मेरठ, (ब्यूरो)। गौरतलब है कि सभी ज्वैलरी ट्रेडर्स को पुराने स्टॉक पर हॉलमाॄकग के लिए सरकार ने एक दिसंबर तक का वक्त दिया था। एक दिसंबर की मियाद बुधवार को खत्म होने केबाद अब हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी गई है। दरअसल, सरकार ने नवंबर 2019 में गोल्ड ज्वैलरी और डिजाइन के लिए हॉलमाॄकग अनिवार्य किया था। इसके लिए देश के सभी ज्वैलर्स को हॉलमाॄकग पर शिफ्ट होने और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक साल से ज्यादा का समय दिया था। बाद में ज्वैलर्स ने इस डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की थी। लिहाजा डेडलाइन को 15 जनवरी, एक जून फिर 15 जून और फिर 31 अगस्त के बाद 1 दिसंबर किया गया था।

हॉलमाॄकग को समझिए
- हॉलमार्क भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड देती है। यह एक तरह की सरकारी गारंटी होती है कि गोल्ड इतने कैरेट की शुद्धता का है।

- दरअसल, जितने कैरेट की शुद्धता का बताया जा रहा है, उतने ही शुद्धता की ज्वैलरी मिल रही है।

- बीआईएस वह संस्था है, जो ग्राहकों को उपलब्ध कराए जा रहे सोने की जांच करती है।

ज्वैलरी पर लगेगी मुहर
दरअसल, अब 2 ग्राम से अधिक ज्वैलरी को बीआईएस से मान्यता प्राप्त सेंटर से जांच कराकर उस पर संबंधित कैरेट का बीआईएस मार्क लगवाना होगा। ज्वैलरी पर बीआईएस का तिकोना निशान, हॉलमाॄकग केंद्र का लोगो, सोने की शुद्धता लिखी होगी। साथ ही ज्वैलरी कब बनाई गई, इसका वर्ष और ज्वैलर का लोगो भी ज्वैलरी पर रहेगा।
इस तरह खुद करें पहचान
- बीआईएस मार्क-हर ज्वैलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो का ट्रेडमार्क यानी लोगो होगा।

- कैरेट में प्योरिटी-हर ज्वैलरी की कैरेट या फाइनेंस में प्योरिटी होगी।

- 916 लिखा है तो इसका मतलब यह है कि ज्वैलरी 22 कैरेट के गोल्ड (91.6 फीसदी शुद्धता) का है।

- 750 लिखा है तो इसका मतलब यह है कि ज्वैलरी 18 कैरेट (75 फीसदी शुद्ध) गोल्ड का है।

- 585 लिखा है तो इसका मतलब कि ज्वैलरी 14 कैरेट गोल्ड (58.5 फीसदी शुद्धता) का है।

- हर ज्वैलरी पर एक विजिबल आइडेंफिकेशन मार्क होगा, जो हॉलमार्क सेंटर का नंबर होगा।

- हर ज्वैलरी पर एक विजिबल आइडेंटिफिकेशन मार्क होगा।

- ज्वैलर कोड के रूप में, यानी यह किस ज्वैलर के यहां बना है, उसकी पहचान होगी।

- असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है। जो सोने की कैरेट की शुद्धता के निशान के बगल में होता है।
- ज्वैलरी पर निर्माण का वर्ष और और उत्पादक का लोगो भी होता है।

शहर के अधिकतर व्यापारी हॉलमार्क करा चुके हैं। जो रह गए हैं वह अपनी ज्वैलरी को गलाकर नए डिजाइन को हॉलमार्क कराएंगे। इसमें व्यापारी को काफी फायदा है। लेकिन हॉलमार्किंग अनिवार्यता अधूरी व्यवस्थाओं के साथ की गई है। इससे व्यापारियों को परेशानी हो रही है।
- प्रदीप अग्रवाल, अध्यक्ष मेरठ बुलियन

हॉलमार्क ग्राहक के हित में लेकिन सरकार द्वारा इसकी पूरी तैयारी करने के बाद ही अनिवार्य करना चाहिए था। अभी शहर में मात्र 5 से 6 सेंटर ही हॉलमार्किंग कर रहे हैं उन पर लोड इतना अधिक है कि ज्वैलरी कई कई दिनों तक मार्किंग के लिए होल्ड पर है।
- मनोज गर्ग, कोषाध्यक्ष मेरठ बुलियन एसो।