एलएलआरएम कॉलेज में लगाई गई एंटीबॉडी जांच की मशीन

प्लाज्मा निकालने की मशीन का आज होगा टेंडर

Meerut। मेडिकल कॉलेज में कोरोना मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी देने से पहले डोनर के ब्लड में एंटीबाडी की भी जांच होगी। एंडोक्रायनोलोजी विभाग में एंटीबाडी जांच करने वाली मशीन लगाई गई है। इससे मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थेरेपी शुरू करने में मदद मिलेगी।

युवाओं की होगी जांच

प्राचार्य डॉ। ज्ञानेंद्र सिंह ने बुधवार को इस मशीन का शुभारंभ किया। उन्हीं की सबसे पहले जांच भी हुई। उन्होंने बताया कि एंडोक्रायनोलोजी विभाग में एलिजा तकनीक से खून में एंटीबाडी की जांच की जाएगी। गौरतलब है कि सिर्फ युवा मरीजों की एंटीबाडी जांच होगी, जिन्होंने हाल में ही कोरोना को हराया है। मेडिकल कॉलेज ऐसे युवा डोनरों का एक पूल भी बनाएगा। उन्हें शुगर, बीपी, अस्थमा, लिवर एवं अन्य कोई बीमारी भी नहीं होनी चाहिए। चूंकि मेडिकल में गंभीर कोविड मरीज ही भर्ती किए जाते हैं, इसलिए अन्य कोविड अस्पतालों में भर्ती रहे ऐसे युवाओं से संपर्क किया जाएगा।

आज होगा मशीन का टेंडर

प्लाज्मा निकालने के लिए मशीनों के टेंडर की प्रक्रिया गुरुवार से शुरू की जाएगी। मेरठ ओएसडी डा। वेद प्रकाश ने बताया कि शासन की ओर से इस योजना को लागू करने की पूरी तैयारी की जा चुकी है।

क्या है प्लाज्मा थेरेपी

प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग ऐसे मरीजों पर होगा, जो वेंटीलेटर पर जाने के बाद भी ठीक नहीं हो रहे हैं। इसके ब्लड से प्लाज्मा अलग करके मरीजों को दिया जाता है। कोरोना से स्वस्थ हुए मरीजों के खून से प्लाज्मा लिया जाता है। रिकवर मरीजों के ब्लड के अंदर एंटीबॉडी में प्लाज्मा में होता है। उसे निकाल कर गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति को चढ़ाया जाता है।

क्या है एंटीबाडी जांच

मेरठ, जेएनएन : मेडिकल कॉलेज के फिजिशियन डॉ। अरविंद का कहना है कि ब्लड में इम्युनोग्लोबलिंस नामक प्रोटीन होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा एंटीजन के खिलाफ पैदा होते हैं। संक्रमित होने पर शरीर में यह बदलाव होता है। जिन लोगों को कोरोना होकर ठीक हो गया, उनके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। यह पांच माह तक रह सकती है। अगर किसी मरीज में कोई लक्षण नहीं उभरा और उसे संक्रमण का पता नहीं चला तो एंटीबाडी जांच बेहतर होगी।

प्लाज्मा थेरेपी को लेकर कई जिलों में योजना तैयार की जा रही है। मेरठ में इसे पहले चरण में लागू किया जा रहा है। स्टाफ को ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

डॉ। वेदप्रकाश, ओएसडी, मेरठ