मेरठ (ब्यूरो)। गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत डोर टू डोर कलेक्शन के लिए नगर निगम ने 90 वार्डों में 180 से अधिक कूड़ा कलेक्शन गाडिय़ां लगाई थीं। इसमें लगाए गए गाड़ी चालकों और सफाई कर्मचारियों पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। इस बाबत निगम की आय बढ़ाने के लिए 18 जनवरी, 2020 को सरकार ने स्वच्छता उप नियमावली पर मुहर लगाते हुए एक जनवरी 2020 से कूड़ा उठाने के बदले यूजर चार्ज लेने के आदेश जारी कर दिए थे। इसके बाद इस साल फरवरी माह में एक निजी कंपनी को कूड़ा कलेक्शन का काम दे दिया गया। इसमें निगम की गाडिय़ों से लेकर चालक और हेल्पर तक दिए गए हैं। मगर करीब 35 माह बाद भी निगम यूजर चार्ज व्यवस्था को शत-प्रतिशत लागू नहीं कर पा रहा है।

16 करोड़ का फटका
नगर निगम के रिकॉर्ड में भले ही करीब 3.83 लाख आवासीय और कमर्शियल भवन रजिस्टर्ड हों लेकिन इनकी संख्या पांच लाख से भी अधिक है। इनमें करीब 3.50 लाख आवासीय और 1.50 लाख करीब कमर्शियल भवन हैं। आज तक निगम इन सभी भवनों पर टैक्स ही नहीं लगा पाया है। इसको लेकर निजी कंपनी द्वारा जीआई सर्वे का काम जारी है। एक अनुमान के आधार पर छोटे-बड़े कमर्शियल भवनों पर अगर 200 रुपये प्रतिमाह और आवासीय भवनों पर 50 रुपये प्रतिमाह यूजर चार्ज वसूला जाए तो निगम को यूजर चार्ज से लगभग 4.75 करोड़ रुपये की वार्षिक आय होगी। वहीं योजना के शत-प्रतिशत लागू न होने से पिछले 35 माह में करीब 16 करोड़ 6 लाख रुपये का फटका निगम को लग चुका है।

जारी हुए थे बिल
साल 2020 में तत्कालीन नगरायुक्त अरविंद चौरसिया ने स्वच्छता यूजर चार्ज वसूली के लिए बिल जारी कराने के साथ ही किताबें भी छपवाई थीं। इसके साथ ही हाउस टैक्स बिल के साथ ही यूजर चार्ज वसूली का निर्णय लिया गया था। कई परिवारों को यूजर चार्ज के बिल भी दिए गए। इसकी वसूली हुई या नहीं, इसका रिकॉर्ड तक अब निगम के पास उपलब्ध नहीं हैं।

यूजर चार्ज वसूली का काम शुरू हो गया है। तीन-तीन माह का यूजर चार्ज वसूला जाएगा। जिन क्षेत्रों में संकरी गलियों के कारण अभी तक डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन नहीं हो रहा है, वहां तक भी छोटी गाडिय़ों को पहुंचाया जाएगा।
हरपाल सिंह, पशु कल्याण अधिकारी, नगर निगम