हाथ से लिखा संविधान
मूल संविधान के हिंदी संस्करण का सुलेख गवर्नमेंट कॉमर्स प्रेस के एक कर्मचारी वसंत कृष्ण वैद्य ने किया, जो मूल रूप से नासिक के रहने वाले थे। संविधान का लेखन हाथ से बने मिलबोर्न लोन कागज के 500 पन्नों पर तैयार किया गया था। श्री वैद्य ने सुलेख तैयार करने का काम 1954 में पूरा किया था।


मैं भारत का संविधान हूं

चित्रों की सुंदरता
मूल संविधान को चित्रों के माध्यम से खूबसूरती दी थी शांतिनिकेतन के प्रसिद्ध चित्रकार नंद लाल बोस ने। उनकी कला ने मूल संविधान को सजाया और अलंकृत किया। उन्होंने अपना काम चार साल में पूरा किया। सजावट का काम देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सुझावों के मुताबिक किया गया। कागज के किनारों पर नक्काशी असली सोने के स्प्रे से किया गया। चित्रकार ने इस प्रतिष्ठित दस्तावेज के 221 पन्नों में कला और इतिहास का एक साथ अनोखे सम्मिश्रण का जटिल काम पूरा किया।

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सहेज कर रखा

भारत के संविधान की मूल सुलिखित प्रतिलिपि को वैज्ञानिक पद्धति से संरक्षित रखने के लिए नाइट्रोजन से भरे पात्र में रखा गया है। लेकिन शोध संस्थाओं और संगठनों की मांग पर इस ऐतिहासिक दस्तावेज की 1200 ऑफसेट मुद्रित कॉपियां 1999 में तैयार कराई गईं। उन्हीं 1200 में से एक कॉपी अब मेरठ के विश्व संवाद केंद्र की धरोहर बन गई है।
सभी धर्मों का ध्यान
मूल संविधान में मोहनजोदड़ो काल, वैदिक काल, महाकाव्य काल, महाजनपद और नंदकाल, मौर्य काल, गुप्त काल, मध्य काल, मुगल काल, ब्रिटिश काल, भारत का स्वतंत्रता संग्राम, स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए क्रांतिकारी आंदोलन और प्राकृतिक विशिष्टता श्रेणियों में 22 तस्वीरें प्रयोग की गई हैं। मूल संविधान की तस्वीरों को देखें तो पता चलता है कि भारत के सभी धर्मों को ध्यान में रखकर चित्रों का चयन किया गया है।


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कौन-कौन से चित्र
संविधान में इस्तेमाल किए गए चित्रों में मोहजोदड़ो काल की मुहर, वैदिक आश्रम का दृश्य, रामायण से लंका विजय और सीता उद्धार का दृश्य, महाभारत से भगवद्गीता का कथन, बुद्ध के जीवन की झांकी, महावीर के जीवन की झांकी, अकबर का चित्र व मुगल वास्तुकला, शिवाजी और गुरु गोविंद सिंह का चित्र, टीपू सुल्तान और रानी लक्ष्मीबाई के चित्र, गांधी जी की डांडी यात्रा आदि के कुल 22 चित्र शामिल किये गए हैं.

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हस्ताक्षर
संविधान के अंत में उन सभी बड़े नेताओं डॉ। राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, डॉ। बीआर अंबेडकर, सुचेता कृपलानी, फिरोज गांधी, डॉ। श्यामा प्रसाद मुखर्जी, मोहम्मद अबदुल्ला आदि के हस्ताक्षर हैं। खास बात है कि पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक के अधिकांश नेताओं ने हस्ताक्षर हिंदी में किए हैं। राष्ट्रदेव के संपादक अजय मित्तल बताते हैं कि संविधान की प्रस्तावना में विक्रमी संवत इस्तेमाल की गई है, जबकि बाद में भारत सरकार ने विक्रमी संवत की जगह शक संवत को इस्तेमाल करना शुरू किया।

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बहस के सारे खंड उपलब्ध

विश्व संवाद केंद्र में संविधान सभा में हुई बहस के भी सारे खंड उपलब्ध हैं। संविधान के हर पैरा पर सभा में बहस होती थी, बाद में उसे जनता के लिए प्रकाशित कर दिया जाता था। इसकी कीमत रखी गई थी चार आने यानि 25 पैसे। पूरी बहस कई खंडों में प्रकाशित की गई। बहस की पुस्तकों में एक बात जो ध्यान देने वाली है वो है संविधान सभा का लोगो। 8 जनवरी 1949 तक संविधान के लोगो के रूप में अखंड भारत के नक्शे पर श्री गणेश का चित्र प्रयोग किया गया, जिसे बाद में अशोक की लाट से बदल दिया गया।

"भारत के मूल संविधान की ये कॉपी हमें सांसद महोदय से प्राप्त हुई है। हम उनके आभारी हैं। जिल्द थोड़ी कमजोर है। लेकिन फिर भी हम कोशिश करेंगे कि देखने के इच्छुक लोगों के लिए इसे उपलब्ध कराया जा सके."
- अजय मित्तल, प्रवक्ता
विश्व संवाद केंद्र, सूरजकुंड