बंगला नंबर 210 बी प्रकरण

-कैंट बोर्ड के सीईओ समेत पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के दर्ज होंगे बयान

-पब्लिक भी 20 जुलाई तक दे सकती है बयान, हाईकोर्ट के 56 पेज के आर्डर को खंगाल रहे हैं एडीएम एफआर

Meerut: बंगला नंबर 210 बी ध्वस्तीकरण के दौरान हुए हादसे की मजिस्ट्रियल जांच शुरू हो गई है। जांच अधिकारी एडीएम वित्त एवं राजस्व गौरव वर्मा ने कैंट बोर्ड के सीईओ समेत ड्यूटी पर तैनात पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किए हैं। वहीं उन्होंने आम जनता से अपील की कि जो भी इस प्रकरण की अपना बयान देना चाहे वो कार्यालय में आकर बयान दर्ज करा सकता है। जांच के संबंध में वे हाईकोर्ट के 56 पेज का आर्डर फिलहाल पढ़ रहे हैं।

इन्हें दिए गए नोटिस

एडीएम एफआर ने कैंट बोर्ड के सीईओ राजीव श्रीवास्तव को जारी नोटिस में सीईओ समेत सभी उन अधिकारियों को बयान दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं जो 9 जुलाई को घटनाक्रम के दौरान मौके पर उपस्थित थे। सिटी मजिस्ट्रेट केशव कुमार के अलावा एसीएम प्रथम राकेश कुमार सिंह, एसीएम द्वितीय देवेश सिंह, एसडीएम सदर रितु पुनिया, सीओ कोतवाली रणविजय सिंह, सीओ सिविल लाइंस बीएस वीरकुमार के अलावा इंस्पेक्टर सदर गजेंद्र सिंह यादव को प्रशासन ने बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस दिया है।

कैंट बोर्ड के सिर मढ़ा आरोप

पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से एक साझा बयान एडीएम एफआर के समक्ष घटनाक्रम को लेकर पेश गया है। इस बयान में अफसरों ने हादसे का ठीकरा कैंट बोर्ड के सिर मढ़ते हुए कहा कि ध्वस्तीकरण ऑपरेशन बेहद लापरवाही से चलाया गया।

निरस्त कर दिए थे बैनामे

जिला प्रशासन ने एक बड़ा खुलासा बुधवार को किया। एडीएम वित्त एवं राजस्व ने बताया कि 2014 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद बिल्डर आनंद प्रकाश अग्रवाल की ओर से किए गए सभी 58 बैनामों को निरस्त कर दिया गया। तत्कालीन सब रजिस्ट्रार-4 ने बैनामों को 'शून्य' करार देते हुए रिकार्ड में तब्दीली कर दी थी। रजिस्ट्रार की ओर से इसकी जानकारी कैंट बोर्ड को देने के साथ-साथ सरकार की ओर से एक हलफनामा हाईकोर्ट में लगाया गया था।

बंगला नंबर 210 बी ध्वस्तीकरण के दौरान हुए हादसे पर कैंट बोर्ड, पुलिस और मौके पर तैनात प्रशासनिक अधिकारियों को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस दिया गया है। पब्लिक से अपील है कि वे 20 जुलाई तक अपना पक्ष रखें।

गौरव वर्मा, एडीएम, वित्त एवं राजस्व