मुनाफे की फिराक में

मेरठ रेंज के कई जिलों में सांप्रदायिक उबाल है। मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा भी हो चुकी और वहां कफ्र्यू घोषित है। इसका असर यहां शस्त्र विक्रेताओं व जिले के लाइसेंस धारकों पर ज्यादा दिखाई दे रहा है। मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा के बाद से सहारनपुर के लाइसेंस धारकों में कारतूस खरीदने की होड़ सी मच गई और इनकी भीड़ शस्त्र विक्रेताओं की दुकानों पर देखी जा सकती है। इस बहती गंगा में शस्त्र विक्रेता भी मुनाफा कमाने की फिराक में लग गये और कारतूस के डिब्बे एमआरपी रेट से अधिक दामों पर बेच रहे हैं।

ओवर प्राइसिंग

सोमवार को अंसारी रोड व्यापार मंडल के अध्यक्ष सरदार भूपेंद्र सिंह भी एक शस्त्र विक्रेता की दुकान पर कारतूस खरीदने गये तो शस्त्र विक्रेता एमआरपी रेट से अधिक कारतूस के दाम मांगे। उन्होंने विरोध किया तो शस्त्र विक्रेता ने कारतूस देने से इंकार कर दिया। भूपेंद्र सिंह ने कारतूस के डिब्बे पर एमआरपी रेट नौ सौ रुपये लिखा था, जबकि शस्त्र विक्रेता कारतूस के डिब्बे को एक हजार में बेच रहे हैं।

मौके का फायदा उठा रहे शस्त्र विक्रेता

कारतूसों की कालाबाजारी की शिकायत सोमवार को सरदार भूपेंद्र सिंह ने जिलाधिकारी से की है। उधर, शस्त्र विक्रेताओं के पास कारतूस खरीदने आये कई लाइसेंसी धारकों का कहना था कि पड़ोसी जिले मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान पुलिस लोगों की सुरक्षा करने में नाकाम रही, लिहाजा अपनी सुरक्षा के लिये वह कारतूस खरीद रहे हैं और शस्त्र विक्रेता मौके का फायदा उठा रहे हैं। इस संबंध में जिलाधिकारी का कहना है कि अधिक दाम पर कारतूस बेचने की शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई होगी। कारतूस की बिक्री पर विशेष निगरानी होगी।