 में निगम की ऑल ओवर स्टेट रैकिंग 286 रही थी। लेकिन तब निगम के पास कई ऐसी सुविधाएं नही थी जिनके पाइंट अधिक थे। लेकिन इस बार निगम उन सुविधाओं के दम पर टॉप 100 का दावा कर रहा रहा है। साल 2020 में निगम को इन सभी पाइंट पर फायदा मिल सकता है। इसलिए निगम ने टॉप 100 में शामिल होने का दावा किया है। लेकिन जैसी शहर में साफ सफाई की हालत है उसको देखते हुए टॉप 100 मुश्किल लग रहा है।

इन सुविधाओं से मिलेगी बढ़त

गांवडी में बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट कूड़ा

ओडीएफ प्लस

बराल परतापुर में मैटेरियल रिकवरी फैसेलिटी सेंटर

भोला रोड स्थित खड़ौली में सी एंड डी वेस्ट सेंटर

शहर में 10 हजार घरों में होम कंपोस्टिंग

आरडीएफ से बिजली बनाने की योजना पर काम शुरू

हमारा पूरा प्रयास है कि निगम तीसरे और अंतिम सर्वेक्षण में भी अच्छे अंक लाए। इसके लिए हर संभव प्रयास किया गया है। जनता के फीडबैक में भले ही हम काफी कम रहे लेकिन उसमें भी अन्य जनपदों ने एजेंसी का सहारा लिया था। लेकिन इस बार हम टॉप 100 में जगह बना लेंगे।

डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

निगम के दावों और हकीकत में बहुत अंतर है दावा था गार्बेज फ्री का लेकिन कहीं भी खत्ते साफ नही हुए ना ही डोर टू डोर कूड़ा शत प्रतिशत हो सका है। कूड़ा निस्तारण अभी अधर में है।

अब्दुल गफ्फार

निगम का सर्वेक्षण केवल शहर के कुछ प्रमुख वार्डो तक सीमित है हमारे क्षेत्र में साफ सफाई दूर, शौचालय तक की व्यवस्था नही है। ओडीएफ प्लस का दावा है लेकिन जो यूरिनल बनाए गए उनकी हालत खस्ता है।

धर्मवीर

कूड़ा कंपोस्टिंग, साफ सफाई, सीवरेज और कूडे़दान तक की हालत निगम सुधार नही पाया ऐसे में सर्वेक्षण टीम को यह सच साफ साफ दिखाई दिया है। इसका नुकसान निगम को मिलेगा।

जुबैर अंसारी