मेरठ (ब्यूरो)। जिला मलेरिया अधिकारी सत्य प्रकाश ने बताया कि साल 2020 में एनटीडी से सुरक्षित रखने के लिए पहली बार विश्व में एनटीडी दिवस मनाया गया था। एनटीडी जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले रोगों का एक समूह है। जो अधिकतर सबसे गरीब, सबसे कमजोर आबादी को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों की मानें तो एनटीडी में लिम्फैटिक, फाइलेरिया, हाथीपांव, विसेरल, लीशमैनियासिस, कालाजार, लेप्रोसी यानि कुष्ठरोग, डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश, रेबीज जैसे रोग शामिल होते हैं। जिनकी रोकथाम संभव है मगर फिर भी पूरी दुनिया में हर साल बहुत सारे लोग इन रोगों से प्रभावित हो जाते हैं। भारत में भी हर साल हजारों लोग एनटीडी रोगों से संक्रमित हो जाने के कारण जीवन भर असहनीय पीड़ा सहते हैं और विकलांग भी हो जाते हैं। जिसके कारण वे अपनी आजीविका कमाने में भी अक्षम भी हो जाते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो जाती है।

पांच में से एक ग्रस्त
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार विश्व में हर पांच में से एक व्यक्ति एनटीडी से ग्रसित हैं। यह गंभीर रोग हैं जो हर जगह, हर किसी की शिक्षा, पोषण और आर्थिक विकास पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। इनके उन्मूलन के कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने से आर्थिक विकास, समृद्धि एवं लैंगिक समानता को भी बढ़ावा मिलेगा। विश्व में लगभग 1.7 अरब लोगों को प्रभावित करने वाली ये बीमारियां हर साल होने वाली हजारों मौतों का कारक भी हैं, जिनको रोका जा सकता था। भारत दुनियाभर में प्रत्येक प्रमुख एनटीडी से ग्रस्त जनसंख्या के दृष्टिकोण से पहले स्थान पर है।

प्रदेश में वर्ष 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार हाइड्रोसील के लगभग 28 हजार मरीज और लिम्फेडेमा के लगभग 84 हजार मरीज है। उन्होंने बताया कि अंतर विभागीय समन्वय बनाकर और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की दूर- दराज इलाकों तक पहुंच सुनिश्चित कर राज्य को एनटीडी से पूर्ण रूप से मुक्त करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
सत्यप्रकाश, जिला मलेरिया अधिकारी

एनटीडी रोगों को नेग्लेक्टेड यानि उपेक्षित समझा जाता है मगर अब इन पर स्पॉटलाइट लाने का समय है। जिससे इन मुद्दों पर और अधिक ध्यान ध्यान दिया जाए और इस संबंध में मिशन मोड पर कार्रवाई की जाए।
प्रिया बसंल, सर्विलांस मेडिकल आफिसर, विश्व स्वास्थ्य संगठन