कार्यक्रमों के लिए कई बार मेरठ आए थे राहत इंदौरी

मेरठ के कवियों ने उनके निधन पर जताया शोक

Meerut। राहत इंदौरी का यूं जाना साहित्य जगत खासकर उदू शायरी की दुनिया के लिए बड़ी क्षति है। मेरठ के कवियों ने भी उनके साथ बिताए पल याद किए। उन्होंने कभी कहा था कि 'कस्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया। इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया, दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो है, ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया'। जमींदार से उनका आश्य यह था कि जिस जमीन में उन्हें दफनाया जाएगा वह भले ही दो गज हो, मगर हमेशा के लिए उनकी मिलकियत यानि संपत्ति हो जाएगी।

मेरे मेहमान हुआ करते थे राहत

मेरठ के मशहूर शायर व कवि हरिओम पंवार ने बताया कि राहत इंदौरी ने उनके साथ देश ही नहीं, विदेशों में भी कई मंच साझा किए हैं। मेरठ में हर साल वो 15 अगस्त में मंच पर काव्य पाठ के लिए आते थे। वह 14 अगस्त की रात को ही आ जाते थे और मेरे ही घर पर रुकते थे। पिछले साल भी वो आए थे, मेरे मेहमान रहे थे। उनका जाना शायरी व कवि जगत की बहुत ही बड़ी है। वो मंचों की जान हुआ करते थे। मुझे तो यकीन ही नही हो रहा कि आज वो हमारे बीच ने नहीं रहे। मेरे बहुत ही करीबी मित्र रहे हैं, अब दिल में उनकी यादें सिमटकर रह गई हैं।

हरि ओम पंवार

बस में बैठकर आए थे मेरठ

जब से कविता से जुड़ा, तभी से मेरे प्रिय शायरों में सबसे बड़ा नाम राहत इंदौरी का रहा। मेरठ से खास नाता था उनका। हिंदी, उर्दू दोनों ही मंचों पर उन्हें बेहद मन से सुना जाता रहा है। मुझे तो बहुत स्नेह देते थे। सुबह उनके बेटे सतलज राहत से बात हुई, बताया कि उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजीटिव आई भर्ती किया गया था। सुबह हुई बात से ही लग रहा था कि कुछ अनिष्ट होने वाला है। मेरे संयोजनों से वह कई बार मेरठ आए हैं। मुझे याद है कि जब 2004 में भगतसिंह बलिदान दिवस का पहला कार्यक्रम था तो उसमें वो दिल्ली से बस में बैठ कर आ गए थे। वह जमीन से जुड़ा हुआ सितारा थे। उन्होंने ऊंचाई अपनी कलम से हासिल की थी।

सौरभ जैन सुमन

युवा कवियों को करते थे उत्साहित

इस तरह से उनका जाना तो बहुत ही बड़ी क्षति है। वो युवा कवियों की शायरों की बहुत ही कद्र करते थे। मैने भी जब अपनी शुरुआत की थी तो उनसे मुलाकात हुई थी। फिर उनके साथ कई मंचों को साझा किया। देश में ही नहीं, विदेशो में भी उनके साथ मंच साझा किए हैं। युवा कवियों को उत्साहित करने में उनका बहुत योगदान रहता था। हिंदी हो या उर्दू, वह दोनो में बेहद खूबसूरती से काव्य पाठ करते थे। उनके साथ बिताए हर लम्हों को याद करता हूं तो उनके जाने पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है।

पापुलर मेरठी