सीएम योगी ने की घोषणा, नोएडा शू¨टग रेंज का नाम चंद्रो तोमर के नाम पर होगा

खिलाडि़यों में खुशी का माहौल, बोले, महिला खिलाडि़यों को मिलेगा प्रोत्साहन

Meerut बागपत जिले के जौहड़ी गांव की शूटर दादी चंद्रो तोमर ने बढ़ती उम्र में बंदूक थामी और शू¨टग प्रतियोगिताओं में अचूक निशाना साधकर देश से लेकर दुनिया तक लोगों को अपने हुनर का कायल बना दिया। दादी खिलाडि़यों के साथ ही समाज में महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनीं। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शूटर दादी चंद्रो तोमर के नाम पर नोएडा शू¨टग रेंज का नाम रखने की घोषणा कर मातृ शक्ति को नमन किया। सीएम की इस घोषणा के बाद से खिलाडि़यों में खुशी का माहौल है।

पीछे मुड़कर नहीं देखा

मूलरूप से शामली के गांव मखमूलपुर में शूटर दादी चंद्रो तोमर का जन्म एक जनवरी 1932 को हुआ था। 16 वर्ष की उम्र में चंद्रो तोमर का विवाह गांव जौहड़ी के भंवर सिंह से हुआ था। उनके दो पुत्र ओमवीर व विनोद हैं। वर्ष 1998 में गांव के डॉ। राजपाल सिंह से शू¨टग सीखने जाने वाली पौत्री शैफाली के साथ दादी चंद्रो तोमर भी जाती थी। इसी दौरान चंद्रो तोमर ने भी निशानेबाजी शुरू की। देवरानी प्रकाशी तोमर का भी उन्हें साथ मिल गया। शूटर दादी चंद्रो ने चंडीगढ़ में आयोजित राज्यस्तरीय शू¨टग प्रतियोगिता में सबसे पहले स्वर्ण जीता। इसके बाद उन्होंने मुड़कर पीछे नहीं देखा और जयपुर व लखनऊ समेत अन्य राज्य व जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में कई मेडल जीते।

दादी का रोल निभाया

चंद्रो व प्रकाशी की ¨जदगी पर वर्ष 2019 में तुषार हीरानंदानी के निर्देशन में बालीवुड फिल्म 'सांड की आंख' बनाई गई थी। अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने दादी चंद्रो का रोल निभाया था। चंद्रो तोमर को भारत सरकार के सामाजिक कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2006 में व्योश्रेष्ठ सम्मान के अलावा नारी शक्ति अवार्ड, श्रम शक्ति सम्मान मिला था। चंद्रो तोमर इंडिया गोट टैलेंट, बिग सेलिब्रिटी चैलेंज, सत्यमेव जयते आदि रियलटी शो में छाई रही।

कोरोना संक्रमण हुआ

शूटर दादी चंद्रो तोमर को कोरोना महामारी ने अपनी चपेट में ले लिया था। कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर शूटर दादी को मेरठ स्थित आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके बाद दादी को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। 30 अप्रैल को दादी ने अंतिम सांस ली।

इनका है कहना

शूटर दादी ने बहुत मेहनत की और कभी हार नहीं मानी। दादी सभी के लिए हमेशा एक उम्मीद बनी रहेंगी। अगर वो किसी दूसरे प्लेयर को कुछ गलती करते देखती थी तो वहीं तुरंत टोक कर सही कर देती थी। दादी के नाम से शूटिंग रेंज बनेगी तो अन्य खिलाडि़यों को खेल का महत्व समझ आएगा।

प्रथम भड़ाना, नेशनल प्लेयर

दादी ने जिस उम्र में शूटिंग की शुरुआत की, उस उम्र में खिलाड़ी खेलने की सोच भी नहीं सकते। उन्होंने मिसला कायम की और ये भी बताया कि कुछ भी करने की कोई उम्र नहीं होती, बस जुनून होना चाहिए। दादी के नाम से शूटिंग रेंज होना एक खिलाड़ी के तौर पर उनको सच्ची श्रद्धांजलि है।

अनु तोमर, इंटरनेशनल प्लेयर

शूटिंग की दुनिया में शूटर दादी एक ऐसा नाम है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। वो एक खिलाड़ी के साथ ही नारी शक्ति के लिए हमेशा एक मिसाल रहेंगी। उनके नाम से शूटिंग रेंज होना, ये प्रदेश सरकार का सराहनीय फैसला है। इससे खिलाडि़यों को प्रोत्साहन मिलेगा।

अलका तोमर, इंटरनेशनल प्लेयर

ये दादी का सम्मान है। उनके खेल के जज्बे का कायल कौन नहीं था। देश का शायद ही कोई ऐसा वर्ग हो जो दादी का दीवाना न हो। उन्होंने निशाने तो शूटिंग में साधे लेकिन उनकी ख्याति खेल से बड़ी हो गई थी। सरकार का ये फैसला खासतौर पर महिला खिलाडि़यों को ज्यादा प्रोत्साहित करेगा।

आदित्य शर्मा, इंटरनेशनल प्लेयर