वीडियो में दंगा कर रहे मुस्लिमों को पाकिस्तान जाने की दे रहे थे हिदायत

कांग्रेस नेता ने बयान को बताया भाजपा की जुबान

एडीजी ने किया एसपी सिटी का बचाव, कहा-शब्दों का चयन गलत हो सकता है, मंशा नहीं

Meerut। बीती 20 दिसंबर दिन शुक्रवार को मेरठ में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर उपद्रव हो गया था। इसी दौरान भूमिया के पुल से खत्ता रोड की ओर जाने वाले रास्ते पर एक गली में मेरठ के एसपी सिटी डॉ। एएन सिंह और एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी गश्त पर थे। इसी दौरान बनाए गए एक वीडियो ने देशभर में सियासी भूचाल ला दिया है, वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान की आर्मी के प्रवक्ता ने भी ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया देकर सियासी सरगर्मियों को बढ़ा दिया है। मेरठ के एसपी सिटी का 'तो पाकिस्तान चले जाओ.' बोलते हुए 1.43 मिनट का यह वीडियो ट्विटर पर दिनभर ट्रेंड करता रहा।

वीडियो के अंश

एसपी सिटी-'कहां, जाओगे इस गली को मैं ठीक कर दूंगा? मौका दिया था जो ये काली पट्टी, नीली पट्टी बांध रहे हो। बता रहा हूं। उनसे कह दो कि पाकिस्तान चले जाएं.'

एडीएम सिटी-'काला होने में लगेगा सेकेंड भर, उसके बाद सबकुछ काला हो जाएगा.'

एसपी सिटी-इस देश में रहने का मन नहीं है तो चले जाओ भइया! खाओगे यहां का गाओगे कहीं और का। इस गली को ठीक कर दूंगा। एक-एक घर के एक-एक आदमी को जेल में बंद करके रखूंगा, मैं। बर्बाद कर दूंगा करियर।

लगा रहे थे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे

1.43 मिनट की इस वीडियो पूरे देशभर में सियासी भूचाल लाकर रख दिया है। मेरठ में 20 दिसंबर के दंगों के दौरान की इस वीडियो को लेकर दावा किया गया है यह वीडियो उस दौरान बनाई गई जब एक गली में दंगाइयों को खदेड़ते हुए एसपी सिटी डॉ। एएन सिंह और एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी पुलिसबल के साथ काफी अंदर तक घुस गए। एसपी सिटी का कहना है कि यहां गली में 18 से 22 वर्ष के बीच की उम्र के कुछ युवक पुलिस को देखकर हाथों में काली पट्टी बांधकर 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगा रहे थे। पुलिस ने उन्हें पकड़ने का प्रयास किया किंतु वे घरों में छिप गए। पुलिस ने उन घरों की पहचान करने के बाद वहां मौजूद लोगों को इन शब्दों का प्रयोग इस बाबत किया कि वे पुलिस का यह मैसेज दंगाइयों तक पहुंचा दें। 26 दिसंबर को शांतिपूर्वक जुमे की नमाज अदा होने के बाद 27 दिसंबर की रात इस वीडियो के वायरल होने पर एडीजी प्रशांत कुमार ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि अफसरों की भाषा कुछ और हो सकती थी किंतु उनकी मंशा पर सवाल उठाना उचित नहीं है।

ट्विटर पर दिनभर चली बयानबाजी

भारत का संविधान किसी भी नागरिक के साथ इस भाषा के प्रयोग की इजाजत नहीं देता और जब आप अहम पद पर बैठे अधिकारी हैं तो जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।

प्रियंका वाड्रा, कांग्रेस महासचिव

मैं यह सुनकर शॉक्ड हूं, कि मेरठ के एसपी यूपी के मुस्लिमों को पाकिस्तान को जाने के लिए कह रहे हैं। भारतीय संविधान पर विश्वास और महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, पंडित नेहरू, अब्दुल कलाम आजाद की लीडरशिप के तहत उन्होंने भारत में रहना चुना और इस्लामिक पाकिस्तान को रिजेक्ट किया है।

दिग्विजय सिंह, कांग्रेस नेता

'सैल्यूट है मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नरायण सिंह को। पाकिस्तान जिंदाबाद और भारत मुर्दाबाद के नारे लगा रहे उपद्रवियों को करारा जबाव देने के लिए।

शलभ मणि त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

मैंने देश के मुसलमानों के बीच कट्टरपंथ को रोकने के लिए पूरी शिद्दत से कोशिश की। किंतु यह अधिकारी मेरे प्रयासों को नाकाम कर रहा है।

असद्दउद्दीन ओवैसी, सांसद

मैं मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नरायण सिंह के साथ हूं, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे, मां-बाप की गालियां दे रहे, आगजनी कर रहे, दंगा फैला रहे लोगों से 'पाकिस्तान चले जाओ', यह कहना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

उमा भारती, पूर्व केंद्रीय मंत्री

एक अधिकारी से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जा सकती है। बेहद दुखी करने वाला वाकया है।

अंबिका सोनी, कांग्रेस नेता

'पाकिस्तान जिंदाबाद के लगा रहे थे नारे'

वहीं इस मामले पर मेरठ के एसपी सिटी डॉ। अखिलेश नारायण सिंह ने कहा कि 20 दिसंबर को दंगे के दौरान हम लिसाड़ी चौपले से हम भूमिया पुल की ओर जा रहे थे। वहीं गली में कुछ लड़कों द्वारा हंगामे की सूचना मिली। हमने और एसपी सिटी ने जाकर देखा तो कुछ लड़के पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। पुलिस ने इन लड़कों को चिह्नित कर लिया इसके बाद पाकिस्तान जिंदाबाद बोलने वाले लड़कों के लिए कहा गया कि 'उन्हें यदि ज्यादा प्यार है वे वहां चले जाएं.' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जिंदाबाद बोलने वाले युवकों को पहचान लिया गया है। ये सोशल डेमोक्रेटिक पीपुल्स फ्रंट और पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया से ताल्लुक रखते हैं। इन्हें मुकदमों में शामिल किया जाएगा।

वीडियो के पीछे की मंशा क्या है : एडीजी

इस मामले पर एडीजी, मेरठ जोन प्रशांत कुमार ने कहाकि तथाकथित वीडियो 20 दिसंबर का है, तो इसे 27 दिसंबर को क्यों जारी किया गया। इसके पीछे की मंशा क्या है? वीडियो में स्पष्ट है कि वहां पत्थरबाजी हो चुकी थी, पड़ोसी देश जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। ऐसे में अधिकारियों का शब्दों का चयन कुछ और हो सकता था किंतु फिर भी अधिकारियों ने संयम से काम लिया। हो सकता है उत्तेजना में कुछ शब्द गलत निकल गए हो, किंतु शब्दों को पकड़कर उस पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठाना गलत है।