सिर्फ नोएडा, आगरा और प्रयागराज में प्रकाशित होती एनसीईआरटी की किताबें

12 फीसद की रॉयल्टी भी बचाते हैं नकली किताबों के प्रकाशक

5 फीसद की जीएसटी की भी करते हैं चोरी

Meerut। शहर में नकली किताबों के मामले में कई खुलासे हो रहे हैं। पब्लिकेशन अवैध तरीके से किताबें छापकर सरकार को चूना लगा रहे हैं। दरअसल, किताबों में रॉयल्टी चोरी के खेल में पब्लिकेशन चोरी छिपे बुक पब्लिश करते हैं। हालांकि, प्रदेश मे सिर्फ चार पब्लिकेशन ही एनसीईआरटी की किताबें छाप सकते हैं। मेरठ में किसी भी प्रकाशक को एनसीईआरटी की किताबों को छापने की अनुमति नहीं है।

ये है खेल

मान लें कि अगर एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) की एक किताब की कीमत 100 रुपये है तो उस पर 12 फीसद रायल्टी एनसीईआरटी को देनी होती है। जबकि कागज पर पांच रुपये जीएसटी लगता है, अवैध किताब छापने वाले 80 की जगह 65 जीएसएम कागज का इस्तेमाल करते हैं, चूंकि वे न तो रॉयल्टी देते हैं न जीएसटी, लिहाजा उनका कुल खर्च 70 रुपये के आसपास बैठता है, इस तरह से 100 रुपये की अवैध किताब में 30 रुपये की सीधे-सीधे काली कमाई होती है,

ऐसे पहचानें नकली किताबें

एनसीईआरटी की अवैध रूप से प्रकाशित किताब का कागज घटिया रहता है।

इन किताबों के ¨प्र¨टग और फांट साइज भी खराब होते हैं।

एनसीईआरटी की किताबों के पन्नों पर वाटर मार्क में एनसीईआरटी लिखा रहता है।

¨प्र¨टग साफ सुथरी और बाइ¨डग अच्छी रहती है।

एनसीईआरटी की असली किताबों में समय-समय पर नए कंटेंट भी जोड़े जाते हैं।

सिर्फ इन्हें है अनुमति

नोएडा में काका प्रकाशन

आगरा में रवि ऑफसेट और आलोक प्रकाशन

प्रयागराज में राजीव प्रकाशन