मेरठ, (ब्यूरो)। पैरा खिलाडिय़ों का कहना है कि 11 नवंबर को होने वाले खिलाडिय़ों के सम्मान समारोह में उन्हें पूछा तक नहीं जा रहा है। जबकि सरकार को नेशनल लेवल के खिलाडिय़ों को भी ऐसे मंच पर इनाम देना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए, जिनसे वो प्रैक्टिस कर आगे बढ़ सकें।

न शूटिंग रेंज, न वेपन
खिलाडिय़ों के अनुसार पैरा शूटिंग गेम की बात करें तो उनके लिए शूटिंग रेंज तक सुविधा नहीं है। यहां तक शूटिंग गन तक की सुविधा नहीं दी गई है, जो सबसे बेसिक और सबसे जरूरी है। जब ये सुविधाएं नहीं है तो कैसे वो नेशनल या इंटरनेशनल स्तर की शूटिंग में पार्टिसिपेट कर मेडल ला पाएंगे। जो भी खिलाड़ी बड़ी प्रतियोगिताओं में पदक ला रहे हैैं, वे खुद के खर्च से ही हर लेवल पर प्रैक्टिस कर आगे निकल रहे हैैं।

अच्छे टै्रक नहीं
पैरा खिलाडिय़ों के अनुसार दौडऩे के लिए अच्छे टै्रक तक की व्यवस्था नहीं हैै। खिलाडिय़ों का कहना है कि उनके लिए किसी तरह की कोई आर्थिक मदद की भी कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। पैरा जैवलिन थ्रो के खिलाडिय़ों के अनुसार उन्हें खेल और प्रैक्टिस के लिए जैवलिन तक उपलब्ध नहीं है। खेल के लिए उन्हें अपने पैसों पर जैवलिन खरीदनी पड़ती है।

नहीं हैैं कोच
खिलाडिय़ों के अनुसार यहां पर पैरा पावर लिफ्टर के प्लेयर्स के लिए एक स्पेशल बैंच होती है, जिसका यहां कोई इंतजाम नहीं है। इसके साथ ही न अलग से कोच की व्यवस्था भी नहीं है। पैरा के बैडमिंटन प्लेयर्स के अनुसार यहां पर कोई भी कोच नहीं है। इसके अलावा उनके लिए कोई इक्यूपमेंट व सुविधा तक मौजूद नहीं है। पैरा खिलाडिय़ों उनका कहना है कि सुविधाओं के नाम पर उन्हें अपने स्तर से ही पैसे खर्च कर खेल के गुर सीखने पड़ते हैैं। उनके लिए अलग से किसी की कोई व्यवस्था नहीं है। खिलाडिय़ों का कहना है कि उनके साथ भेदभाव भी किया जाता है। उन्हें किसी बड़े कार्यक्रम की जानकारी तक नहीं दी जाती है।

क्या कहते हैं खिलाड़ी
सुमित का कहना है कि वो पावर लिफ्टिंग के खिलाड़ी है। मगर यहां पर न तो उनको कोई स्पेशल बैंच दी जाती है न डाइट और न ही कोच है। इसके साथ ही यहां बहुत भेदभाव होता है। कई बार आरएसओ को इस संबंध में लेटर भी लिखा है।

पैरा जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी अनमोल ने बताया कि यहां पर उनको जैवलिन तक नहीं दी जाती है। खिलाड़ी अपने पैसों से ही उपकरण खरीद कर प्रैक्टिस कर रहे हैैं और आगे निकल रहे हैैं। खेल के गुर सीखाने के लिए यहां कोच तक नहीं हैं।

पैरा शूटिंग के खिलाड़ी दीपेंद्र ने बताया कि वो इसी साल ओलंपिक भी खेल चुके हैं, लेकिन उनको सीएम के कार्यक्रम की जानकारी तक नहीं दी गई। उन्हें शूटिंग के लिए वेपन का इंतजाम भी खुद ही करना पड़ता है। पैरा खिलाडिय़ों के लिए अलग से कोच की कोई व्यवस्था नहीं हैैं।

पैरा वॉक की प्लेयर प्रीति ने बताया कि वो 100 मीटर व 200 मीटर की प्लेयर हैं। यहां न तो कोई बेहतर कोच उनके लिए अलग रखे गए है न ही खेल से संबंधित कोई सुविधा उन्हें मिल रही है। पैरा के खिलाडिय़ों के लिए आर्थिक मदद की भी कोई व्यवस्था नहीं है।