मेरठ ब्यूरो। गुजरात के राजकोट स्थित गेमिंग जोन में शनिवार को आग लग गई थी। इस हादसे में कई बच्चों समेत 27 युवाओं की मौत हो गई थी। हालांकि, अभी इस मामले में जांच चल रही है। वहीं, एक बात सामने आई कि गेमिंग जोन के पास फायर एनओसी नही थी। कुछ ऐसा ही हाल हमारे मेरठ शहर के गेमिंग जोन सेंटर या कहें पार्लर का है जहां 2 साल के बच्चे से लेकर 22 साल तक युवाओं के मनोरंजन के लिए तरह तरह के गेम्स और एक्टिविटी एरिया तो बने हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा का एक भी मानक पूरा नही है। इतना ही नही अधिकतर गेमिंग जोन आवासीय क्षेत्र में चल रहे हैं और संबंधित विभागों को खबर तक ही नही है।
बिना फायर एनओसी गेमिंग जोन
गौरतलब है कि तेजी से बदलते मनोरंजन के तरीकों में गेमिंग जोन पिछले कुछ साल में तेजी से उभरा है। युवाओं के लिए नया विकल्प बन गया है। हालत यह है कि पिछले दो तीन साल में मेरठ में एक दर्जन से अधिक गेमिंग जोन, पार्लर, किडस कार्नर नाम से मनोरंजन के स्थल खुल गए हैं। हालत यह है कि गुजरात के राजकोट में जो हुआ वह मेरठ में कभी भी हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकतर गेमिंग जोन के आर्नर ने ना तो फायर विभाग की एनओसी लेना जरुरी समझा और ना ही विभाग ने इन गेंमिग जोन का कभी निरीक्षण कर मानक या सुरक्षा उपकरणों की सुध ली। अधिकतर गेमिंग जोन अवैध रूप से अधूरे मानकों पर खुले हुए हैं या कहें कि इन गेमिंग जोन के मानकों की ही किसी को जानकारी नही है।

रबर व फोम शीट से कवर गेम एरिया
अधिकतर गेमिंग जोन में छोटे बच्चों के एरिया को रबर व फोम शीट से कवर किया होता है। ये फोम शीट होती तो बच्चों के सेफ्टी के लिए है लेकिन खतरनाक भी साबित हो सकती है। क्योंकि पूरे सेंटर को एसी के कारण सील बंद किया होता है। वहीं किसी भी सेंटर में फायर सेफ्टी के नाम पर किसी प्रकार की सुविधा नही है। ऐसे में यदि आग या किसी अन्य प्रकार का हादसा हो जाए तो बच्चों के लिए इमरजेंसी व्यवस्था भी नही होती है।

अंधेरे कमरों में डिजीटल स्क्रीन
अधिकतर गेमिंग जोन में बड़े बड़े कमरों में अंधेरा कर डिस्को लाइट साथ बड़ी बडी गेमिंग स्क्रीन लगाई हुई हैं। इन स्क्रीन पर फाइटिंग, रेसिंग टाइप के गेम खेले जाते हैं। घंटों घंटों तक बच्चे इन गेम्स की स्क्रीन पर अपनी आंख गढ़ाए बैठे रहते हैंं लेकिन ना तो उनकी आई प्रोटेक्शन के लिए कोई सुविधा मौजूद रहती है और ना ही सेफ्टी के लिए कोई व्यवस्था।

घरों में चल रहे गेमिंग सेंटर
शहर में गंगानगर, शास्त्रीनगर, पल्लपवपुरम, पीएल शर्मा रोड पर एक दर्जन से अधिक दो मंजिला तीन मंजिला गेमिंग सेंटर चालू हैं। अधिकतर गेमिंग जोन घर में बने हुए हैं और किसी के पास पर कामर्शियल एक्टिविटी के अनुमति तक नही है। शास्त्रीनगर में आवास विकास कार्यालय से 300 से 500 मीटर की दूरी पर दो दो गेम जोन आवासीय भवन में खुले हुए हैं लेकिन खुद आवास विकास के अधिकारियेां को पता नही है।
जारी होंगे नोटिस
सीएफओ संतोष राय ने बताया कि अभी तक एक भी गेमिंग जोन को फायर एनओसी जारी नही हुई है ना ही किसी ने एनओसी के लिए आवेदन किया। इन गेमिंग जोन का निरीक्षण कर नोटिस जारी किए जाएंगे।