स्नातक और शिक्षक सीट के लिए भाजपा ने लगा रखा था पूरा जोर

शिक्षक सीट पर ओमप्रकाश शर्मा, स्नातक सीट पर हेम सिंह पुंडीर ने भी झोंकी ताकत

सपा प्रत्याशी भी नहीं रहे पीछे, मेहनत के साथ प्रत्याशी को जिताने में लगे रहे सपा के नेता

Meerut । एमएलसी शिक्षक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ओमप्रकाश शर्मा और स्नातक सीट पर हेम सिंह पुंडीर का 40 साल से कब्जा है। ऐसे में इस बार दमखम के साथ भाजपा ने भी चुनाव में ताल ठोंकी है। हालांकि, पहले भी भाजपा चुनाव लड़ी है, लेकिन मजबूती के साथ चुनाव नहीं लड़ सकी। इस बार कई दिनों से सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक पर प्रचार-प्रसार चला। सपा और कांग्रेस भी पीछे नहीं रही, इन्होंने भी चुनाव में अपना बिगुल बजाया है। परिणाम चाहे जो भी सामने आए लेकिन सभी ने मेहनत के साथ चुनाव लड़ा है। भाजपा की प्रतिष्ठा जहां एक तरफ दांव पर लगी है तो 40 साल का रिकार्ड बचाने के लिए ओमप्रकाश शर्मा और हेम सिंह पुंडीर गुट अड़ा पड़ा है। कांग्रेस और सपा भी अपनी राह तलाश रही है। तीन दिसंबर के बाद हालांकि साफ हो जाएगा कि साम्राज्य ओमप्रकाश शर्मा और हेम सिंह पुंडीर का बचा रहेगा या फिर नई तस्वीर निकलकर सामने आएगी।

सियासी दलों की दस्तक

कभी एमएलसी शिक्षक और स्नातक सीट के लिए चुनाव निर्दलीय हुआ करता था। लेकिन जैसे-जैसे समय बदला चुनाव में पार्टी ने भी कूदना शुरू कर दिया। लंबे समय से निर्दलीय उम्मीदवार ओमप्रकाश शर्मा और हेम सिंह पुंडीर के सामने कोई चुनाव आज तक नहीं जीत सका है। 40 साल से इन्होंने अपना वर्चस्व कायम किया हुआ था। अब इस बार के चुनाव में सपा भी कूद गई। सपा ने स्नातक सीट पर शमशाद अली को लड़वाया तो शिक्षक सीट पर धर्मेद्र कुमार को टिकट देकर मैदान में उतारा। भाजपा भी पीछे नहीं रही। भाजपा ने पूरी रणनीति के तहत शिक्षक सीट पर श्रीचंद्र और स्नातक सीट पर दिनेश गोयल को चुनाव मैदान में उतार कर चुनौती खड़ी कर दी। आखिर में तो कांग्रेस भी पीछे नहीं रही। कांग्रेस ने भी दो प्रत्याशियों को अपना समर्थन दे दिया। कांग्रेस ने एमएलसी स्नातक सीट पर जितेंद्र गौड का समर्थन करते हुए चुनाव लड़वाया। निर्दलीय प्रत्याशी अर्चना शर्मा ने भी दमखम के साथ चुनाव लड़ा है। ऐसे में निर्दलीय शिक्षक और स्नातक सीट के लिए ओमप्रकाश शर्मा और हेम सिंह पुंडीर का किला ध्वस्त हो पाता है या किले पर फिर से एक बार इन्हीं का झंडा फहराया जाएगा। यह तीन दिसंबर के बाद साफ हो जाएगा। शिक्षक और स्नातक दोनो ही सीटों पर कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है।