कोरोना का वार, नार्मल एक्सरे से नहीं हो रही पहचान

1600 से ज्यादा मरीजों पर हुई स्टडी मेडिकल कॉलेज में

47 मरीजों में हाई रिजोल्यूशन कम्प्यूटेड टोमोग्रॉफी यानी एचआरसीटी से जांच की गई।

एचआरसीटी में मिल रहे लक्षण

Meerut। कोरोना संक्रमित मरीजों में वायरस को पहचान पाना डॉक्टर्स के लिए बड़ी पहेली बना है। लक्षणों के साथ ही फेफड़ों के एक्सरे तक में वायरस खुद को छुपाने में कामयाब हो रहा है। ये खुलासा मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग में हुए मरीजों की स्टडी रिपोर्ट में हुआ है। जिसमें अब तक एडमिट हुए मरीजों को शामिल किया गया था।

1680 मरीजों पर स्टडी

एचआरसीटी में मिले लक्षण मेडिकल कॉलेज में आए 1680 मरीजों पर रेडियोलॉजी विभाग में स्टडी हुई। इसमें 1353 मरीजों के फेफड़ों का एक्सरे कराया गया, जबकि 47 मरीजों में हाई रिजोल्यूशन कम्प्यूटेड टोमोग्रॉफी यानी एचआरसीटी से जांच की गई। इस दौरान पता चला कि जिन मरीजों के फेफड़े एक्सरे में क्लियर आए हैं उनकी टोमोग्राफी में बीमारी के लक्षण मिले। इसके अलावा मरीजों में आरटीपीसीआर और एचआरसीटी रिपोर्ट की भी स्टडी की गई। इसके तहत आरटीपीसीआर में जहां संवेदनशीलता 70 प्रतिशत थी वहीं एचआरसीटी में 98 प्रतिशत स्कोर की गई है।

कम हो सकती है मृत्युदर

एक्सपट्‌र्र्स के मुताबिक एचआरसीटी के जरिए मरीज में वायरस की गंभीरता का पता चलता है। कोरोना वायरस के लक्षण न आने की वजह से काफी मरीजों की स्थिति क्रिटिकल हो रही है और इलाज में देरी की वजह से मरीजों की मौत भी हो रही है। एचआरसीटी से मरीज का सिवियिरटी स्कोर बहुत जल्द पता किया जा सकता है और मरीज को वक्त रहते इलाज मिल सकता है जिससे मृत्युदर को भी कम किया जा सकता है।

मरीजों के एक्सरे और एचआरसीटी रिपोर्ट पर रिसर्च की गई। जिसमें ये खुलासा हुआ है। एचआरसीटी टेस्ट मरीजों की पहचान करने में मददगार साबित हुआ है।

डॉ। यास्मीन उस्मानी, एचओडी, रेडियो डायग्नोसिस विभाग, मेडिकल कॉलेज