ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों को घंटों एक ही पोश्चर में बैठकर पढ़ना पड़ता है
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के ओवर यूज के कारण बच्चों का माइंड हो रहा है डिस्टर्ब
बच्चों को घेर रही है फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की प्रॉब्लम, डॉक्टर्स से कर रहे सलाह
Meerut। कोविड-19 की वजह से स्कूल बंद हैं और बच्चों को घर पर ही ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ाई करनी पड़ रही है। बिना फिजिकल मूवमेंट के कई घंटे एक ही पोश्चर में बच्चों को बैठना पड़ रहा है। कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेज की ये डिजिटल डाइट बच्चों को बीमार कर रही है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के ओवर यूज की वजह से जहां बच्चों का माइंड डिस्टर्ब हो रहा है, वहीं फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की प्रॉब्लम उन्हें घेर रही हैं। अधिकतर पेरेंट्स की शिकायत है कि उनका बच्चा लगातार सिरदर्द की शिकायत करता रहता है जबकि कुछ का कहना है कि बच्चे पढ़ाई में पिछड़ते जा रहे हैं।
केस स्टडी-1
12 साल का अनुभव अपने पेरेंट्स की कोई बात नहीं सुनता है। लॉकडाउन के एक महीने बाद से ही वह खोया-खोया रहने लगा है। पढ़ाई में भी उसका मन नहीं लगता है। उसकी मम्मी उसे काउंसलर के पास लेकर गई तो पता चला की स्ट्रेस की वजह से परेशान है।
केस स्टडी- 2
नौ साल का आकाश हर वक्त गुस्से में रहता है। क्लास खत्म होने के बाद भी वह स्क्रीन से आउट नहीं होता है। हर बात पर झुंझलाता है। डॉक्टर से जब उसके पेरेंटस ने कंसल्ट किया तो पता चला की घर से बाहर न जाने की वजह से वह डिप्रेशन में आ गया है।
ये है वजह
कोरोना काल में स्कूल बंद होने और एक्टिविटीज न होने की वजह से बच्चे फेडअप होने लगे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि फिजिकल मूवमेंट लगभग न के बराबर है जबिक रोजाना एक जैसे रूटीन से वह बोर होने लगे हैं। स्कूल जैसा वातावरण घर में नहीं मिल रहा है। इसकी वजह से ही बच्चों में डिप्रेशन, एग्रेशन और सिरदर्द की समस्याएं बढ़ रही हैं। कोरोना काल में बच्चों की आउट डोर एक्टिविटीज लगभग बंद हो गई हैं। वह अपने दोस्तों से नहीं मिल पा रहे हैं और उनसे अपनी बात नहीं कह पा रहे हैं। इसकी वजह से भी समस्याएं बढ़ रही हैं।
इन लक्षणों को समझें
सिर में दर्द
गुमसुम रहना
चिड़चिड़ाहट
काम में मन न लगना
नींद न आना
ये करें
योगा-एक्सराइज में बच्चों को जरूर इंवॉल्व करें
मेडिटेशन करवाएं
छत पर या घर में ही खुली जगह पर आउटडोर एक्टिविटीज में भाग लें
पढ़ाई का लेकर बच्चों पर प्रेशर न बनाएं
बच्चों की समस्याओं को सुनें
हेल्दी डाइट लें
डेली रूटीन मेंटेन करें
ये न करें
बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज के बाद गैजेट्स न दें
बच्चों की बीमारी को इग्नोर न करें
बच्चों को अकेला न छोड़ें
शुरुआत में ही अगर समस्या है तो इसे बढ़ने न दें
बच्चों में गैजेट्स की लत लगातार बढ़ती जा रही है। लॉकडाउन के बाद ये समस्या तेजी से बढ़ी है। गैजेट्स का एडिक्शन बच्चों पर हावी होने लगा है। पेरेंट्स के सुपरविजन की कमी भी इसका बड़ा कारण है। छोटी उम्र में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के यूज से बच्चों में काफी घातक परिणाम सामने आ रहे हैं।
डॉ। विभा नागर, मनकक्ष इंचार्ज
आजकल के बच्चे हाईटेक गैजेट्स यूज करते हैं। ऐसे में इनके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। फिजिकल एक्टीविटी बंद होने से बच्चों में ऑबेसिटी काफी बढ़ रही है। नींद की कमी से बच्चों में डिप्रेशन बढ़ रहा है।
डॉ। कमलेंद्र किशोर, सीनियर साइकेट्रिस्ट, जिला अस्पताल
हाईटेक गैजेट्स, मोबाइल फोन और टैब जैसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की स्क्रीन फ्लिकरिंग होती हैं। जिससे बच्चों के सामने कुछ ही पल में नए कलर्स, ऑब्जेक्ट्स सामने आते रहते हैं। ये अपनी तरफ अट्रेक्ट करते हैं। एडिक्शन बढ़ने की वजह से बच्चों में तनाव, सिरदर्द और आंखों में दर्द जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
डॉ। पीके वार्ष्णेय, नेत्र परीक्षण अधिकारी
बच्चों की सुविधाओं को देखते हुए स्कूल्स पूरी सावधानी से ऑनलाइन क्लासेज चला रहे हैं। टाइमिंग गाइडलाइन के अनुसार ही फॉलो किए जाने के सभी को निर्देश हैं।
राहुल केसरवानी, सहोदय सचिव
गाइडलाइन के अनुसार ही स्कूल्स स्क्रीन टाइम बच्चों को देते हैं। टीचर्स के साथ ही मॉडरेट टीचर्स भी एसोसिएट किए हुए हैं ताकि बच्चों की प्रॉपर मॉनिटरिंग की जा सके। हमारी पूरी कोशिश है कि बच्चों को ऑनलाइन स्टडीज में किसी प्रकार की परेशानी न हो।
डॉ। वाग्मिता त्यागी, वाइस प्रिंसिपल, गार्गी गर्ल्स स्कूल
स्कूल बंद हैं। ऑनलाइन क्लासेज के बाद से ही बच्चे को सिरदर्द की शिकायत बनी हुई है। पढ़ाई में भी मन नहीं लगता है। खोया-खोया सा रहने लगा है। ऑनलाइन स्टडीज की वजह से बच्चों को स्कूल जैसा वातावरण नहीं मिल रहा है इसलिए अब दिक्कत आने लगी है।
सुषमा, पेरेंट
ऑनलाइन स्टडीज के चलते बच्चों में आंखों की काफी प्रॉब्लम बढ़ रही हैं। बच्चों का काफी समय मोबाइल स्क्रीन बीतता है। बीच में पता भी नहीं चलता की बच्चा पढ़ रहा है या खेल रहा है। हर वक्त बच्चे पर नजर रखना भी संभव नहीं होता है।
सीमा, पेरेंट